राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चैट से फैलती नफरत
21-Jan-2023 4:31 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चैट से फैलती नफरत

चैट से फैलती नफरत

इन दिनों मीडिया में तैर रहे छत्तीसगढ़ के कई अफसरों के कहे जा रहे चैट को लेकर बड़ी सनसनी फैली हुई है। लोगों को यह भी हैरानी हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट में ईडी के दाखिल किए हुए चैट किस तरह बाहर आ रहे हैं। लेकिन वह एक अलग बहस हो सकती है कि वे किस तरह बाहर आए हैं, वे चैट क्या कहते हंै, यह बहस बुनियादी होनी चाहिए। लिफाफे पर क्यों झगडऩा जब खत का मजमूं बहस के लिए मौजूद है। फिलहाल मीडिया में न सही, लोगों के बीच तो यह बहस चल ही रही है, और कई लोगों का आपसी विश्वास अब कुछ बरस बाद जाकर चूर-चूर हो जा रहा है कि उनके करीबी लोग उनके बारे में कैसी सोच रखते थे। ऐसी चैट पर कानूनी कार्रवाई तो कहां तक पहुंचेगी यह तो पता नहीं, लेकिन लोगों में एक-दूसरे के खिलाफ नफरत तो इससे फैल ही रही है।
अब किस राजधानी में बैठकर कौन से भूतपूर्व या वर्तमान अफसर ऐसी जानकारियां फैला रहे हैं, इन्हें लेकर अटकलें चल ही रही हैं। जितने मुंह, उतनी बातें। फिलहाल हर दिन कुछ लोग ऐसे कई और दस्तावेज मुहैया कराने की बात कर रहे हैं, और इन्हें पढक़र भी लोग अपने मन का फैसला लेते हैं, हर बात के लिए अदालती फैसला जरूरी नहीं होता।

अजय को महत्व की चर्चा

पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर पार्टी के ताकतवर नेता बृजमोहन अग्रवाल से आगे निकल गए हंै। अजय, बृजमोहन के साथ हमसाए की तरह रहे हैं, लेकिन अब उनकी दिल्ली दरबार में अलग पैठ बन चुकी है। अजय राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य हैं। और दो दिन पहले दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के तमाम बड़े नेताओं से काफी कुछ चर्चा हुई थी।
कार्यसमिति निपटने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने उन्हें अपने निवास बुलवाया, और छत्तीसगढ़ की राजनीतिक स्थिति पर घंटेभर चर्चा की।  यह सब तब हुआ, जब बृजमोहन अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण देने के लिए दिल्ली में ही थे, और वो नड्डा से मेल-मुलाकात की कोशिश में थे। बृजमोहन के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पांडेय भी थे। अजय को हाईकमान जिस तरह महत्व दे रहा है, उसकी पार्टी के भीतर खूब चर्चा हो रही है।

दूसरी शादी

मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह का सीजन शुरू हो गया है। अब एक आईएएस दोबारा परिणय सूत्र में बंधने जा रहे हैं। पहली शादी का विच्छेद हो गया है। दूसरी शादी दिल्ली की रहने वाली आईआरएस अफसर से तय हुई है। फरवरी में शादी होगी। अफसर ने शादी को लेकर ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं दी है, और सादे समारोह में शादी निपटाने के मूड में है। अलबत्ता, विभाग में जरूर इसको लेकर कानाफूसी हो रही है।

नाराजगी जताने जूतों की माला!

सूरजपुर के जनपद पंचायत अध्यक्ष जगलाल सिंह जूतों की माला लटकाए अपने कार्यालय पहुंचे। किसी और ने नहीं, उन्होंने इसे खुद पहना था। कांग्रेस समर्थक इस जनप्रतिनिधि को शिकायत है कि यातायात सुरक्षा सप्ताह के समापन पर आयोजित कार्यक्रम में अफसरों और दूसरे जनप्रतिनिधियों को मंच पर बुलाया गया लेकिन वे सामने बैठे रहे, बुलाना तो दूर किसी ने नाम लेने की औपचारिकता भी नहीं निभाई। वे 108 गांवों के 2.5 लाख लोगों के प्रतिनिधि हैं। ऐसी उपेक्षा क्यों? उनका कहना है कि वे इसी तरह रायपुर में पार्टी नेताओं से मिलने जाएंगे और अधिकारियों की शिकायत करेंगे।
जगलाल जी को समझना चाहिए कि ऐसी उपेक्षा तो कुछ मंत्रियों और विधायकों की भी अक्सर हो जाती है। आपकी परवाह क्या कोई करेगा?

सिंहदेव समर्थकों से भाजपा की उम्मीद      

सरगुजा में भाजपा कार्यसमिति की बैठक हुई। संभाग में 14 सीटें हैं। सन् 2018 के चुनाव में भाजपा यहां पूरी तरह  साफ हो गई और कोई सीट नहीं मिली। हालांकि इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में रेणुका सिंह ने जीत दर्ज की जो अब केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। शनिवार को यहां जनजाति अधिकार सम्मेलन भी रखा गया है। वैसे तो बस्तर सहित प्रदेश के सभी संभागों में बैठक और सम्मेलन होने वाले हैं, पर सरगुजा से  इन दिनों भाजपा को एक अलग संभावना दिख रही है। निगाह सरगुजा के कद्दावर केबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थकों के रुख पर है। सिंहदेव ने स्वयं के बारे में हाल में स्पष्ट कर दिया है कि वे कभी भी भाजपा में नहीं जाएंगे। उनके सिद्धांत और विचारों से वे असहमत हैं, पीढिय़ों से परिवार कांग्रेस में ही रहा है। सिंहदेव अगला चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर भी असमंजस में हैं। पर, इस ऊहापोह में उनके भरोसे राजनीति कर रहे, सत्ता का आनंद उठा रहे समर्थकों में बेचैनी है। उन्हें अपने राजनीतिक ठिकाने की चिंता तो होगी? मुमकिन है, कुछ लोग सरगुजा में प्रभाव रखने वाले कांग्रेस के दूसरे खेमे से नजदीकी बढ़ाएंगे तो कई लोग सिंहदेव के प्रति निष्ठा बनाए रखते हुए राजनीतिक गतिविधियां सीमित कर लेंगे। पर, बहुत से लोग ऐसे भी होंगे, जिनको भाजपा टटोल सकती है। कार्यसमिति की बैठक में पहुंचे विधायक व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के बयान से यह साफ होता है कि भाजपा मान रही है कि सीधे-सीधे सिंहदेव को भाजपा में नहीं लाया जा सकता। चंद्राकर ने पत्रकारों से कहा- हमने उन्हें बुलाया ही नहीं है, पर सरगुजावासी कांग्रेस को हराकर सिंहदेव के अपमान का बदला लें। जाहिर है, सिंहदेव के सरगुजावासी समर्थक उनकी यह बात सुन रहे होंगे।   

इज्जत से पीने का इंतजाम हो...

प्रदेश सरकार के खजाने में अच्छा-खासा योगदान देने के बावजूद मदिरा प्रेमी सुविधाओं के लिए तरसते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी सुनेगा कौन? फिर शराब पीने की उनकी आदत जगजाहिर हो जाएगी, इससे बदनामी होगी, और शिकायत नहीं करते। मगर, सरगुजा के एक ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ ने उनके अधिकार की आवाज उठाई है। जन-चौपाल में उन्होंने कलेक्टर को आवेदन दिया है, जिसमें लिखा है कि शहर में संचालित शराब दुकानों में शेड नहीं होने के कारण मदिरापान के लिए भटकना पड़ता है। अनेक बार उन्हें घोर अपमान का सामना करना पड़ता है। मदिरा दुकान परिसर में बिजली, पानी, पंखे की सुविधा सहित शेड निर्माण कराएं ताकि मद्यपान निर्भय होकर किया जा सके।
वैसे, उम्मीद नहीं है कि आबकारी अधिकारी यह मांग पूरी होने देंगे, क्योंकि इससे शराब दुकानों के पास चल रही चखना दुकानों से हो रही उनकी ऊपरी कमाई मारी जाएगी।

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