राजपथ - जनपथ

चावला ने सुबूत माँगे !
एआईसीसी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, और प्रदेश के प्रभारी महामंत्री अमरजीत चावला को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने का आरोप लगाकर नोटिस तो जारी कर दिया है, लेकिन कार्रवाई आसान नहीं है। नेताम ने तो एक तरह से पार्टी छोड़ दिया था, और उन्होंने भानुप्रतापपुर चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी का समर्थन किया था। ऐसे में उन्हें नोटिस की परवाह नहीं है, और वो जवाब देंगे, इसकी संभावना भी कम है। लेकिन चावला का मामला एकदम अलग है।
चावला को तीन बिंदुओं पर जवाब देने के लिए कहा गया। सुनते हैं कि चावला ने अनुशासन कमेटी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपने खिलाफ आरोपों के प्रमाण उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। ताकि जवाब देने में सहुलियत हो सके। कुल मिलाकर मामला उलझ गया है। अनुशासन कमेटी के अध्यक्ष तारिक अनवर ने कहा कि जवाब मिलने के बाद कमेटी की बैठक होगी, इसमें जवाब का परीक्षण किया जाएगा। संतोष जनक जवाब न मिलने पर कार्रवाई होगी। चर्चा है कि पार्टी के कई सीनियर नेता चावला के समर्थन में आगे आ गए हैं। यही नहीं, चावला को तीन कमेटियों का संयोजक बनाया गया है। ऐसे में अधिवेशन निपटने तक कुछ होने की संभावना क्षीण नजर रही है।
मामला डीएमएफ तक पहुँच ही गया
ईडी ने बुधवार को कोरबा जिला दफ्तर में दबिश देकर दस्तावेज खंगाले हैं। बताते हैं कि ईडी की टीम वेंडरों की सूची लेकर पहुंची थी, और डीएमएफ से भुगतान की बारीक पड़ताल की। पिछले तीन साल में डीएमएफ से भुगतान से जुड़े दस्तावेज खंगाले गए हैं। ईडी सूत्रों का दावा है कि ये वेंडर सूर्यकांत तिवारी के नजदीक रहे हैं, और उनके इशारे में ऑर्डर और भुगतान किया गया है। कुछ चुनिंदा वेंडरों को कई जिलों में काम दिया गया। कमिशन की राशि भी सूर्यकांत और उनसे जुड़े लोगों तक पहुंची है। ईडी की टीम कुछ और जिलों में दबिश दे सकती है। अब इसमें सच्चाई कितनी है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
मोहब्बत फैलाती दारू
सोशल मीडिया पर अभी उत्तरप्रदेश की बनी हुई देशी शराब की एक बोतल सामने आई। बाजार के तौर-तरीकों के मुताबिक अब सामानों के दाम बढ़ाने के पहले उनके वजन और आकार को कम करने का काम किया जाता है ताकि लोगों पर एकदम से चोट पहुंची हुई न लगे। इसी के मुताबिक देशी दारू का यह पौव्वा ढाई सौ एमएल के बजाय दो सौ एमएल का है। सहारनपुर की बनी हुई यह शराब लगता है कि उत्तरप्रदेश का ब्रांड है जिसका नाम बड़ा दिलचस्प है। डार्लिंग नाम की यह देशी दारू अपने नाम के मुताबिक मसालेदार है। अब जब दारू बनाने, बेचने, और पीने की बात हो, तो फिर भारतीय संस्कृति और हिन्दुत्व आंखें बंद कर लेते हैं। डार्लिंग नाम से उन लोगों की भावनाएं भी आहत नहीं हो रहीं, जो अभी परसों ही प्रेमी-प्रेमिकाओं को पीटकर हटे हैं। फिर भी एक हिसाब से यह नाम अच्छा है कि इससे मोहब्बत निकलती है, नफरत नहीं।
इन दोनों की सोच एक!
भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री और उनकी सरकार से असहमत चलते रहते हैं, और वे एक किस्म से घरेलू ऑडिटर सरीखे हैं जो कि पार्टी की और सरकार की गलतियों को गिनाते रहते हैं। वे घोर हिन्दुत्ववादी, मंदिरमार्गी, और कम्युनिस्टों से नफरत करने वाले हैं। वे चीन के साथ भारत के संबंधों के सख्त खिलाफ भी हैं, और चीनी सरहद पर मोदी सरकार की चुप्पी के खिलाफ लगातार हमले भी करते हैं। लेकिन एक मामले में वे भारत के माओवादी नक्सलियों के साथ एक तरह की सोच रखते हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी लगातार अडानी के खिलाफ हमला बोल रहे हैं, और उन्होंने यह खुली मांग की है कि अडानी के तमाम कारोबार का राष्ट्रीयकरण किया जाए। दूसरी तरफ कल बस्तर में दंडकारण्य माओवादी कमेटी ने एक बयान जारी करके अडानी की सारी सम्पत्ति के राष्ट्रीयकरण की मांग की है। नक्सलियों ने अडानी के खिलाफ जितने तरह के आरोप लगाए हैं, वे ही सारे आरोप सुब्रमण्यम स्वामी भी लगाते हैं। अब अडानी के मामले में देश के नक्सली और देश के सबसे कट्टर हिन्दुत्ववादी सुब्रमण्यम स्वामी बिल्कुल एक तरह की सोच रख रहे हैं।
नेताओं के कान खड़े
दुर्ग के पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव जनता के बीच के कई मुद्दों को लेकर अभियान चलाते रहते हैं, लेकिन कल तो कमाल ही हो गया, वे साइकिल पर दौरा करने निकले, तो वर्दी में ही उनके गले में लोग ढेर सी फूलमालाएं डालकर सेल्फी लेने लगे। अब ऐसे में नेताओं के कान खड़े होना स्वाभाविक रहता है क्योंकि इस प्रदेश में कई भूतपूर्व अफसर चुनावी मैदान में हाथ आजमाते आए हैं।
युवाओं का हाथी बचाओ दल
पहली बार हाथियों को कोरबा और बिलासपुर जिले के नए इलाकों में देखा गया है। ये हाथी धरमजयगढ़ से सक्ती जांजगीर होते हुए सीपत तक आए और कटघोरा वनमंडल होते हुए कोरबा शहर के नजदीक पहुंच गए। अब ये फिर दोबारा धरमजयगढ़ की ओर बढ़ गए हैं। बीते कुछ सालों में झारखंड की ओर हाथियों की आमद बढ़ी है। बीते एक दो सालों से हाथियों की मौत की घटनाएं बढ़ रही है। फसल को बचाने ग्रामीण करंट लगा रहे या जहर दे रहे हैं। इस चिंताजनक स्थिति के बीच धरमजयगढ़ में एक नई पहल हुई है। यहां के एक दर्जन गांव हाथियों से गंभीर रूप से प्रभावित हैं। वन विभाग का मैदानी अमला पहुंचा तो ठीक वरना ग्रामीण इन हाथियों को एक इलाके से दूसरे इलाकों में खदेड़ते हैं। इससे ग्रामीण भी हताहत होते हैं और हाथियों को भी चोट पहुंचती है। अब यहां के करीब एक दर्जन युवकों ने एक समूह बनाया है। वे खेतों में घूम-घूमकर पता लगाते हैं कि कहीं करंट प्रवाहित बाड़ तो नहीं लगाई गई है। ग्रामीणों को इसे निकालने के लिए कहते हैं। इनका कहना है कि हाथी हर बार फसल को जानबूझकर नुकसान नहीं पहुंचाते, इधर-उधर खदेडऩे के कारण ऐसी नौबत आती है। वे पेड़ों में लगे फल और पत्तियों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। इन युवकों ने यह जिम्मेदारी उठाई है कि हाथियों का दल यदि आगे बढऩा चाहते हैं तो उन्हें सुरक्षित रास्ता दिया जाए। यदि कहीं ठहरना चाहता है तो भी उन्हें छेड़ा न जाए। इससे फसल और घरों को नुकसान कम होगा। ये युवक रात में भी गश्त लगा रहे हैं।
आकर्षक कठपुतलियां
कठपुतली कला अब विलुप्त होती जा रही है। पहले कलाकार, जो प्राय: राजस्थान और मध्यप्रदेश से आते थे स्कूलों और चौक-चौराहों में कठपुतलियों के नृत्य, नाटक आदि दिखाते थे, जिनमें अच्छी भीड़ भी उमड़ती थी। मनोरंजन के साथ-साथ इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा के संदेश भी दिए जाते थे। यह तस्वीर मैनपाट में हुए महोत्सव की है जहां 14 फीट ऊंची कठपुतलियों ने सबका ध्यान खींचा। बिलासपुर की किरण मोइत्रा इस कला को बचाए रखने के काम में लगी रहती हैं।
ब्लू टिक मिलने की बधाई
ट्वीटर अकाउंट पर ब्लू टिक मिल जाना अब स्टेटस सिंबल के तौर पर गिना जा रहा है। इन दिनों इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई जानी-मानी हस्तियां ही नहीं आम लोग भी बधाई ले-दे रहे हैं। खुशी जता रहे हैं कि उन्हें ब्लू टिक मिल गया। वैसे यह सिर्फ 900 रुपये का कमाल है। हां, ट्विटर के पास अपना पहचान-पत्र और फोन नंबर जरूर शेयर करना होगा।