राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : श्रीमती भूपेश हैं, तो भरोसा है...
17-Mar-2023 5:09 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : श्रीमती भूपेश हैं, तो भरोसा है...

श्रीमती भूपेश हैं, तो भरोसा है...
यह एक दिलचस्प किस्सा है। पत्थलगांव के बगईझरिया के युवक दीपक यादव ने अपनी रोजगार से जुड़ी समस्या के लिए सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने की ठान ली। दोस्तों ने हंसी उड़ाई पर वह बस चढक़र निकल गया। घंटों सफर कर सीधे भिलाई, फिर वहां से सीएम के निजी निवास पर पहुंचा। सुरक्षा कर्मियों से पूछा तो पता चला कि मुख्यमंत्री पाटन के दौरे पर हैं। उसने दरवाजे पर बताया कि वह किस तरह पत्थलगांव से यहां तक सिर्फ सीएम से मिलने के लिए ही आया है। सीएम की पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल ने यह बातचीत सुनी, तो उसे घर के भीतर बुला लिया, नाश्ता कराया और समस्या पूछी। फिर, उनके कहने पर ओएसडी ने जशपुर कलेक्टर से बात की। कलेक्टर ने समाधान का भरोसा दिलाया। मुक्तेश्वरी जी और उनकी बेटी ने आश्वस्त किया कि इस बारे में वे सीएम से भी बात करेंगे। दीपक को उन्होंने वापस पत्थलगांव लौटने की व्यवस्था की और रास्ते के लिए खाने-पीने का सामान भी पैक कराया। मिलकर लौटा दीपक बेहद खुश है। उसका कहना है कि उसके सपने खो गए थे, पर सीएम के परिवार से मिलकर फिर जिंदा हो गए। एक नागरिक अधिकार के साथ अपने प्रदेश के मुखिया के घर जा सके और वहां पर सहजता और अपनेपन से लोग मिलें तो भरोसा बना रहता है।

भाजपा गदगद 
विधानसभा घेराव कार्यक्रम की सफलता से भाजपा हाईकमान खुश है। खबर है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को फोन कर बधाई दी। चुनावी साल में भाजपा का पहला कार्यक्रम था, जिसमें कार्यकर्ता उत्साहित नजर आए। पार्टी हल्कों में कार्यक्रम की सफलता का श्रेय काफी हद तक अरुण साव, और सह प्रभारी नितिन नबीन को दिया जा रहा है। जिन्होंने विधानसभा घेराव को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। यह पहला मौका है जब किसी कार्यक्रम के सफल होने पर हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व की पीठ थपथपाई है। ऐसे में साव के करीबी काफी गदगद हैं। 

मरकाम की जगह कई नाम 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को बदलने के हल्ले में संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी की भी एंट्री हो गई है। उन्हें भी मरकाम के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। सोरी से पहले खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का नाम प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में प्रमुखता से लिया जाता रहा है। 

भगत के साथ-साथ बस्तर सांसद दीपक बैज का नाम भी उभरा है। अब इस क्रम में पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी का नाम भी जुड़ गया है। सोरी पहली बार विधायक बने हैं, साथ ही अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। इन सबके बीच एक नए फार्मूले की भी चर्चा हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि मरकाम को बदलने के बजाए उनकी पूरी टीम को ही बदल दिया जाए। नई टीम में उन नेताओं को फिर से अहम जिम्मेदारी दी जाए। जो कि विधानसभा चुनाव में टीम भूपेश का हिस्सा थे। कुछ भी हो, मरकाम के भविष्य पर फैसला इस माह के अंत तक होने की उम्मीद है। 

कवासी का चीयर लीडर्स इवेंट
सुकमा जिले के छिंदगढ़ में 15 मार्च को मावली मेला शुरू हो गया। यह मेला मुसरिया माता के मंदिर के सामने लगता है, जिसका इतिहास करीब 1600 साल पुराना है। यहां 64 परगने यानि दूरदराज से आदिवासी समाज के लोग आते हैं। मेले की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी तैयारी सालभर पहले से शुरू हो जाती है। अंतागढ़ विधायक अनूप नाग और लुंड्रा विधायक डॉ. प्रीतम राम को साथ लेकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा मेले का उद्घाटन करने के लिए हेलिकॉप्टर से पहुंचे। मंच पर अतिथियों के बैठने के बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों में नाचते गाते आदिवासी सामने आए तो लखमा अपने-आपको रोक नहीं पाए और उतरकर उनके बीच पहुंच गए। खास तरह की टोपी पहने मांदर बजाते हुए वे भी नाचने लगे। उनके बेटे जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी ने भी एक मांदर पकड़ा, वे भी नाचने लगे। कवासी लखमा पहले भी इस तरह के कार्यक्रमों में नाचते दिख चुके हैं, पर यह खास मौका था क्योंकि 12 साल बाद लगे मेले में दूर-दूर से लोग पहुंचे हैं। ऐसे कार्यक्रमों में पहुंचना और समाज से जुड़े रहना वोटों को साधे रखने के नजरिये से भी जरूरी है। हालांकि पूर्व मंत्री भाजपा नेता केदार कश्यप ने लखमा के इस नाच को पसंद नहीं किया। उन्होंने कहा कि मंत्री जी जब नाचते हैं तो क्रिकेट मैदान पर नाचने वाली चीयर लीडर्स की तरह लगते हैं।

चंदा नहीं तो राशन नहीं
गरीब लोगों को मुफ्त या सस्ते में भोजन कराना पुण्य का काम है। सरकार ने, आम जनता के खजाने से ही सही- राशन दुकानों के जरिये यह पुण्य करने का बीड़ा भी उठाया है। व्यवस्था पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी गांवों में जनप्रतिनिधियों पर है। पर, पुण्य कमाने का जो तरीका करतला विकासखंड के गिधौरी के पंच-सरपंचों ने निकाला है, उससे उन्हें गरीबों की आह लग सकती है और शायद देवी-देवता भी नाराज हो जाएं। इन्होंने राशन दुकान पहुंचने पर प्रत्येक कार्ड के पीछे 100 रुपये का नवरात्रि की रसीद थमाने लगे। जोर-जबरदस्ती ऐसी कि जो चंदा नहीं देगा, उसे राशन नहीं मिलेगा। शिकायत कोरबा के एसडीएम के पास पहुंची है। उन्होंने जांच बैठाई है। कार्रवाई की प्रतीक्षा हो रही है।   ([email protected])

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