राजपथ - जनपथ

बैस के शपथ ग्रहण में
महाराष्ट्र राजभवन में राज्यपाल रमेश बैस के शपथ ग्रहण के मौके पर काफी रौनक देखने को मिली। छत्तीसगढ़ के करीब सौ-सवा सौ लोग बैस शपथ ग्रहण के साक्षी बने। महाराष्ट्र विकसित प्रदेश है, और मुंबई तो देश की आर्थिक राजधानी मानी जाती है। ऐसे में बैस के करीबी कारोबारी भी राजभवन में मेहमान के तौर पर मौजूद रहे।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरूण साव तो सारा काम छोडक़र बैस के शपथ ग्रहण में शामिल हुए, तो कांग्रेस नेता गजराज पगारिया, केदार गुप्ता, बिल्डर मोहन नीले, निखिल धगट, और स्वास्तिक ग्रुप के संचालक नरेंद्र अग्रवाल, एमएम फन सिटी के संचालक राजेश थौरानी भी थे। यही नहीं, बैस के परिवार के तकरीबन सभी सदस्य बेटी-दामाद, व नजदीकी रिश्तेदार भी शामिल हुए। तीन तरफ समुद्र से घिरे राजभवन को बैस के करीबियों ने खूब पसंद किया।
मिलेट्स का बोल-बाला
सीएम भूपेश बघेल की पहल पर केंद्र सरकार ने मिलेट्स को मध्यान्ह भोजन में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। अब एआईसीसी अधिवेशन में भी मिलेट्स छाया रहेगा। अधिवेशन में शामिल होने वाले एआईसीसी, और प्रदेश प्रतिनिधियों को मिलेट्स के व्यंजनों का लुफ्त उठाने का मौका मिलेगा। होटलों को इसके लिए खासतौर पर निर्देश दिए जा रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर भी मिलेट्स को लेकर काफी कुछ जानकारियां उपलब्ध रहेगी।
नेताओं को नसीहत
एआईसीसी अधिवेशन की तैयारियों को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है। सीएम भूपेश बघेल खुद तैयारियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सीएम के सलाहकार विनोद वर्मा अलग-अलग समितियों बैठक ले रहे हैं। एक बैठक में उन्होंने पार्टी नेताओं को साफ तौर पर मंच के आसपास भी नहीं फटकने की नसीहत दी है।
विनोद ने कहा कि जिन्हें जो जिम्मेदारी दी गई है, उसे निभाने पर ही पूरा ध्यान दें। राष्ट्रीय नेताओं के आगे-पीछे न होने, और सेल्फी आदि से दूर रहने की भी हिदायत दी है। देखना है कि पार्टी नेता विनोद की सलाह को कितना महत्व देते हैं।
एयरपोर्ट में सवारी लेने की होड़
बस, टैक्सी स्टैंड और रेलवे स्टेशन के बाहर आम नजारा होता है। सवारियों को बिठाने के लिए होड़ मची रहती है। अब ऐसा रायपुर एयरपोर्ट पर भी दिखाई देने लगा है। ये टैक्सी तक अपने सवारियों को ले जाकर बिठाती हैं। इसके एवज में कमीशन तय होता है। ऐसे काम स्थायी नौकरी जैसे होते नहीं। पढ़ी-लिखी लग रहीं लड़कियां यह बता रही है कि वे किसी काम को छोटा नहीं समझतीं और हर वह काम कर सकती हैं, जो पुरुष करते हैं।
पार्टी बदलने, लौटने का खेल
स्थानीय से लेकर लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही एक दल छोडऩे, दूसरे दल को पकडऩे की खबरें आने लगती हैं। टिकट तय होने से पहले ही संभावित उम्मीदवारों की सभाओं में ऐसा दृश्य नजर आने लगा है। खबर आई कि चंद्रपुर विधानसभा से प्रत्याशी रहीं संयोगिता सिंह के जनसंपर्क अभियान के दौरान किरकार ग्राम में सरपंच के पति और उप-सरपंच ने कुछ समर्थकों के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा का दामन थाम लिया। लोगों को आश्चर्य हुआ कि सरपंच पति अजीत राम सिदार तो विधायक रामकुमार यादव का आदमी है, इन्होंने क्यों ऐसा किया? चर्चा हो ही रही थीं कि अगले दिन सिदार ने बयान जारी कर दिया। कहा कि वे तो गांव में पहुंची एक नेत्री का स्वागत करने के लिए गए थे। वहां उनको भाजपा का गमछा पहना दिया गया, तत्काल समझ में नहीं आया।
र्यक्रम के बाद खबर उड़ा दी गई कि मैंने कांग्रेस छोड़ दिया। कांग्रेस में था, और रहूंगा। दरअसल, बात यह सामने आ रही है कि सरपंच पति को भाजपा में लाने की कोशिश की गई और वे तैयार हो गए। पर बाद में कांग्रेसियों ने उन्हें वापस आने और बयान देने के लिए दबाव बनाया, तो फिर इसके लिए भी तैयार हो गए।
अभी चुनाव कई महीने बचे हैं। इस तरह का दलबदल अक्सर प्रत्याशी को अपनी बढ़ती ताकत का दावा करने के काम आता है। चुनाव आते-आते कौन किसके लिए काम करने लगेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता।
मरकाम के घर प्रदर्शन
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम शायद पार्टी के अखिल भारतीय अधिवेशन में व्यस्त होने के कारण यह नहीं देख पा रहे हैं कि उनके क्षेत्र के किसान उनके घर की सीढिय़ों और छत पर चढक़र प्रदर्शन कर रहे हैं। इन किसानों ने सोसाइटियों में धान बेचा लेकिन दो माह हो चुके उनके खाते में रकम नहीं डाली गई है। सरकार की घोषणा है कि सप्ताह भर में राशि जमा होगी। कोंडागांव में किसान सहकारी बैंकों के चक्कर लगाकर थक गए तो उन्होंने मरकाम के घर को ही घेर लिया। मरकाम वहां थे नहीं, पर शायद उन तक इस प्रदर्शन की जानकारी पहुंच गई होगी। यहां के विधायक होने के नाते समस्या का पता पहले से रहा होगा और सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते अधिक तत्परता से हल भी करा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह जरूर हुआ कि पूर्व मंत्री और भाजपा नेत्री लता उसेंडी का इन किसानों को साथ मिल गया।