राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सरकार ‘अपनों’ से ही परेशान
18-Mar-2023 3:53 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सरकार ‘अपनों’ से ही परेशान

सरकार ‘अपनों’ से ही परेशान

चार साल की खामोशी के बाद आखिरकार सत्ताधारी विधायकों की जुबान के ताले खुल ही गए। आखिरी बजट सत्र में सत्ता पक्ष के आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने  ऐसे तेवर दिखाए, जिसे देखकर मंत्री भी हक्का-बक्का रह गए। तकरीबन सभी विधायकों ने मंत्रियों को झुकने को मजबूर कर दिया, और अपनी मांगें मनवाकर ही दम लिया। खास बात यह है कि सत्ता पक्ष के विधायकों को विपक्ष का भी भरपूर साथ मिला।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ही नहीं, शैलेश पांडेय, छन्नी साहू, गुलाब कमरो, अमितेश शुक्ला, डॉ. विनय जायसवाल, धनेंद्र साहू, अनिता शर्मा, और पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने अलग-अलग विभागों में अनियमितता-भ्रष्टाचार के सवाल उठाकर मंत्रियों को बगलें झांकने को मजबूर कर दिया। इन सभी विधायकों के सवालों पर मंत्रियों को जांच के आदेश देने पड़े। इससे पहले के सत्रों में सत्ता पक्ष के विधायक खामोश रहते थे, और मंत्रियों के जवाब से संतुष्ट हो जाते थे। मगर इस बार सदन के भीतर सत्ताधारी विधायकों का रूख एकदम अलग दिखा।

पिछले सत्रों की तरह इस बार भी विपक्ष बेदम नजर आया। यही नहीं, सीएम का आखिरी बजट बिना टोका-टाकी के निपट गया। जबकि पहले के बजट भाषणों में थोड़ी बहुत टोका-टाकी होती रही है। भाजपा के 14 विधायक हैं, लेकिन एक भी दिन ऐसा नहीं था जब शतप्रतिशत भाजपा विधायकों की मौजूदगी रही हो। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह तो ज्यादातर समय सदन से गैर हाजिर रहे। शुक्रवार को ही दिखे। हालांकि उन्होंने पीडीएस में गड़बड़ी प्रकरण पर जोरदार बहस की। फिर भी अब तक सदन में सरकार ‘अपनों’ से ही परेशान दिखी।

विधानसभा पहले ही

बजट सत्र अब दो दिन पहले यानी 22 तारीख को अवसान हो सकता है। वैसे तो 24 तारीख तक सत्र चलना है। लेकिन 22 तारीख को विनियोग विधेयक पारित होने के बाद सदन की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो सकती है।
संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने संकेत दिए थे कि सत्र चलाना विपक्ष पर निर्भर है। विपक्ष की तरफ से वेल में जाकर सदन की कार्रवाई बाधित करने की कोशिश होती, तो सत्ता पक्ष सत्र पहले खत्म कर सकता था। इसके लिए रणनीति भी बनाई गई थी। मगर अब तक एक भी दिन विपक्षी सदस्यों ने बेल पर जाकर सदन को बाधित करने की कोशिश नहीं की, और ज्यादातर मौकों पर सदन में उपस्थित रहे। विपक्ष के सहयोगात्मक रूख की वजह से अब कार्रवाई थोड़ी खिंच गई है।

साय मुख्यधारा में लौटे

रमन राज में हाशिए पर रहने वाले अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय पार्टी की मुख्यधारा में लौट आए हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव, और पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम ने पहल की है। यही नहीं, भाजपा की पूर्व प्रभारी डी पुरंदेश्वरी की भी इच्छा थी कि नंदकुमार साय का पार्टी में उपयोग किया जाए।

नंद कुमार साय अविभाजित मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वो नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। इसके बाद उन्हें तत्कालीन सीएम अजीत जोगी के खिलाफ लड़वाया गया। बाद में सरगुजा से सांसद भी बने। इसके बाद उनकी  टिकट काट दी गई। उन्हें कोर ग्रुप से भी हटा दिया गया।

हालांकि मोदी सरकार ने उन्हें अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया था। कार्यकाल खत्म होने के बाद  वो फिर सक्रिय होना चाह रहे थे, लेकिन पार्टी संगठन में हावी खेमा उनकी खिलाफत करता रहा। अब जब अरूण साव अध्यक्ष बने हंै, तो उनकी थोड़ी पूछ परख हो रही है। और पिछले दिनों सभा में अपने बाल दांव पर लगाकर सुर्खियों में भी आ गए। आगे उन्हें क्या जिम्मेदारी यह देखना है।

राहुल - प्रियंका का कथित करीबी लापता

शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री के कथित ओएसडी के जलवे की खबर आने के बाद रायपुर में भी ऐसे ही एक शख्स के कारनामे का ऑफ द रिकार्ड इनपुट मिला है। अपने-आपको राहुल और प्रियंका का आदमी बताता है, खूब अंग्रेजी बोलता है। पुलिस के कई अधिकारियों खासकर  सिविल लाइन के पिछले दो  टी आई लोगों को खूब बेवकूफ बना बनाकर कई महीने तक सिविल लाइन स्थित सर्किट हाउस के कमरे में ऐश किया है। साथ ही पुलिस और कई विभागों के लोगो से अच्छी जगह ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पैसे भी ले चुका है। जबसे ईडी का खेला शुरू हुआ है तब से यह जलवेदार व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं राहुल का यह फर्जी दूत, राहुल ने मुझे सर्वे करने भेजा है, अगले चुनाव  में टिकट देने के लिए बोलकर, पार्टी के कई छुट्टभइये नेताओं से हफ्ते-हफ्ते इनोवा लेकर बस्तर-सरगुजा घूमकर आ चुका है। इसके झाँसे में आए अधिकारियों के नामों की लंबी सूची है। संगठन के सूत्रों का कहना है कि दूसरे जिलों से पता करेंगे तो और ज्यादा कहानियाँ बाहर आएँगी।

जहां देखो, वहीं स्टंट

मोबाइल फोन पर हाई क्वालिटी वीडियो बनाना अब बेहद आसान हो गया है। जिस तरह से इस सुविधा का अब दुरुपयोग किया जा रहा है, अपने और दूसरों की जान जोखिम में डाला जा रहा है वह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। बिलासपुर में साइंस कॉलेज के एक छात्र ने सोशल मीडिया पर अपलोड करने के लिए छत से कूदने का स्टंट दिखाया और अपनी जान गवां बैठा। उसलापुर रेलवे स्टेशन में कुछ समय पहले मालगाड़ी के ऊपर चढक़र सेल्फी लेने के चक्कर में एक युवक हाईटेंशन तार की चपेट में आकर झुलसा फिर उसकी भी मौत हो गई। कभी किसी बांध या वाटरफाल में तो कभी-कभी पुल पुलिया से सेल्फी या जोखिम भरा वीडियोग्राफी हुए लोगों की मौत आए दिन हो रही है। ऐसा ही एक कारनामा चांपा में हसदेव नदी के पुल के ऊपर आधी रात को दो युवक कर रहे थे। वे सामने के दोनों दरवाजों को खोल कर खड़े हो गए और कोई तीसरा उनकी चलती गाड़ी का वीडियो शूट कर रहा था। यह सिर्फ ना उनके लिए बल्कि पुल से गुजरने वाले दूसरी गाडिय़ों को भी खतरे में डालने की हरकत थी । वीडियो वायरल हो गया। पुलिस ने उनको पहचाना, दोनों गिरफ्तार कर लिए गए हैं। पुलिस ने तो अपना काम कर दिया लेकिन तेजी से बढ़ती इस बीमारी को रोकने के लिए और व्यापक जागरूकता जरूरी लगने लगी है।

एक दूसरे के हित पर चोट

मनेंद्रगढ़-भरतपुर-सोनहत जिले में शराब तस्करी और अवैध शराब बिक्री को लेकर कांग्रेस के ही दो विधायकों के बीच खींचतान दिख रही है। जो जानकारी आ रही है उसके मुताबिक जिस ग्रीन पार्क क्लब बार के खिलाफ विधायक गुलाब कमरो ने शिकायत की वह विधायक डॉक्टर विनय जायसवाल ममेरे भाई का है। डॉक्टर जायसवाल ने उनको भाजपा का कार्यकर्ता बताया लेकिन वास्तव में वह कांग्रेस में सक्रिय हैं। दूसरी तरफ डॉक्टर जायसवाल ने मध्य प्रदेश से हो रही शराब की तस्करी और ढाबों की बिक्री का मामला उठाया। इसमें पता चला है कि वह महिला कांग्रेस की एक नेत्री का है। उसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रही हैं कि सब अवैध शराब बेचना बंद कर दें, तो हम भी कर देंगे। विधानसभा में मामला आया तो मंत्री इस मामले को समझ गए। उन्होंने कहा कि आरोप और शिकायतों की वजह राजनीतिक है। उन्होंने आगे भी जांच का आश्वासन दिया भी है। जांच से कुछ सामने आए न आए पर लोगों के बीच यह जानकारी तो आ ही गई कि किस तरह दो माननीय शराब के धंधे से जुड़े लोगों का साथ देते हैं।

गूगल सर्च इंजन पर जालसाजों का कब्जा

बैंकिंग, बीमा, कंज्यूमर प्रोडक्ट, नौकरी आदि के लिए लोग सर्च इंजन का जमकर इस्तेमाल करते हैं और मदद के लिए उसमें दिए गए नंबर पर फोन लगाते हैं।
बलरामपुर-रामानुजगंज के पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग ने साइबर अपराधों की समीक्षा के दौरान पाया कि इन अपराधों सबसे बड़ा कारण गूगल सर्च इंजन पर आंख मूंदकर भरोसा करना ही है। उन्होंने बीते दिनों सीधे गूगल को पत्र लिखा कि वे कस्टमर केयर के नाम पर दर्ज ऐसे फोन नंबर और वेबसाइट्स की पहचान करें जो फर्जी हैं। इसकी सूची पुलिस को उपलब्ध कराएं और खुद भी फर्जी वेबसाइट और नंबरों को सर्च इंजन से हटाएं।

गूगल को पुलिस की ओर से पत्र पहले भी लिखा जाता रहा है लेकिन उसे गंभीरता से कभी लिया नहीं गया। यह लगभग उसी तरह का मामला है जैसे फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन शॉपिंग सर्विस के जरिए लोग चाकू छुरी मंगा रहे हैं। पुलिस की चि_ी पत्री के बावजूद उस पर रोक नहीं लगी।

फर्जी नंबरों को हटाने के लिए गूगल ने जांच एजेंसियों पर ही जिम्मेदारी डाल रखी है। उसने एलईआरएस नाम का एक पोर्टल बनाया है जो सिर्फ अधिकृत जांच एजेंसियों और अधिकारियों को अनुमति देता है कि फर्जी फोन नंबर वेब साइट्स या अन्य किसी तरह की सूचना हो तो लॉग इन करके उसका डिटेल पोर्टल पर डालें। गूगल आप के अनुरोध पर विचार करेगा।

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