राजपथ - जनपथ

परीक्षा के दिनों में खेल के सामान
सरकारी विभागों में खरीदी के लिए फंड का आवंटन तो जिला और ब्लॉक लेवल पर किया जाता है लेकिन राजधानी में राशि रोक ली जाती है, फिर सीधे खरीदी करके सामान भेज दिया जाता है। इसका कारण अक्सर कमीशन खोरी होता है।
पारंपरिक छत्तीसगढ़ी खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने खेलगढिय़ा योजना शुरू की। खेल सामग्री खरीदने के लिए प्राथमिक शाला को 5 हजार, मिडिल स्कूलों को 7000 तथा हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों को 25 हजार रुपए आवंटित किया गया। पूरा सत्र गुजर गया, स्कूलों में रकम नहीं भेजी गई। अब जब मार्च आ चुका है और परीक्षाओं के दिन चल रहे हैं, रायपुर से सीधे खरीदी करके खेल सामग्री भेजी गई है। ऊपर से छत्तीसगढिय़ा खेल जैसे गिल्ली-डंडा, पि_ुल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खोखो, रस्साकशी, बांटी कंचा, गेड़ी-दौड़, भौंरा खेलों की सामग्री न भेजकर बैडमिंटन, कैरम, शतरंज, फुटबॉल आदि भेजे गए।
पिछले साल ये राशि सीधे स्कूलों के खाते में डाली गई थी, पर इस बार सीधे सामान ही भेज दिए गए, वह भी परीक्षा के दिनों में। समय पर आते या स्कूलों को आवंटन के साथ ही सही सामग्री खरीदने के लिए राशि भेज दी जाती तो अगले साल के छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक के लिए खिलाड़ी तैयार हो पाते। अभी तो ज्यादातर स्कूलों में खेल सामग्री डंप रह गए हैं। सीएम के छत्तीसगढिय़ा खेलों को प्रोत्साहित करने की मंशा पर अफसरों ने पानी फेर दिया है।
गजब का नाटकीय दिन
कल का दिन छत्तीसगढ़ के लिए गजब का नाटकीय दिन था। ईडी के दफ्तर में कांग्रेस के नेताओं का बुलावा था, और उस बुलावे के खिलाफ नारेबाजी भरे प्रदर्शन के वीडियो तैर रहे थे। इस बीच बिलासपुर हाईकोर्ट से खबर आई कि एक कांग्रेस नेता की लगाई हुई एक पिटीशन खारिज हो गई जिसमें पिछले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की संपत्ति को अनुपातहीन बताते हुए उसे चुनौती दी गई थी। अदालत ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का राजनीति से प्रेरित दुरूपयोग माना, और इसे खारिज कर दिया। रमन सिंह के लिए यह बड़ी राहत की बात रही, और उनकी तरफ से शाम को एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया कि अदालत के इस फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
दूसरी तरफ रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे, और उनके एक सबसे भरोसेमंद अफसर माने जाने वाले अमन सिंह और उनकी पत्नी को हाईकोर्ट से मिली राहत कल सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई, और अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार के एसीबी-ईओडब्ल्यू की एफआईआर को जायज ठहराया, और जांच का रास्ता खोल दिया। अब जाहिर है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से आगे किसी और राहत का रास्ता नहीं खुलता है, तो छत्तीसगढ़ के एसीबी-ईओडब्ल्यू तो बरसों से अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह पर कार्रवाई करने के लिए एक पैर पर खड़े ही हैं।
राज्य में आज चल रहे ईडी के छापों, और अदालती कार्रवाई में सरकार के आसपास के कई लोग फंसे हुए हैं, और लोग अब फिल्मी अंदाज में इसका हिसाब चुकता होते दिखने की उम्मीद लगा रहे हैं। भूपेश बघेल अपने कई बयानों में अडानी के खिलाफ बोल चुके हैं, और हाल ही में उन्होंने एक ताजा बयान में अडानी से जुडऩे वाले छत्तीसगढ़ के दो पिछले अफसरों का इशारा करते हुए यह तंज कसा था कि अडानी यहां से दो पनौती ले गया है, और उस दिन से उसका क्या हाल हो रहा है यह देख लें। उन्होंने कहा कि ये दोनों छत्तीसगढ़ में जिसके साथ (रमन सिंह) जुड़े थे उनका क्या हाल हुआ था, और अब खुद अडानी का क्या हाल हो रहा है?
आने वाले महीनों में छत्तीसगढ़ चुनाव के और करीब पहुंच जाएगा, और जांच एजेंसियों की आतिशबाजी और बढऩे की उम्मीद है।
फिलहाल तो कल के दिन के बारे में यही कहा जा सकता है कि हाईकोर्ट में रमन की जीत, और सुप्रीम कोर्ट में अमन की हार!
कौन जज कौन वकील
कल बिलासपुर में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रमन सिंह की संपत्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज होने की वजहों पर जब चर्चा हुई, तो मामले के जानकार एक बड़े वकील ने कहा, मैंने तो पहले ही कहा था कि इस पिटीशन के पक्ष में बहस करने के लिए किसी बहुत बड़े और वजनदार वकील को लाना चाहिए, लेकिन मेरी बात सुनता कौन है?
अब किस मामले में कितने वजनदार, या कितने महंगे वकील का कितना असर होता है, यह हमेशा ही बहस का मुद्दा बने रहता है। अभी जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा, और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले लेकर अभिषेक मनु सिंघवी पहुंचे, और उन्हें तुरंत बात रखने का मौका मिल गया, उसे लेकर भी कई तरह की चर्चाएं चालू हुई, भारत की जाति व्यवस्था के खिलाफ लगातार लिखने वाले एक पत्रकार और लेखक दिलीप मंडल ने इस पर यह भी लिखा कि अभिषेक मनु सिंघवी और जस्टिस चन्द्रचूड़ साथ में पढ़े हुए हैं, उन्होंने साथ में दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से इकानॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है, इसलिए सिंघवी की सुनवाई दो घंटे में हो जाती है। अब कुछ लोग इसे अदालत की अवमानना भी कह सकते हैं, और कुछ लोग इसे भारत के सामाजिक सत्य भी मान सकते हैं जिससे कि हो सकता है कि अदालतें प्रभावित होती हों। फिलहाल छत्तीसगढ़ से जुड़े किस मामले में कौन वकील थे, और कौन जज थे, यह चर्चा तो चलती ही रहेगी।
सस्ते शार्पनर पेंसिल से बचत
पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल ने अब तक का सबसे बड़ा फैसला किया। जो नि:संदेह महंगाई को मात देने वाला साबित हो सकता है। बच्चों की महंगी पढ़ाई के बोझ से दबे माता-पिता को भी तोहफा दिया है। काउंसिल ने कंपास बाक्स के सबसे अहम कंपोनेंट पेंसिल और शार्पनर पर 18 फीसदी जीएसटी को कम कर 12 फीसदी पर ला दिया है। अगले शिक्षा सत्र से अभिभावक खुशी-खुशी खरीदारी करेंगे। निर्मला सीतारमण की इस सहृदयता के सभी कायल भी हो रहे हैं। पेंसिल और शार्पनर की खरीदी से बचे पैसों से बच्चों के लिए महंगे स्कूल ड्रेस, कॉपी, किताबें और जूते खरीद सकते हैं। इतना ही नहीं कर ही महंगी हुई रसोई गैस सिलेंडर को रिफिल करा सकेंगे।
सत्य और अर्ध सत्य
अडानी ने आज ट्वीट किया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं क्योंकि इससे एक निर्धारित समय में सच सामने आएगा। अब उन्होंने यह ट्वीट किया तो इस फैसले पर है कि सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर एक जांच कमेटी बनायी है, और अडानी ने उसका स्वागत किया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में कुछ लोग इस ट्वीट को इस बात के साथ जोडक़र फैला रहे हैं कि अडानी ने अपने एक अधिकारी अमन सिंह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का कल का फैसला देखकर उसका स्वागत किया है।
राजस्थान से अलग होगा बजट?
इस साल के अंत में कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव है। राजस्थान में सालाना बजट पिछले महीने ही पेश किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में 6 मार्च को आने वाला है। राजस्थान सरकार के बजट में जो खास बातें चुनाव को ध्यान में रखकर से शामिल किए गए हैं, उनमें गरीब परिवारों के लिए 10 लाख रुपए की जगह 25 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज, उज्ज्वला योजना में शामिल गरीब परिवारों के लिए 500 रुपए में घरेलू गैस सिलेंडर, दाल,चीनी, नमक, तेल, मसाले का हर महीने फूड किट, मनरेगा की तरह शहरों में भी इंदिरा गांधी के नाम पर 100 दिन की रोजगार गारंटी जैसी घोषणाएं शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के बजट में भी ऐसी योजनाओं की झलक दिख सकती है लेकिन यहां कुछ और चुनौतियां भी हैं। अनेक कर्मचारी और मजदूर संगठन जिस तरह से 2018 में किए गए वादों को पूरा करने के लिए दबाव बना रहे हैं उसका एक बड़े वोट बैंक पर असर हो सकता है। इस समय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में आंदोलन पर हैं। अनियमित कर्मचारियों के अनेक संगठन भी लगातार सडक़ पर हैं। 12 मार्च को इन लोगों ने बड़ी हड़ताल एक साथ करने की चेतावनी भी दी है जो बजट के पहले दबाव बनाने की रणनीति भी मानी जा सकती है। अनेक जिलों और तहसीलों की अभी भी मांग उठ रही है। धान पर बोनस और न्याय योजना कांग्रेस की तरफ वोटों के झुकाव का बड़ा कारण था। चार साल पहले तय किए गए 2500 रुपये क्विंटल को बढ़ाकर 2650 रुपये करने की बात कही आ रही है। कुल मिलाकर इस बजट में यह दिखाई देगा कि कांग्रेस सरकार किन वर्गों को संतुष्ट कर पाई और किनकी नाराजगी दूर किए बगैर चुनाव मैदान में उतरेगी।
30 फरवरी एक्सपायरी डेट
हर चौथे साल एक लीप ईयर होता है जिसमें फरवरी 29 दिन का होता है, पर बिस्कुट का यह पैकेट बता रहा है कि 30 फरवरी भी हो सकता है। पैकिंग पर सील लगाने वाला अभी से तो होली के मूड में नहीं आ गया ?