राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : देखना है अब छत्तीसगढ़ से कौन...
17-Feb-2023 3:45 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : देखना है अब छत्तीसगढ़ से कौन...

देखना है अब छत्तीसगढ़ से कौन...
कांग्रेस कार्यसमिति का चुनाव होगा या नहीं, इस पर पार्टी के अंदरखाने में चर्चा चल रही है। इसका फैसला पार्टी की स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में होगा। चुनाव होने की स्थिति में एआईसीसी सदस्य वोट डालते हैं। समिति के दर्जनभर सदस्यों का निर्वाचन होता है। बाकी 11 सदस्य अध्यक्ष द्वारा नामित किए जाते हैं।

आखिरी बार चुनाव वर्ष-1997 में हुए थे तब सीताराम केसरी अध्यक्ष थे। उस समय ऑस्कर फर्नाडीज चुनाव समिति के प्रमुख थे। तब अविभाजित मध्यप्रदेश से तीन प्रमुख नेता अर्जुन सिंह, कमलनाथ, और विद्याचरण शुक्ल ने एआईसीसी सदस्य का चुनाव लड़ा था।

मध्यप्रदेश कांग्रेस का संगठन और तत्कालीन सीएम दिग्विजय़ सिंह ने अर्जुन सिंह व कमलनाथ के लिए जोर लगाया था। इसमें दूसरे राज्यों के सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है। इसके लिए अपने समर्थकों के वोट ट्रांसफर करने होते हैं। ऐसे में विद्याचरण शुक्ल उस वक्त कांग्रेस की राजनीति के अंकगणित के लिहाज से फिट नहीं बैठ पा रहे थे। गांधी परिवार से तो अनबन थी ही। हवाला कांड के बाद से नरसिम्ह राव से भी संबंध बिगड़ गए थे।

कुल मिलाकर विद्याचरण शुक्ल की हैसियत निर्दलीय प्रत्याशी की थी। चुनाव तो नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने अपने दमखम पर सौ से अधिक वोट  हासिल किए। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अकेले मोतीलाल वोरा ही कांगे्रस कार्यसमिति  के स्थाई सदस्य रहे। अजीत जोगी को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में जगह मिली थी। अब देखना है कि कांग्रेस की सबसे पॉवरफुल समिति में छत्तीसगढ़ किस नेता को जगह मिलती है।

रायपुर अधिवेशन का असर जयपुर में?
रायपुर में होने जा रहे अखिल भारतीय अधिवेशन के बाद क्या कुछ बदलाव दिखाई देगा। छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के सीएम की बात अब पुरानी बात हो गई। मगर, राजस्थान के सचिन पायलट समर्थक एक बार फिर दावा करने लगे हैं। अधिवेशन में आ रहे एक विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने मीडिया के सामने दावा किया है। उनके मुताबिक हाईकमान ने तय कर लिया है कि रायपुर सम्मेलन के बाद सीएम बदल दिया जाएगा। बैरवा कह रहे हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिक्स डिपॉजिट हैं तो सचिन पायलट वर्किंग कैपिटल। अधिवेशन के पहले सचिन पायलट ने भी हाईकमान पर सवाल उठाते हुए कहा है कि विधायक दल की बैठक में, जिसमें नए मुख्यमंत्री पर विचार किया जाना था- नहीं पहुंचने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में साथ-साथ चुनाव होने वाले हैं। चुनावी साल में मुख्यमंत्री बदलने का नतीजा हाल ही में कांग्रेस ने पंजाब में देख लिया है।

अब राजकीय गंध की बारी! 
दुनिया के देशों में आमतौर पर राष्ट्रीय झंडा, राष्ट्रगीत, राष्ट्रपशु, राष्ट्रीयपक्षी जैसी चीजें तय होती हैं। हिन्दुस्तान में भी इनमें से सबकुछ है। अब मैक्सिको ऐसा पहला देश है जिसने अपनी विख्यात हरी मिर्च की गंध को राष्ट्रीय गंध घोषित किया है। इसके पहले किसी देश ने कोई गंध इस तरह से तय नहीं की थी। अब इसे लेकर हिन्दुस्तान जितने बड़े और विविधता वाले देश में कोई एक गंध तय करना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन यहां के अलग-अलग राज्य अलग-अलग गंध को अपनी राजकीय गंध बना सकते हैं। दक्षिण के कुछ राज्यों में सांबर के मसालों की गंध के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है, और कई राज्य इसे राजकीय गंध बनाने के लिए भिड़ सकते हैं। बंगाल के लिए मछली की गंध सुझाना पता नहीं बंगालियों को पसंद आएगा या नहीं। दिल्ली के लिए डीजल के धुएं से बेहतर किसी गंध का राजकीय होने का दावा नहीं हो सकता। पंजाब में ताजे मक्खन की गंध, कश्मीर में केसर की, कर्नाटक में चंदन की, और लखनऊ में मुगलई खाने की गंध को मुकाबला देना मुश्किल होगा। इस चर्चा में छत्तीसगढ़ जैसे राज्य को देखें, तो यहां सडक़ों पर तम्बाकू-गुटखा खाकर लोटाभर थूकने वाले लोगों की पीक की गंध चारों तरफ छाई रहती है, और यहां का चावल तो अब बिना खुशबू के होने लगा है, इसलिए शायद तम्बाकू और लार की मिलीजुली गंध ही राजकीय गंध हो सकती है। लोग आपस में यह पहेली खेल सकते हैं कि किस राज्य में कौन सी गंध राजकीय बनाई जाए। 

ऑनलाईन में बर्बादी
लोगों को लगता है कि ऑनलाईन खरीददारी से दुकानों की बिजली बचती है, और लोगों का दुकान तक जाने-आने का पेट्रोल भी। लेकिन सच तो यह है कि ऑनलाईन खरीदी से घर आने वाला सामान कई बार पैकिंग का इतना कचरा लेकर आता है कि वह धरती पर बहुत बड़ा बोझ बनता है। ट्विटर पर अभी कार्तिक नाम के एक व्यक्ति ने अपने घर पहुंची एक पार्सल की फोटो पोस्ट की है कि लिपिस्टिक के साईज की होठों पर लगाने की वेसलीन के लिए अमेजान ने कितना बड़ा बक्सा भेजा है। उन्होंने लिखा कि इससे छोटी पैकिंग नहीं हो सकती थी? 

...की खरीददारी में ही समझदारी है? 
एक अडानी की इन दिनों शेयर बाजार में चल रही बर्बादी का नतीजा यह हुआ है कि लोगों की दिलचस्पी पूरे शेयर बाजार से ही हट गई दिखती है। और शेयर बाजार से सोने के बाजार का सीधा लेना-देना रहता है। जब शेयर बाजार नीचे गिरता है, शेयर की साख गिरती है, लोग सोने की तरफ जाते हैं। सोना एक बड़ा सुरक्षित पूंजीनिवेश माना जाता है जिसमें रातोंरात सपने तो पूरे नहीं होते, लेकिन जो लंबे समय के पूंजीनिवेश पर कभी धोखा नहीं देता। इन दिनों छत्तीसगढ़ में ईडी और आईटी की जांच के चलते नेताओं और अफसरों में, और उनके परिवारों में जमीनों में पूंजीनिवेश भी खतरनाक माना जा रहा है। कुछ जमीनें बेचने वाले भी अफसरों से परहेज कर रहे हैं कि नगद हिस्से के लेन-देन में एक खतरा बने रहेगा, किसी दिन अफसर पर छापा पड़ेगा तो बेचने वाला भी गिरफ्त में आएगा। इसलिए भी आज बाजार में सोना ही अकेला सुरक्षित रह गया है, और आयकर नियमों के तहत जितना सोना परिवार के एक-एक व्यक्ति के नाम पर रखा जा सकता है, उस सीमा तक पहुंचा जा रहा है। सोने का बाजार शेयर बाजार की तरह कभी धड़ाम नहीं होता, और न ही उसकी खरीदी को जमीन की रजिस्ट्री की तरह रजिस्ट्री ऑफिस में दर्ज करवाना होता है। कम जगह में अधिक रकम का सोना आ सकता है, और यह कब खरीदा गया है, इसका भी कोई इतिहास दर्ज नहीं होता है। 

इन शिक्षकों से कैसे बचें बालक?
छोटे बच्चों के साथ शिक्षकों के क्रूर बर्ताव की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इस महीने की शुरुआत में तीन अलग-अलग घटनाएं सामने आई थीं। गरियाबंद जिले के एक स्कूल में पांचवी कक्षा के बच्चे की गर्दन पर शिक्षिका ने माचिस की तीली दाग दी थी। कटघोरा के एकलव्य आदर्श विद्यालय के छात्रावास में एक छात्र को शिक्षक ने सीनियर छात्रों से चप्पल से पिटवाया था। जांजगीर-चांपा जिले के आत्मानंद स्कूल के दो बच्चे लंच टाइम में देर से पहुंचे तो उन्हें भी शिक्षक ने जमकर पीटा। उनके हाथ, पीठ में सूजन आ गई थी। अब चौथी घटना महासमुंद जिले के पझरापाली प्राथमिक स्कूल की सामने आई है। तीसरी की छात्रा प्रार्थना के समय नहीं पहुंच पाई। देर हुई तो शिक्षक ने उसे 60 बार उठक-बैठक लगाने का फरमान दे दिया। नन्हीं सी जान ने डर के चलते सजा तो पूरी भुगत ली लेकिन उसके पैरों में सूजन आ गई। वह खड़ी नहीं हो पा रही थी। ये तो कुछ मामले हैं, जो सामने आ गए और जिनमें निलंबन या जांच का आदेश हुआ है। ऐसी बहुत सी घटनाएं बच्चे या तो घर में नहीं बता पाते होंगे, या फिर पालक तक पहुंचने के बाद भी शिकायत नहीं होती होगी। शिक्षा को नवाचार से जोडक़र हल्के-फुल्के माहौल में पढ़ाई कराने का दावा विभाग के अधिकारी करते हैं, पर ऐसा हो नहीं रहा है। स्कूली शिक्षा की छत्तीसगढ़ में कितनी बदतर स्थिति है यह असर की रिपोर्ट में सामने आ चुका है। सर्वेक्षण में अपना प्रदेश 26वें नंबर पर रखा गया।

शिक्षक नागमणि के चक्कर में
नागमणि को लेकर देश के अलग-अलग हिस्से में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। छत्तीसगढ़ में भी एक से अधिक लोक कथाएं हैं। मनुज नाम का एक राजकुमार नागमणि की मदद से जल में उतरता है और नाग को परास्त कर नागकन्या को प्राप्त करता है। इस पर चिकित्सकीय शोध तो यही है कि सर्पदंश से बचाने के काम आता है। पर इसके मिलने का सही सही दावा कोई नहीं कर पाया। प्रचलित दंत कथाओं ने इसे अलादीन के चिराग का दर्जा दे दिया है। इनमें दावा किया जाता है कि इसमें अलौकिक शक्तियां होती है। जिसके पास है वह अमीर हो जाएगा। उन पर कोई विष काम नहीं करेगा और लंबी आयु मिलेगी।

अब आज के दौर में ही सांपों की अनेक प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं, दुर्लभ नागमणि के होने और मिलने का दावा करना भी अजीब है। पर दावा भी किया जा रहा है और उस पर यकीन भी। जीपीएम जिले के एक रिटायर्ड शिक्षक, जिसने निश्चित रूप से अपने सेवाकाल में विज्ञान और जंतुविज्ञान पढ़ा होगा, बच्चों को पढ़ाया होगा, उसे आसानी से नागमणि बेचने के नाम पर ठग लिया गया। नागमणि पाने के लालच में वह 15 लाख रुपये गंवा बैठा। उनके पास सेवानिवृत्ति की पेंशन थी, 15 लाख जैसी बड़ी रकम उनके खाते में थी, फिर पता नहीं क्या इच्छा बची रह गई थी कि नागमणि के पीछे भाग गए। इन दिनों ऑफलाइन और ऑनलाइन ठगी के चकित करने वाले इतने तरह के मामले सामने आ रहे हैं कि इन पर भी शोध किया जा सकता है। ([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news