राजपथ - जनपथ
धान से एथेनॉल बनाना अभी दूर
सन् 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के कुछ समय बाद ही अगस्त 2019 में मंत्रिपरिषद् ने एक एथेनॉल पॉसिली को मंजूरी दी थी। इसका मकसद था कि अतिशेष धान का बायोफ्यूल बनाया जाए, जिससे किसानों को लाभ हो तथा सरकार को भी 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीदी के चलते होने वाला नुकसान कुछ कम हो। अभी धरसीवां में भेंट मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की गई कि प्रति एकड़ 15 क्विंटल की जगह सरकार 20 क्विंटल खरीदी करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केंद्र धान से एथेनॉल बनाने की मंजूरी दे देगी तो हम एक-एक दाना खरीद लेंगे।
केंद्र ने गन्ना और मक्का से एथेनॉल बनाने की मंजूरी पहले से दे रखी है। इधर तीन साल से राज्य सरकार का प्रयास है कि धान की मंजूरी मिले। दो साल पहले सीएम ने तब के केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने प्रेजेंटेशन रखा था कि धान से एथेनॉल बनाने की मंजूरी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए भी जरूरी है।
राज्य सरकार ने एथेनॉल बनाने के लिए 12 कंपनियों से एमओयू किया है। यह धान की अनुमति मिलने की प्रत्याशा में है। धान पर परिस्थिति विशेष है। इससे एथेनॉल उत्पादन के लिए केंद्र को पेट्रोलियम, कृषि और खाद्य मंत्रालय से एनओसी की जरूरत होती है। पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने कहा था कि वह अपनी पॉलिसी में बदलाव लाएगी, जिससे मंजूरी देने में आसानी हो। मुख्यमंत्री के ताजा बयान से स्पष्ट है कि अब तक नई नीति लाई नहीं गई है। दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा के हिमायती लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के पास यदि अतिरिक्त धान है तो रियायती मूल्य पर प्रति व्यक्ति 7 किलो चावल को बढ़ाकर 10 या 12 किलो कर देना चाहिए। अभी गरीबों को अतिरिक्त चावल बाजार से खरीदना पड़ता है। पर, ऐसे में मिलिंग और ट्रांसपोर्टिंग का खर्च सरकार को ही उठाना पड़ेगा। गरीबों को इससे अतिरिक्त राहत तो मिल सकती है पर सरकार को धान खरीदी में होने वाला घाटा और बढ़ेगा। सन् 2021 का आंकड़ा है कि सरकार ने करीब 5500 करोड़ रुपये का नुकसान धान खरीदी से उठाया। वाणिज्यिक पक्ष यह है कि सरकार 2500 रुपये में धान खरीदकर बायोफ्यूल संयंत्रों को उसी दाम पर नहीं बेच पाएगी। ऐसे में एथेनॉल की लागत पेट्रोल या डीजल के बराबर या उससे अधिक चली जाएगी। सरकार को पिछले साल लाखों क्विंटल अतिरिक्त धान सडऩे से बचाने के लिए खुली नीलामी में बेचना पड़ा था, प्रति क्विंटल करीब 1000 हजार रुपये के नुकसान पर। एथेनॉल प्लांट लगाने वाली कंपनियों को सरकार से ऐसे ही किसी सहूलियत की उम्मीद होगी। एथेनॉल प्रोजेक्ट कांग्रेस सरकार की पहले-पहल घोषित की गई योजनाओं में शामिल है। तीन साल से अधिक गुजर जाने के बाद भी अभी यह दूर की कौड़ी लग रही है। आज अगर धान को मंजूरी मिल जाए तब भी उत्पादन शुरू होने में दो साल लग जाएंगे। कहीं इसका भी हश्र भाजपा सरकार की डीजल मिलेगा बाड़ी से, वाली रतनजोत योजना की तरह न हो जाए।
ठठरी बांध दूंगा का मतलब
राजधानी रायपुर में प्रवचन देने के लिए पहुंचे बागेश्वरधाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री को अंधश्रद्धा के खिलाफ अभियान चलाने वाले संगठन, समाजसेवी चुनौती दे रहे हैं कि वे चमत्कार करके दिखाएं। शास्त्री ने अपने ऐसे विरोधियों के लिए एक वाक्य का इस्तेमाल कई बार किया- ठठरी बांध दूंगा। अपने यहां यह शब्द कम प्रचलित है। गूगल पर ठठरी का पर्यायवाची शब्द तलाश किया गया। जो उत्तर मिला वह आपके सामने है- ठठरी यानि कंकाल, अस्थि अस्थिपंजर। एक अर्थ अर्थी भी है। बांस या लकड़ी का वह सामान जिसमें शव को श्मशान तक ले जाया जाता है। ठठरी बांध दूंगा का अर्थ हुआ- अर्थी बांध दूंगा।
छत्तीसगढ़ में अंधश्रद्धा उन्मूलन अभियान में सक्रिय डॉ. दिनेश मिश्र की इस बारे में प्रतिक्रिया है- कोई व्यक्ति, दूसरे के लिए बार-बार कथा के दौरान ठठरी बांध देने की बात कैसे कह सकता है, किसी की मृत्यु की बात क्या मर्यादा के अनुकूल है? हम विचारों में भिन्नता रखते हुए भी एक दूसरे के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने वाले लोग हैं, न कि ठठरी बांधने की धमकी देने वाले संत पुरुष।
अफसरों का विदेश प्रवास
छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर अधिकारियों के विदेश प्रवास की जानकारी का पेज बना हुआ है। यह एक और बात है कि पिछले पौने तीन साल से किसी भी अधिकारी के विदेश प्रवास की कोई जानकारी वहाँ नहीं डाली गयी है। उसके पहले के जिन अफ़सरों के प्रवास की जानकारी है उसमें भी खर्चों की आखिरी जानकारी 2013 में राव के जर्मनी प्रवास की है, उसके बाद से किसी अफ़सर के प्रवास का कोई ख़र्च नहीं दर्ज किया गया है। दिलचस्प बात यह भी है कि इस वेबसाइट में अफ़सरों से जुड़ी दूसरी जानकारी देखने के लिए लॉगिन करना ज़रूरी बताया गया है, लेकिन अगर यह जानकारी सार्वजनिक है तो इसके लिए आम लोगों के लॉगिन करने का कोई इंतज़ाम इसमें नहीं दिखाया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग की इस वेबसाइट पर आखऱिी विदेश प्रवास प्रियंका शुक्ला का मार्च 2020 का है, उसके बाद से किसी की कोई जानकारी है इसमें दर्ज नहीं की गई है। इसी पेज पर अफ़सरों के विदेश प्रवास के बाद एक महीने के भीतर उनके ख़र्च की रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग में दाख़िल करने का सर्कुलर डला है, लेकिन 2013 के बाद से कोई ख़र्च वेबसाइट पर नहीं डाला गया है। देशों के नाम के हिज्जे भी देखने लायक़ हैं।
वल्र्ड रिकॉर्ड की तैयारी
बस्तर के आसिफ एक साल पहले तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने बैम्बू की साइकिल बनाई थी। वे रोजाना करीब 50 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। अब उनका इरादा साइकिलिंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड तोडऩे का है। इसके लिए उन्होंने बस्तर से रायपुर की यात्रा करने की योजना बनाई थी, जिसे गिनीज बुक की टीम ने खारिज कर दिया। उसके बाद उन्होंने स्टेडियम में बने रनिंग ट्रैक की मंजूरी मांगी। खेल विभाग ने कह दिया कि यह ट्रैक दौडऩे के लिए है, साइकिल चलाने के लिए नहीं। अब खेल परिसर में एक खास ट्रैक कलेक्टर कुंदन कुमार की पहल पर तैयार किया जा रहा है। 24 जनवरी और 27 जनवरी को वे इसका पूर्वाभ्यास करने जा रहे हैं। पहले 12 घंटे में 280 किलोमीटर, फिर दूसरी बार 300 किलोमीटर चलाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
चंदेल मामले से कैसे निपटेगी भाजपा?
छत्तीसगढ़ की सत्ता में दुबारा वापसी के लिए भाजपा दसों दिशाओं से अभियान चला रही है। (दसों दिशा, उन्हीं के नेता कह रहे हैं)। इसी रणनीति के तहत नेता प्रतिपक्ष बदला गया और कुछ माह पहले नारायण चंदेल की नियुक्ति की गई थी। विपक्ष में रहते हुए किसी भी दल के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण पद होता है। चंदेल को नए और अधिक युवा चेहरे के रूप में लाया गया था, वरना पहले से यह पद ओबीसी वर्ग के धरमलाल कौशिक के पास ही था। चंदेल के बेटे पर दुष्कर्म की एफआईआर ने अब भाजपा को बड़ा झटका दे दिया है। रणनीति बिगड़ गई है। चंदेल के गृह जिले सहित जगदलपुर से लेकर रायगढ़ तक उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है, पुतले फूंके जा रहे हैं। महिला संबंधी अपराध पर सिर्फ एफआईआर दर्ज हो जाना ही बहुत गंभीर माना जाता है। झारखंड में इसी तरह के एक मामले में भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम के खिलाफ केस दर्ज होने का भानुप्रतापपुर उप-चुनाव में पार्टी को पर्याप्त नुकसान हुआ था। कहा जा सकता है कि बेटे के अपराध में पिता को सजा क्यों? चंदेल के बचाव में यह बात कही भी जा रही है। लखीमपुर खीरी मामले में किसानों को रौंदने के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पद पर बने रहने का उदाहरण भी दिया जा रहा है। यदि ऐसा है तो चंदेल की भी कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है। पर यह भी देखना होगा कि महिलाओं पर अपराध के मामले में भाजपा कांग्रेस को कितना घेर पाएगी। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बिलासपुर में जो बड़ी रैली की थी, उसका नाम ही था- महतारी हुंकार रैली।