राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक तस्वीर, कई फसाने...
11-Mar-2023 5:03 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक तस्वीर, कई फसाने...

एक तस्वीर, कई फसाने...

कल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले, और उस मुलाकात की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे कुछ हैरान भी करती हैं। मोदी सरकार की ईडी जिस अंदाज में छत्तीसगढ़ में जांच कर रही है, और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस पार्टी और भूपेश सरकार जिस तरह उसका विरोध कर रही हैं, उसे देखते हुए इन दोनों नेताओं के बीच बातचीत के किसी मधुर रिश्ते की संभावना बनती नहीं है, लेकिन एक से अधिक तस्वीरों में इन दोनों के बीच जो हॅंसी दिख रही है, वह बड़ी असाधारण है। भूपेश बघेल ने लौटकर यह कहा है कि उन्होंने राज्य की योजनाओं और केन्द्र सरकार से कई मांगों पर चर्चा की है, और ईडी के छापों को लेकर किसी बातचीत का उन्होंने कहा नहीं है, लेकिन लोग यह मानकर चल रहे थे कि ईडी के छापों पर चर्चा के बिना तो यह मुलाकात हुई नहीं होगी, और अगर वैसी चर्चा हुई है तो फिर उसमें मुस्कुराहट की जगह कहां निकलती है, लेकिन मुस्कुराहट जमकर हुई, और कुछ लोगों में यह मतभेद हो सकता है कि यह मुस्कुराहट थी या हॅंसी थी। जो भी हो, इन तस्वीरों ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को बेचैन कर दिया होगा, और कांग्रेस के कुछ लोगों को हो सकता है इससे बिना वजह कुछ राहत महसूस हो रही हो। कुल मिलाकर बात यह है कि सरकारें अपना काम करती रहती हैं, राजनीतिक दलों में मतभेद चलते रहते हैं, लेकिन लोगों के बीच बातचीत के रिश्ते बने रहने चाहिए। अब भूपेश और मोदी की इस तस्वीर को देखकर छत्तीसगढ़ में भी इन दोनों पार्टियों के बीच बातचीत के रिश्ते, मुस्कुराहट के रिश्ते बन सकें, तो लोकतंत्र में कम से कम संवाद जारी रहेगा।

यह तैयारी किसके लिए?

राज्य के बड़े अफसरों के बीच यह अटकल जोरों पर है कि कैबिनेट के मंजूर किए हुए आईजी/एडीजी के संविदा पद पर किसको नियुक्त किया जाएगा। कुछ लोगों का यह अंदाज है, और वे इसे प्रचारित करने में भी लगे हुए हैं कि एसीबी-ईओडब्ल्यू के डीजी डी.एम. अवस्थी कुछ हफ्तों बाद रिटायर हो रहे हैं, और यह पद उनके लिए बनाया गया है। लेकिन अवस्थी के कुछ जानकार लोगों ने इस अटकल की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि डीजीपी रहने के बाद वे भला आईजी/एडीजी के ओहदे पर क्यों काम करेंगे, उन्हें अपने बुढ़ापे और अपनी इज्जत का भी तो ख्याल है। अटकलबाजों का यह तर्क था कि स्काईवॉक को लेकर राजेश मूणत और अनुपातहीन संपत्ति को लेकर अमन सिंह-यास्मीन सिंह के खिलाफ जो जांच चल रही है, उसे जारी रखने के लिए डी.एम. अवस्थी को संविदा नियुक्ति पर यहीं बनाकर रखा जाएगा। इस पर अवस्थी के एक प्रशंसक आईपीएस का कहना था कि जिस दिन उन्हें एसीबी-ईओडब्ल्यू का मुखिया बनाया गया, उस दिन तो वे तिरुपति की तीर्थयात्रा पर थे, उनसे इन मामलों की जांच के बारे में कुछ कहा भी नहीं गया था। इन लोगों का कहना है कि स्काईवॉक की जांच की तो घोषणा ही बहुत बाद में हुई है जब अवस्थी वहां काम कर रहे थे, और अमन सिंह के खिलाफ जांच का रास्ता तो सुप्रीम कोर्ट ने अभी साफ किया है, तो ऐसी जांच के लिए अवस्थी को यहां लाना, और उन्हें संविदा नियुक्ति देना चंडूखाने की गपबाजी के अलावा कुछ नहीं है।

अब ऐसे में यह सवाल तो बच ही जाता है कि फिर यह संविदा नियुक्ति किस व्यक्ति के लिए की जाने वाली है? वैसे इसके साथ प्रशिक्षण का शब्द भी जोड़ दिया गया है, जिसका मतलब है कि जिसे भी यहां लाया जाना है, उसके जिम्मे प्रशिक्षण जैसा हाशिए का काम रहेगा। देखें यह तैयारी किसके लिए हुई है।

तोहफे से सावधान

छत्तीसगढ़ में इन दिनों चल रही राजनीति और जांच की सरगर्मी के बीच एक सनसनीखेज खतरा सुनाई पड़ा है। कुछ अरसा पहले कई लोगों को मोबाइल फोन तोहफे में दिए गए थे। और वे लंबे समय से उनका इस्तेमाल भी कर रहे थे। अब जाकर इनमें से कुछ मोबाइल फोन की जांच से यह बात सामने आई है कि उनमें एक खुफिया स्पाईवेयर डला हुआ था। ऐसा लगता है कि नए फोन में यह स्पाईवेयर डालकर ही तोहफा दिया गया था, और फोन में भीतर छुपे रहकर भी यह जासूस उसकी बहुत सी जानकारियां किसी दूसरे नंबर या कम्प्यूटर या ईमेल पर भेजते जा रहा था। दुनिया के बहुत से देशों में ऐसे घुसपैठिए स्पाईवेयर कानून की नजरों से परे काम करते हैं, और बेचे जाते हैं। अब लोगों को किसी से मोबाइल फोन का तोहफा मिलने पर भी सावधान रहना चाहिए कि वह फोन है या जासूस!

नशा न करने में ही समझदारी

भांग के नशे को लेकर होली के आसपास कई किस्म की कहानियां चलती हैं, जिनमें से बहुत सी असली भी होती हैं। अभी छत्तीसगढ़ के एक रिटायर्ड आईपीएस ने भांग के नशे के बारे में कुछ पूछा, तो एक अखबारनवीस ने उन्हें आगाह किया कि यह नशा न करना ही ठीक है क्योंकि कुछ लोग इसके नशे में चर्च के कन्फेशन रूम में पहुंचे हुए अपने अपराधों की स्वीकारोक्ति करने लगते हैं, और खुद होकर तरह-तरह का मलाल और अफसोस जाहिर करने लगते हैं। भांग के नशे में लोगों का बोलना भी अधिक हो जाता है, और मतलब यह कि वे खूब खुलासे से अपने जुर्म कुबूल कर सकते हैं। ऐसे में उनके जीवनसाथियों के लिए यह मुफ्त में हो रहे नार्को टेस्ट सरीखा हो सकता है, और इससे मिले सुबूतों से जिंदगी भर का नशा हिरण हो सकता है। इसलिए भांग के बजाय दारू बेहतर है, लेकिन इन दोनों के साथ इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि इसके बाद उनके फोन को उनके बेहोश अंगूठे से खोला जा सकता है, और होली के दिन दीवाली जैसी आतिशबाजी भी हो सकती है। इसलिए जिनके पास छुपाने को बहुत कुछ हो, उन्हें नशे की अपनी हसरत को भी छुपा लेना चाहिए।

वन भैंसे का तोहफा  

सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को वन भैंसे का प्रतीक चिन्ह भेंट किया, तो कई लोग चौंक गए। आमतौर पर विशिष्ट अतिथियों को नंदी, या अन्य प्रतीक चिन्ह भेंट किया जाता रहा है। यह संभवत: पहला मौका है जब राजकीय पशु वन भैंसे का प्रतीक चिन्ह भेंट किया गया।
वन भैंसा देश में छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र की सीमा से सटे गढ़चिरौली के अभ्यारण्य , और असम में ही मौजूद है। असम में 4 हजार से अधिक वन भैंसे हंै, तो छत्तीसगढ़ में कुल संख्या सौ से कम रह गई है। छत्तीसगढ़ सरकार वन भैंसों के संरक्षण के लिए कई स्तरों पर काम भी कर रही है। ऐसे में पीएम को भेंट किया गया प्रतीक चिन्ह वन भैंसों के संरक्षण की दिशा में सरकार के गंभीर प्रयासों की ओर भी इंगित कर रही है। ऐसे में प्रतीक चिन्ह की चर्चा स्वाभाविक है।

मरकाम का क्या होगा?

कांग्रेस हल्कों में प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के भविष्य को लेकर चर्चा चल रही है। संगठन चुनाव हो गए हैं। मगर मरकाम को रिपीट करने पर हाईकमान ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। एआईसीसी अधिवेशन की वजह से फैसला रूका हुआ था। इन सबके बीच शुक्रवार को सीएम भूपेश बघेल की राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से चर्चा को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि मरकाम के भविष्य को लेकर जल्द फैसला हो सकता है।

भाजपा में शिकायतों का दौर  

चर्चा है कि भाजपा के दो युवा महामंत्री विजय शर्मा, और ओपी चौधरी के खिलाफ पार्टी के अंदरखाने में शिकवा शिकायत हो रही है। दोनों के खिलाफ शिकायत यह है कि वो विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारियों में व्यस्त हैं, और संगठन में ज्यादा रूचि नहीं ले रहे हैं। इसके अलावा दोनों के व्यवहार को लेकर भी शिकायतें हुई हैं। सुनते हैं कि पिछले दिनों धमतरी के जिला भाजपा अध्यक्ष के साथ विजय शर्मा की नोंक-झोंक भी हुई है। जिला अध्यक्ष और धमतरी के भाजयुमो अध्यक्ष के बीच विवाद चल रहा है। इस विवाद में विजय शर्मा, भाजयुमो अध्यक्ष के साथ खड़े दिख रहे हैं। यह जिला अध्यक्ष को नागवार गुजर रहा है। धमतरी के पदाधिकारियों और विजय शर्मा के बीच खटपट की खबरें प्रदेश दफ्तर तक पहुंची है। देखना है आगे क्या होता है।

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