राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : उदय किरण को भेजने का मतलब?
03-Feb-2023 3:24 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : उदय किरण को भेजने का मतलब?

उदय किरण को भेजने का मतलब?

कोरबा जिले में उदय किरण के एसपी बनकर पहुंचने के बाद एक बड़ा संघर्ष शुरू होने का खतरा दिख रहा है। वे इसी जिले में अभी कुछ समय पहले एडिशनल एसपी थे। और अपने आक्रामक मिजाज के साथ उन्होंने जिले के ताकतवर मंत्री जयसिंह अग्रवाल के कई पसंदीदा, करीबी, और विवादास्पद लोगों पर हाथ डाला था। अब वे जिले के पुलिस कप्तान होकर वहां पहुंचे हैं, और जयसिंह के साथ उनके सांप-नेवले जैसे मधुर संबंध जगजाहिर हैं। चुनाव के कुछ महीने पहले इस जिले में उदय किरण को भेजना सरकार का एक रूख भी बताता है क्योंकि एक के बाद दूसरे कलेक्टर को सार्वजनिक रूप से भ्रष्ट करार देकर जयसिंह सीधे मुख्यमंत्री पर हमला बोलते आए हैं। जयसिंह की कोरबा के हर, और हर किस्म के कारोबार में दखल रहती है। उनके लोग भी हर तरह के हैं, और उनमें से बहुतों के खिलाफ बहुत किस्म के आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। इसलिए उनकी पसंद को दबोचने में अधिक मेहनत भी नहीं लगने वाली है, बस एसपी को राजधानी से हरी झंडी मिलने की जरूरत है। उदय किरण की कोरबा में पोस्टिंग अपने आपमें यह हरी झंडी मानी जा रही है, और इसके बाद देखना होगा कि मुख्यमंत्री को चुनौती वाले तेवर दिखाने वाले जयसिंह अब क्या करते हैं। कोरबा अफसरों और नेताओं के लिए सैकड़ों करोड़ सालाना कमाई की जगह है, और इसमें हिस्से-बांटे का संघर्ष भी चलते ही रहता है। राज्य का सबसे बड़ा कोयला-उगाही कारोबार भी इसी कोरबा में केन्द्रित था जो कि अब अदालत में उजागर हो रहा है। ऐसी जगह पर उदय किरण जैसे तेवर वाले अफसर के आने से राजनीतिक समीकरण भी करवट बदलेंगे, और लोगों की कमाई भी तिजौरियां बदलेगी।

बड़ा वकील क्यों नहीं?

कानून के अच्छे-खासे जानकार, राज्य के एक सबसे बड़े अफसर ने अभी इस बात पर हैरानी जाहिर की कि इतनी बड़ी कमाई के बाद भी लोग जेल पहुंचने के बाद भी अपने लिए किसी बड़े वकील का इंतजाम क्यों नहीं कर रहे हैं? दूसरे कई तरह के मामलों में फंसे हुए इस राज्य के लोग सुप्रीम कोर्ट के नामी-गिरामी वकीलों को लेकर आते रहे हैं, लेकिन अभी माहौल कुछ ठंडा दिखाई पड़ रहा है। पता नहीं अभी शांत बैठने की यह रणनीति किसी बहुत बड़े वकील की मोटी फीस लेकर सुझाई गई रणनीति तो नहीं है?

शिक्षक की कुर्सी किराए पर

स्कूूल शिक्षा विभाग की प्रशंसा के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। पर ये जरा हटकर है। कसडोल विकासखंड के देवरूम की प्राथमिक पाठशाला में बच्चों को जो शिक्षिका पढ़ाने आती थी, उसे दरअसल शिक्षक समीर मिश्रा ने नौकरी पर रखा था। शाला के खुद गायब रहता था, शिक्षिका को पढ़ाने के एवज में 4000 रुपए महीने का भुगतान करता था। हालांकि महिला का कहना था काम पर रखते समय उसे 6000 देने की बात की गई थी, पर मजबूरी में चार हजार मिलने से ही संतुष्ट होना पड़ा। शिकायत सही पाए जाने पर कलेक्टर रजत बंसल ने उसे निलंबित कर दिया। पर महिला शिक्षक फिर से बेरोजगार हो गई है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने तय किया है कि अब कम वेतन पाने वाले शिक्षा कर्मियों की भर्ती नहीं की जाएगी। इसकी जगह नियमित नियुक्ति की जाएगी। बचे शिक्षा कर्मियों को बारी आने पर नियमित भी किया जा रहा है। पर यह घटना दर्शाती है कि कम वेतन पर भी काम करने वालों की कतार लगी हुई है। ज्यादा पाने वाले कई लोग यहां-वहां लुढक़े हुए मिल रहे हैं।

भविष्य की फसल लेकिन..

पहली बार सुनने पर आश्चर्य हो सकता है कि कोई चावल काले रंग का भी हो सकता है। ब्लैक राइस नाम में, रंग में, पकाने में, सब में काला है। यह नई पीढ़ी की फसल है, जिसकी खेती छत्तीसगढ़ में भी होने लगी है। पहले सिर्फ मणिपुर और असम में होती थी। कोरबा और जीपीएम जिले में कुछ किसानों ने इसे प्रायोगिक तौर पर उगाना शुरू किया है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट कॉफी से भी अधिक है, कैंसर रोधी गुण भी पाए गए हैं। क्वालिटी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 200 से लेकर 1000 रुपए किलो तक बिक रहा है। वैसे भी भारत चावल निर्यातक देश है, ब्लैक राइस की भी विदेशों में बड़ी मांग है।

यह तो इस काले उत्पाद का उजला पक्ष है, पर सावधानी रखी गई तो बरबादी भी है। यूपी के चंदौली जिले में कलेक्टर ने अति उत्साह दिखाया। वहां 500 हेक्टेयर में किसानों को यह फसल लेने के लिए प्रेरित किया गया। चर्चा इतनी हुई कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी 20 मार्च 2022 के मन की बात में किसानों और कलेक्टर को सराहा। पर फसल आई तो क्वालिटी खराब निकली। विदेशी क्या देश के व्यापारियों ने भी लेने से मना कर दिया। चंदौली के किसान करीब दो करोड़ रुपए के कर्ज में डूब गए। बहुत सा कर्ज साहूकारों से लिया गया था। दरअसल इसके बीज काफी महंगे हैं, पानी और ऑर्गेनिक खाद पर भी अधिक खर्च होता है। फसल दूसरे धान से आधी मिलती है, मौसम का एक झटके में असर होता है। बहुत से किसान अपने प्रदेश में हैं, जो नए प्रयोग करते रहते हैं। सरकार भी इनको प्रोत्साहित करती है। काले चावल का आकर्षण भी नया है, पर लागत, उत्पादन, क्वालिटी और बाजार की स्थिति क्या है, इसका अध्ययन किए बिना इसकी खेती में उतरना जोखिम भरा हो सकता है। वैसे कृषि वैज्ञानिक काले धन की संकर किस्में और हाइब्रिड बीज पर शोध कर रहे हैं, जिससे मजबूत फसल की भविष्य में संभावना बनी हुई है।

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