राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ईडी और सुगबुगाहट
14-Jan-2023 4:02 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ईडी और सुगबुगाहट

ईडी और सुगबुगाहट

छत्तीसगढ़ में ईडी के ताजा छापों के बाद सरकार, राजनीति, और सरकार से जुड़े कारोबार में खलबली मची हुई है। मसूरी में ट्रेनिंग पूरी करके राज्य के डेढ़ दर्जन आईएएस घरवापिसी की ओर हैं, और अफसरों से ईडी की पूछताछ अभी चल ही रही है। राज्य के बीज निगम के अध्यक्ष अग्नि चंद्राकर पर ईडी का छापा दामाद सूर्यकांत तिवारी की वजह से पड़ा है, या बीज निगम के कुख्यात घपलों की वजह से, यह बात तो आगे जाकर साफ होगी, लेकिन लोगों का मानना है कि दसियों हजार महिलाओं का काम छीनकर जिस तरह बीज निगम के रास्ते पोषण आहार बनवाया जा रहा था, उन महिलाओं की आह का कुछ तो असर होना ही था।
फिलहाल इस बात की बड़ी सुगबुगाहट है कि ईडी को बयान देने वाले प्रदेश के कुछ कारोबारी, और दूसरे लोग अपने बयान से पलटने वाले हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बार-बार सार्वजनिक रूप से यह बात कहते आए हैं कि ईडी के जांच अफसर लोगों को मारपीट रहे हैं, प्रताडि़त कर रहे हैं। अभी ऐसी सुगबुगाहट है कि ऐसी प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए कुछ लोग अपने दस्तखत किए बयानों से पलट सकते हैं।

सॉफ्ट कॉर्नर की चर्चा

साइंस कॉलेज के समीप निर्माणाधीन यूथ हब के विरोध में पूर्व मंत्री राजेश मूणत की अगुवाई में भले ही भाजपा नेता रायपुर-दिल्ली एक कर रहे हैं, मगर तीन साल पहले टेंडर हुआ था, तब सबने चुप्पी साध ली थी। कांग्रेस के लोग उस ताकतवर ठेकेदार को कोस रहे हैं, जिसने विलंब से काम शुरू किया, और इसकी वजह से भाजपा को मौका मिल गया। अब तक तो यूथ हब बनकर तैयार हो गया होता। खैर, चुनावी साल है, इसलिए कुछ न कुछ चलेगा। लेकिन विरोध-प्रदर्शन के बीच मूणत ने एक तरह से मेयर एजाज ढेबर को क्लीन चिट देकर सबको चौंका दिया है।
मूणत ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्मार्ट सिटी में घपले-घोटालों पर मेयर का आज-कल में स्पष्टीकरण आ जाएगा कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। अब कौन-कौन अफसर आ रहे हैं, हमें इस पर ध्यान देना होगा। मूणत का मेयर के लिए सॉफ्ट कॉर्नर देखकर कार्यकर्ताओं में कानाफूसी होती रही। यही नहीं, मूणत के साथ पार्षद स्मार्ट सिटी में घपले-घोटाले की जांच के लिए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिले, तो उन्होंने कहा बताते हैं कि सांसद सुनील सोनी जी पहले ही यह सब दे चुके हैं, और इसकी जांच कराएंगे। यानी दिल्ली दौरे का कोई नया प्रभाव नहीं पड़ा।

सॉफ्ट कॉर्नर का राज

पूर्व मंत्री राजेश मूणत के मेयर एजाज ढेबर के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर की राजनीतिक गलियारों में जमकर चर्चा है, और इसको कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से जोडक़र देखा जा रहा है। यूथ हब का निर्माण रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में हो रहा है, और इसके विधायक विकास उपाध्याय हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि विकास का मेयर एजाज ढेबर से छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों के बीच बोलचाल तक नहीं है।
और तो और ढेबर ने पिछले दिनों यूथ हब के समर्थन में राजीव भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी, तो विकास उपस्थित नहीं थे। यूथ हब पर विकास एक तरह से खामोश हैं। चर्चा है कि मूणत ने ढेबर के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर दिखाकर भविष्य में अपने लिए सहयोग का पुल तैयार किया है। चुनाव में उन्हें, या भाजपा को इसका कितना फायदा मिलता है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।

निजी प्रैक्टिस का क्या होगा?

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ओपीडी का समय बदलने का फरमान निकाला गया है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने गुरुवार को बैठक ली थी, जिसमें नया समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक तय किया गया। रजिस्ट्रेशन भी आधा घंटे पहले शुरू किया जाएगा जो दोपहर 2 बजे तक जारी रहेगा। पहले ओपीडी दोपहर 2-3 बजे तक ही खुलता था। खुलने का समय सुबह 8 बजे रखा गया था। अनेक डॉक्टर इस समय का पालन करते आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के कई विभागों में बड़ी भीड़ रहती है। मगर, बहुत से डॉक्टर ऐसे भी हैं जो एक दो घंटे या उससे अधिक देर से पहुंचते हैं। सब चल रहा था। सुविधाजनक था ओपीडी बंद होने का समय। आराम कर लेने के बाद भी खासा समय बच जाता था कि शाम के समय निजी प्रैक्टिस कर लें। लगातार आठ घंटे, 5 बजे तक ड्यूटी मेडिकल कॉलेज में ही करनी पड़ी, तो समय कहां बचेगा? डॉक्टरों के बीच इस नए समय को लेकर नाराजगी है, जो अभी फूटी नहीं है। कुछ निश्चिंत भी हैं, पहले भी अपने हिसाब से आते-जाते थे, अब भी वैसा ही करेंगे। वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ही नहीं इसके पहले के मंत्री भी बार-बार ध्यान दिलाते रहे हैं कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है, उन पर कड़ा एक्शन लिया नहीं जा सकता।


शाह के दौरे के बाद का हमला

नक्सलियों ने एक बार फिर सुरक्षा बलों पर हवाई हमला करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सन् 2021 से 2023 के बीच तीन बार ऐसा हुआ है। सब-जोनल ब्यूरो की समता की ओर से जारी पर्चे के मुताबिक दक्षिण बस्तर के सरहदी 15 गांवों में जंगल, पहाड़ों को निशाना बनाकर ड्रोन और हेलीकॉप्टर से बम गिराये गए। उन्होंने कुछ तस्वीरें जारी कर दावा किया कि ये हमलों के अवशेष हैं। एक महिला नक्सली पोटाम हूंगी के शव की तस्वीर भी इनमें है। दावा है कि इसी हवाई हमले से उसकी मौत हुई। नक्सली दावे के मुताबिक हमले में तेलंगाना पुलिस भी शामिल थी। उन्होंने अपने एक कमांडर हिड़मा की मौत के सुरक्षा बल दावे का खंडन भी किया है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक हिड़मा झीरम घाटी सहित हमले की 27 घटनाओं में शामिल रहा है। दूसरी ओर सीआरपीएफ और बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने हवाई हमले के आरोप को बेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि नक्सली संगठन में बिखराव हो रहा है। वे कमजोर पड़ रहे हैं, यह आरोप बौखलाहट का नतीजा है।

सन् 2021 में सुरक्षा बलों ने 23 कैंप खोले, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है। प्राय: ये कैंप बफर जोन में खुलते थे, पर इस बार ज्यादातर अंदरूनी इलाकों में खोले गए हैं। बस्तर संभाग के सभी सात जिलों में तीन सालों के भीतर कुल 54 कैंप खोले जा चुके हैं, जिनमें सर्वाधिक 13 कैंप सुकमा जिले में हैं। दावा है कि इनके खुल जाने के कारण आंगनबाड़ी, स्कूल भवनों, मड़ई, बाजारों में चहल-पहल बढ़ी। सडक़, पुल-पुलिया, अस्पताल आदि बनाने के काम में तेजी आई।

पर यह ध्यान रखना होगा कि कैंप खोलने का कई जगह विरोध हुआ, गोलियां चली, लोग मारे भी गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 7 जनवरी को अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान मंशा जताई थी कि सन् 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले नक्सल समस्या का अंत कर दिया जाएगा। यह संयोग ही है कि नक्सली जिसे हवाई हमला बता रहे हैं, वह शाह के दौरे के तीन दिन बाद ही हुआ। हालांकि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ही सन् 2023 का एक्शन प्लान बनाने के लिए डीजीपी ने एक बैठक जगदलपुर में रखी थी, जिसमें इस वर्ष एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज करने और संभाग के सभी गांवों को नक्सलमुक्त का संकल्प लिया गया था।

इस साल की शुरूआत में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुशी जताई थी कि बस्तर का माहौल बदल रहा है। नक्सली वारदातों में कमी आने और अंदरूनी इलाकों तक सुरक्षा बलों की पहुंच बनाने का उन्होंने खास तौर पर उल्लेख किया था। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों में सुरक्षा बलों के प्रति समझ में बदलाव आया है। पहले गांवों में इनके प्रवेश करने पर धारणा बनती थी कि फोर्स हमें मारने, गिरफ्तार करने आई है, पर अब दोनों ओर से मित्रवत् व्यवहार हो रहा है।

निश्चित ही, सुरक्षा बल ही नहीं, प्रशासन के दूसरे विभागों के तैनात अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों पर बस्तर के लोग जिस दिन पूरा भरोसा करने लगेंगे, हिंसा के पैर उखड़ेंगे और नई सुबह आ जाएगी। तब फिर कैंपों की संख्या बढ़ेगी नहीं, घटेगी। हवाई या जमीनी दोनों तरह के हमले की जरूरत नहीं रह जाएगी।

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