राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आईएएस की दबंगई
16-Jan-2023 4:16 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आईएएस की दबंगई

आईएएस की दबंगई

छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों एक आयोग से आउट होने वाले एक आईएएस अपनी हरकतों के कारण सुर्खियों में थे। कहा जा रहा था कि आयोग से हटने के लिए उन्होंने उटपटांग हरकत का सहारा लिया था, क्योंकि आयोग की पोस्टिंग लूप लाइन मानी जाती है। ऐसा कहकर उनकी बेहूदगी पर परदा डालने की कोशिश करने वालों को पता होना चाहिए कि साहब आदतन बेहूदगीपसंद हैं और जहां भी रहे अपनी हरकतों के कारण चर्चा में रहे। उनके किस्सों की परत धीरे-धीरे खुल रही है।

बताया जा रहा है कि हालिया घटना के आसपास उन्होंने शहर के एक पुराने महाविद्यालय में भी जमकर हंगामा किया। वे यहां से वकालत की परीक्षा दिला रहे हैं। परीक्षा दिलाने पहुंचे आईएएस साहब ने पहले तो स्टॉफ और प्रोफेसर्स पर रौब दिखाना शुरू किया। शिक्षकों को निर्देशित करते हुए परीक्षा देने के लिए अपने लिए अलग कक्ष की व्यवस्था के लिए दबाव बनाया। समझाने-बुझाने पर जब वे नहीं माने तो उन्हें एचओडी के कक्ष में पर्चा लिखने के लिए बिठाया गया। हद तो तब हो गई जब वे महिला एचओडी के सामने किताब खोलकर उत्तर लिखने लगे और वे लगातार सभी को आईएएस हैं, कुछ भी कर सकते हैं, कहकर धमकाते रहे। बताया जा रहा है कि कुछ देर बाद जब इसकी भनक परीक्षा सहप्रभारी को लगी तो उन्होंने उनसे किताब छीनकर उत्तर लिखने को कहा तो वे एकदम से तमतमा गए और धमकाने के अंदाज में कहा कि जानते नहीं हो मैं कौन हूं ? तबादला करवाने की धमकी देते हुए उन्होंने नकल पकडऩे वाले अधिकारी के साथ जमकर बदतमीजी की। हालांकि कुछ देर बाद वे परीक्षा बीच में छोडक़र उत्तर पुस्तिका जमा करके चले तो गए, लेकिन परीक्षा खत्म होने के बाद फिर कॉलेज धमक गए  और प्राचार्य से उलझ गए। पिछले कुछ समय से राजधानी के इस महाविद्यालय में हर साल आईएएस-आईपीएस वकालत की पढ़ाई के लिए दाखिला लेते हैं। उनमें कई बड़े नाम भी हैं, कुछ टॉपर भी रहे हैं। कॉलेज भी ऐसे होनहार को एडमिशन देकर गर्व महसूस करता था, लेकिन इस आईएएस की हरकत ने शिक्षा के मंदिर को भी शर्मसार कर दिया है।  

ईडी का डर

छत्तीसगढ़ के अफसरों को ईडी का डर जमकर सता रहा है, क्योंकि ईडी आईएएस अफसरों को लगातार निशाना बना रही है। राज्य के चार आईएएस ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं। पहली बार किसी जिले के कलेक्टर के सरकारी आवास तक में कार्रवाई की गई। कहा जा रहा है कि कुछ और अधिकारी निशाने पर हैं। ऐसे में अधिकारियों का चितिंत होना स्वाभाविक है। मजाकिया अंदाज में लोग कहने लगे हैं कि हिन्दी सिनेमा के अमिताभ बच्चन की तरह ईडी के अधिकारी छत्तीसगढ़ में यहां-वहां घूम रहे हैं। खैर, जो भी हो, आईएएस लॉबी सकते में तो है। जैसे-तैसे उनके दिन कट रहे हैं और सब अपने-अपने तरीके से बचने की कोशिश भी कर रहे हैं। चर्चा है कि एक आईएएस अधिकारी ने तो स्वयं के खर्चे पर सुरक्षा कर्मी रख लिए हैं। अब ये ईडी के डर से है या फिर कुछ और कारण से। इस बारे में तो ठीक-ठीक कुछ पता नहीं, लेकिन हालिया छापे के बाद उनके साथ सुरक्षा कर्मी देखकर तो यही काना-फूसी हो रही है कि उनको भी ईडी का डर सता रहा है।

खड़ी कोच में रेस्टॉरेंट

यात्री किराये के अलावा दूसरे साधनों से आमदनी बढ़ाने की रेलवे की नीति के तहत देशभर के कई स्टेशनों में रेल कोच रेस्टॉरेंट चालू किए गए हैं। भोपाल व जबलपुर रेल मंडल मुख्यालय में ये रेस्टॉरेंट पिछले साल से शुरू हो गए हैं। अब छत्तीसगढ़ के दोनों रेलमंडल बिलासपुर व रायपुर के अलावा नागपुर में भी इसकी शुरूआत की जा रही है। ऐसे रेल कोच जो पुराना हो जाने के कारण दौड़ाए नहीं जा सकते, उन्हें प्राय: कबाडिय़ों को बेच दिया जाता है। इनमें कुछ अच्छी हालत के कोच अतिरिक्त साज-सज्जा के बाद रेस्टॉरेंट के रूप में बदल दिए जाएंगे। सीटिंग व्यवस्था में भी थोड़ा बदलाव किया जाएगा। बिलासपुर में स्टेशन के बाहर सिटी बस स्टैंड के पास इसे सबसे पहले चालू करने की योजना पर काम हो रहा है। कोच के भीतर बैठकर चाय-नाश्ते की सुविधा मिलने से यात्रियों को ट्रेन में सफर करने का एहसास होगा।

पंख नहीं लग पाए उड़ान योजना को  

मोदी सरकार ने सन् 2017 में उड़ान योजना शुरू की थी, जिसमें छोटे शहरों को सस्ते किराये में हवाई सुविधा का लाभ दिलाने की बात थी। उड़ान का पूरा नाम ही है- उड़े देश का आम नागरिक। मगर यह योजना देशभर में धीमी रफ्तार से चल रही है। पांच सालों में करीब 47 प्रतिशत उड़ानें शुरू हो पाई हैं। बिलासपुर में हाईकोर्ट का दबाव पडऩे के बाद किसी तरह चालू हुआ। दो साल से ज्यादा वक्त बीत चुका। अब तक महानगरों के लिए एक भी सीधी उड़ान शुरू नहीं हुई है। दिल्ली के लिए उपलब्ध फ्लाइट व्हाया जबलपुर, इंदौर और प्रयागराज है। मुंबई, कोलकाता आदि शहरों के लिए तो हैं ही नहीं। इसी तरह जगदलपुर में भी उड़ानों की संख्या बढ़ाने की लगातार मांग हो रही है। यहां एलायंस एयर की केवल एक फ्लाइट चल रही है। दोनों ही जगह रनवे की लंबाई बढ़ाने की मांग है। पर बिलासपुर में अतिरिक्त जमीन सेना के कब्जे में है तो जगदलपुर में डीआरडीओ के। दोनों ही जगह नए टर्मिनल का काम भी प्रस्तावित है। बिलासपुर में तो इसके लिए फंड का आवंटन भी हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह बयान लोग याद करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि हवाई चप्पल वाले भी हवाई जहाज में सफर कर सकेंगे। पर बिलासपुर का ही उदाहरण लें तो ऐसा नहीं है। दिल्ली के लिए रायपुर से लगभग दो गुना किराया बिलासपुर से उडऩे पर लग जाता है। इन दोनों शहरों के अलावा अंबिकापुर और कोरबा में उड़ान लागू करने की योजना थी। दो साल पहले जब 196 नये रूट तय किए गए तो सिर्फ बिलासपुर ही छत्तीसगढ़ के हिस्से में आया था। अंबिकापुर से पटना, वाराणसी, रांची आदि शहरों के लिए फ्लाइट की मांग है। यहां का हवाईअड्डा व्यावसायिक उड़ानों के लिए लगभग तैयार हो चुका है। पर फ्लाइट शुरू होने का कोई संकेत नहीं है।

अधर में स्मार्ट सिटी योजना

केंद्र की मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में घोषित की गई 100 स्मार्ट सिटी परियोजनाएं अब अंतिम सांसें गिन रही हैं। जो प्रोजेक्ट जारी हैं केवल उन्हें पूरा करने कहा गया है। नया टेंडर निकालने से मना किया गया है। छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर और नया रायपुर में यह परियोजना लाई गई थी। अधिकारियों के वर्चस्व, जनप्रतिनिधियों की शून्य भूमिका वाली इस योजना की वैधानिक स्थिति पर सवाल करते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की जा चुकी है। रायपुर के नगर निगम आयुक्त ने संकेत भी दे दिया है कि केंद्र ने जून 2023 तक सारा काम समेट लिया जाएगा। एक तरफ नगर-निगम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, दूसरी तरफ तीनों ही शहरों में स्मार्ट सिटी के नाम पर अनाप-शनाप खर्च किए गए। शहर विकास में असंतुलन साफ दिखाई देता है। अनेक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद खंडहर में बदल चुके हैं। विज्ञापनों और इंवेंट्स पर बेतहाशा और बिना मापदंड के खर्च किए गए। खर्च की गई रकम की अब तक ऑडिट भी नहीं कराई गई है। हाईकोर्ट में इस पर भी सवाल उठा तब स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड की तरफ से बताया गया है कि महालेखाकार को खर्च की जांच करने के लिए कहा गया है। लोग कह रहे हैं कि यह एक अव्यावहारिक योजना थी, जिसे खत्म का करने का फैसला ठीक ही है। अच्छा हो, इसकी बजाय केंद्र सीधे नगर-निगम से प्रोजेक्ट मंगाकर राशि आवंटित करे।

आरक्षण, सब धुँधला

आरक्षण विवाद के चलते सरकार के विभागों में नियुक्ति-पदस्थापना के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। फूड इंस्पेक्टरों की चयन सूची जारी हो गई थी। इसी बीच हाईकोर्ट के आरक्षण पर फैसले के बाद आदेश जारी नहीं हो पाए थे, लेकिन बाद में विधि विभाग के परामर्श के बाद पदस्थापना आदेश जारी हो गए, लेकिन एक निर्माण विभाग में पदस्थापना आदेश को विभागीय सचिव ने यह कहकर रोक दिया कि आरक्षण पर स्थिति साफ होने के बाद ही जारी करना उचित होगा। हाल यह है कि करीब 5 सौ से अधिक इंजीनियरों की पोस्टिंग पिछले 8 महीने से रुकी पड़ी है।

मैच का श्रेय जय या राजीव को ?

श्रेय कोई भी ले या जिस किसी को भी दिया जाए वो बाद में तय कर लें। फिलहाल तो सबके प्रयास से रायपुर, क्रिकेट के अंतरराष्ट्रीय नक्शे में शामिल हो जाएगा 21 तारीख को। बात यही खत्म नहीं हो रही है। मैच के आयोजक मंडल में श्रेय का हार पहनाने, पहनाने की होड़ देखी सुनी जा रही है। भाजपा की विचारधारा के सदस्य पदाधिकारी रायपुर को मैच देने का श्रेय बीसीसीआई के अध्यक्ष जय शाह को दे रहे हैं तो कांग्रेस विचारधारा वाले उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को। राजीव, हाल में छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद, चुने गए हैं, सो वो छत्तीसगढ़ का कर्ज उतार रहे हैं। अध्यक्ष जय शाह, ने पापा के प्लान पर काम करते हुए वेन्यू तय किया हो। जय, महीनों पहले से इस पर काम कर रहे थे, वे स्टेडियम भी देख गए थे जब रायपुर होकर कान्हा किसली अभ्यारण्य गए। श्रेय कोई भी ले छत्तीसगढ़ वासियों को अपने स्टार क्रिकेटर को लाइव देखने का अवसर मिल रहा है।

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