राजपथ - जनपथ

न्यौते का मौका
प्रदेश भाजपा के बड़े नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही है। इसमें रमन सिंह, विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह, नारायण चंदेल, अजय चंद्राकर, अजय जामवाल, और पवन साय हिस्सा ले रहे हैं। इससे परे धरमलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल, और प्रेमप्रकाश पाण्डेय भी दिल्ली में डटे हैं। ये निजी काम से आए हैं।
बताते हैं कि कौशिक के बेटे की शादी 30 तारीख को बिलासपुर में है। वो पार्टी नेताओं को निमंत्रण पत्र बांटने आए हैं। बृजमोहन भी प्रेमप्रकाश पाण्डेय के साथ निमंत्रण पत्र बांट रहे हैं। बृजमोहन की बेटी की शादी भी 5 और 6 फरवरी को रायपुर में है। चूंकि भाजपा के सारे बड़े नेता दिल्ली में ही हैं। ऐसे में निमंत्रण पत्र बांटने के लिए उचित अवसर भी है। इन विवाह समारोहों में शिरकत करने पार्टी के कई राष्ट्रीय नेता आ सकते हैं।
जब सैंया भये कोतवाल...
जगह-जगह करिश्मे के दावे करके विवादों में घिरे हुए, और अभी नागपुर में अंधविश्वास निर्मूलन समिति की चुनौती की वजह से पूर्व घोषित कार्यक्रम छोडक़र भागे हुए मध्यप्रदेश के एक स्वघोषित चमत्कारी, बागेश्वरधाम सरकार का रायपुर आना हुआ है, और इस बार यहां पर उनके कार्यक्रम का बीड़ा शहर विधायक विकास उपाध्याय ने उठाया है। कल शहर की सडक़ों पर सैकड़ों लोगों के साथ विकास उपाध्याय संगीत पर नाचते दिखे जो कि बागेश्वरधाम सरकार की कलश यात्रा बताई गई। इसके बाद आज विकास उपाध्याय इस चर्चित और विवादास्पद ‘सरकार’ का स्वागत करते दिखे। अब चुनाव सामने हैं इसलिए लडऩे की तैयारी में लोग शंकर से लेकर राम तक की कथा करवा रहे हैं। विकास उपाध्याय लगातार एक के बाद दूसरा ऐसा कार्यक्रम करवा रहे हैं। अब वे पुलिस विभाग से जुड़े हुए संसदीय सचिव भी हैं, और ऐसे में इस विवादास्पद बागेश्वरधाम सरकार के खिलाफ चमत्कार के दावों की शिकायतों पर पुलिस भला क्या कर लेगी! अभी तो पुलिस का हाल यह है कि किसी भी धर्मस्थल पर बजते लाउडस्पीकरों की शिकायत करने पर, पुलिस वहां जाकर शोर करते पोंगे का मुंह दूसरी तरफ करवा देती है ताकि लगातार शिकायत करने वाले लोगों की तरफ शोर सीधा न जाए। ऐसे में विकास उपाध्याय जैसा जजमान हो तो कोई भी चमत्कारी कानून तोड़ते हुए भी हिफाजत से लौट सकता है।
लडक़ी के लडऩे का सही मौका
प्रियंका गांधी उत्तरप्रदेश और हिमाचल चुनाव के चलते छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, और उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के बहुत करीब रही हैं। और इसे दिल्ली में भूपेश बघेल की बड़ी ताकत कहा जाता है। अब प्रियंका ने उत्तरप्रदेश में 40 फीसदी सीटें लड़कियों और महिलाओं को देने की बात कही थी, यह सही मौका है कि छत्तीसगढ़ में भी 40 फीसदी सीटें इस तबके को दी जाएं। यहां गांव-गांव तक हर जाति और आरक्षित वर्ग की महिलाएं पंच और सरपंच बनते आई हैं, शहरों में वे पार्षद और महापौर तक बन रही हैं। इसलिए यह तर्क बिल्कुल फिजूल का रहेगा कि पर्याप्त महिला उम्मीदवार नहीं मिलेंगीं। इन्हीं 90 विधानसभा सीटों पर जब हजारों निर्वाचित महिला पंच-सरपंच, और पार्षद हैं, तो फिर 35-40 महिला विधानसभा चुनाव उम्मीदवार क्यों नहीं मिल सकतीं? और अब तो कांग्रेस पार्टी की तरफ से छत्तीसगढ़ की प्रभारी भी एक महिला, कुमारी शैलजा है, इसलिए छत्तीसगढ़ के लोगों को यह मांग उठानी चाहिए।
आसमान से फायरिंग मानने में दिक्कत
छत्तीसगढ़ के बस्तर में हेलीकाप्टर से हुए, जवाबी कहे जा रहे, गोलियों के हमले से नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, लेकिन तीन दिन पहले जब यह घटना हुई तो उसके बाद देर तक कोई भी अफसर कुछ भी कहने को तैयार नहीं थे, बाद में अगले दिन सीआरपीएफ ने एक बयान जारी किया क्योंकि हेलीकाप्टर में सीआरपीएफ के जवान ही थे, और जमीन से नक्सलियों की चलाई गई गोलियों के जवाब में गोली चलाने की खबरें चारों तरफ आ चुकी थीं। लेकिन सीआरपीएफ का यह बयान बहुत ही चतुराई के साथ लिखा गया था, और इसमें इतना तो लिखा गया कि हेलीकाप्टर से उतरते वक्त कोबरा बटालियन और नक्सलियों के बीच फायरिंग हुई, लेकिन एक शब्द भी ऐसा नहीं लिखा गया जिससे कि यह स्थापित हो कि हेलीकाप्टर सवार जवानों ने फायरिंग की थी। सरकार नक्सलियों पर जवाबी हमले के रूप में भी हेलीकाप्टर से फायरिंग की बात को मंजूर नहीं कर रही है, जबकि सीआरपीएफ के भीतरी रिकॉर्डों में इसे हवा से जमीन पर गोलीबारी बताया गया।
मीठा बुलवाने का तरीका
सुप्रीम कोर्ट इस बात को लेकर बहुत खफा है कि टीवी चैनलों के एंकर अपने मैनेजमेंट के उकसावे से हवा में साम्प्रदायिक जहर घोलने में लगे हुए हैं। उसने सरकार से बड़े कड़े सवाल भी किए हैं। अभी मकरसंक्रांति पर तिल-गुड़ के लड्डुओं के बीच किसी ने यह सलाह दी कि ऐसे तमाम एंकरों को कटघरे में खड़ा करके सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि उनके मुंह ऐसे लड्डुओं से भरकर कुछ दिन रखने की सजा उन्हें सुनाई जाए, ताकि बाद में उनके मुंह से कुछ मीठा-मीठा भी निकल सके। देश के सबसे जहरीले टीवी एंकरों की आज की व्यवस्था में भारी इज्जत है, और जब तक सुप्रीम कोर्ट कुछ को सजा न सुनाए, वे अपने आकाओं के सामने अब शहीद की तरह खड़े हो जाएंगे कि सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी झेलकर भी वे नफरत फैलाने में लगे हुए हैं।
यह है भूतिया तीखी मिर्च
नागालैंड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नागा सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री तेमजे इमना अलोंग कई दिलचस्प पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं, जो हमें पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सामाजिक गतिविधियों से रूबरू कराती है। हाल में उन्होंने भूतिया मिर्च के बारे में जानकारी दी। असम, मणिपुर, नागालैंड के अलावा भूटान मैं भी इसकी खेती होती है। सन् 2007 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने प्रमाणित किया कि यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्ची है। तीखापन नापने का एक पैमाना है स्कोविल हीट यूनिट (एसएचयू)। इसमें 10 लाख यूनिट मौजूद होता है। दिलचस्प यह है कि इसको तीखेपन के कारण भूतिया नहीं कहा जाता बल्कि भूटान का अपभ्रंश भूतानी या भूत हो गया। असम में इसे तेजपुर मिर्ची कहते हैं। कहीं-कहीं इसे किंग कोबरा चिली के नाम से भी जाना जाता है। सबसे तीखी मिर्च उगाने की होड़ में सन् 2011 में त्रिनिदाद ने एक स्कॉर्पियन बुच की नाम की मिर्ची उगाई । आगे बढ़ गई पर बाद में फिर भूतिया मिर्ची से पिछड़ गई। सन् 2012 में कैरोलिना रिपर नाम की मिर्ची ने गिनीज बुक में जगह बना ली थी। फिर से भूतिया मिर्च ने उसे पीछे कर दिया।
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक भोजन में तीखी मिर्च का होना जरूरी है। नए चावल का चीला हरी मिर्च की चटनी के साथ, इस मौसम में खूब प्रचलित है। बीज विक्रेता बताते हैं कि भूतिया मिर्ची यहां भी उगाई जाती है लेकिन व्यावसायिक तौर पर नहीं। मिर्च के थोक व्यापारी भी इसे मंगाते हैं। यानि छत्तीसगढ़ में इसकी खपत है। विदेशों में इसकी काफी मांग है। अमेरिका में कुछ लोकप्रिय ब्रांड के सॉस इसी से बनाए जाते हैं। वाड्रफनगर में जईया नाम की मिर्च उगाई जाती है जो काफी तीखी होती है। यह कोलेस्ट्राल और मधुमेह के लिए भी उपयोगी है। बस्तर में कई जगह बड़े पैमाने पर मिर्च की फसल ली जाती है, जिसका दूसरे राज्यों में निर्यात भी होता है।
सरकारी दवाएं मिल रही कूड़ेदान में
रतनपुर नगर की स्वच्छता दीदियां कचरा गाडिय़ों में सरकारी दवाएं कूड़ेदान तक पहुंचा रही थीं। लोगों ने देखा तो उसे निकालकर बस-स्टैंड के पास बाजार में सजा दिया। बताया गया है कि यह तो कूड़ेदान में फेंकी गई दवाओं का एक थोड़ा सा हिस्सा है। पूरा माल कचरे के ढेर से निकाला जा सकेगा।