राजपथ - जनपथ

झूठे नाम से शिकायत भी बरसों...
सरकारी पद पर बैठे नेताओं, और अफसरों के खिलाफ शिकवा-शिकायतें आती रहती है। कई प्रकरण ऐसे भी हैं जब प्रभावशाली लोगों के खिलाफ जांच एजेंसियों में शिकायत तो हो जाती है। लेकिन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, शिकायतकर्ताओं का कोई अता-पता नहीं होता है। ऐसे ही सीएम के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी के खिलाफ लोक आयोग में जांच तीन साल तक पेडिंग रही, और अब जाकर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
परदेशी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की लिखित शिकायत हुई थी। यह कहा गया कि परदेशी के पास घोषित आय से कई गुना ज्यादा संपत्ति है। यही नहीं, अपने सरकारी बंगले में भी मरम्मत के नाम पर लाखों खर्च किए। इन सभी बिंदुओं पर सामान्य प्रशासन विभाग ने परदेशी से स्पष्टीकरण मांगा था। परदेशी ने आरोपों को खारिज किया था।
सामान्य प्रशासन विभाग ने यह भी उल्लेखित किया कि छद्म नाम से शिकायत हुई थी। बिलासपुर के जरहागांव के जिस व्यक्ति ने शिकायत की थी वहां उस नाम का कोई नहीं है। यही नहीं, शिकायत को लेकर कोई प्रमाण भी नहीं थे। इसके बाद आयोग को प्रतिवेदन भेजा गया। विभाग से अभिमत आने के बाद अब जाकर आयोग ने परदेशी के खिलाफ शिकायत को विधिक सलाहकार से अभिमत लेकर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया है।
नए मंत्री का बेहतर प्रदर्शन
पहली बार के मंत्री उमेश पटेल ने सदन के भीतर अलग छाप छोड़ी है। उन्होंने विपक्ष के सीनियर विधायकों के तीखे सवालों का जिस तरह सारगर्भित जवाब दिया, उससे जानकार प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। पटेल ने पिछले दिनों छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक, और बेरोजगारों की संख्या के मसले पर एक बाद एक विपक्ष के सारे सवालों का जवाब दिया। उमेश पटेल ने विपक्ष के शोर-शराबे पर पलटवार भी किया, और विपक्षी भाजपा सदस्यों को यह कह गए कि आप लोगों के साथ दिक्कत यह है कि आप कुछ सुनना ही नहीं चाहते। और जब विपक्ष के सदस्य वॉकआउट कर गए, तो उमेश पटेल ने विपक्ष के रवैये पर आपत्ति की, और स्पीकर से शिकायत की। इसके बाद स्पीकर ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए कहा कि कहीं भी गलत आरोप होगा, तो वो विलोपित कर दिया जाएगा। कुल मिलाकर सदन के भीतर उमेश का कई सीनियर मंत्रियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन रहा है।
लव जेहाद का कोण ढूंढने की कोशिश
सूरजपुर जिले के के रामानुजनगर में बीते दिनों हुए मुख्यमंत्री कन्या विवाह समारोह में एक मुस्लिम युवक और आदिवासी युवती की शादी का प्रस्ताव आया था। प्रशासन इसे लेकर होने वाले किसी विवाद को लेकर सतर्क था। उसने सारी औपचारिकताएं पूरी की। खासकर युवती के माता-पिता से यह लिखवाकर ले लिया कि वे इस इस विवाह से सहमत हैं, कोई आपत्ति नहीं है। मामला तब उछला जब भाजपा नेताओं को इसका पता चला। इसके बाद युवती के पिता का शपथ-पत्र लेकर भाजपा नेता पुलिस अधीक्षक से मिले और बताया कि लव जेहाद हुआ है। युवती को बहलाया फुसलाया गया, फिर धर्म परिवर्तन कर निकाह करा दिया गया। पिता पहले विवाह के लिए सहमत थे, बाद में शपथ-पत्र देकर कहा कि बेटी की शादी जबरन कराई गई। पुलिस ने परीक्षण किया, पूर्व में माता-पिता से मिली सहमति के आधार पर कार्रवाई का आधार नहीं बन रहा था। भाजपा आक्रामक हो रही थी। विधायक को भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा था। मगर, इसी बीच युवती खुद मीडिया के सामने आ गई। उसने कहा कि वह युवक को एक साल से जानती है। हम दोनों ने अपनी मर्जी से निकाह किया। दोनों का परिवार सहमत रहा है। मुझ पर कोई दबाव नहीं है। हम दोनों बालिग भी हैं। दिलचस्प है कि किसी आदिवासी संगठन ने अब तक इस शादी पर आपत्ति नहीं जताई है, जबकि युवती आदिवासी है। वैसे भी युवती के सामने आ जाने के बाद मामले में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की गुंजाइश कम रह जाती है, पर भाजपा के कई नेता अब भी मुद्दे को जिंदा रखने की कोशिश में हैं। कह रहे हैं कि युवती ने मीडिया से जो कहा, वह भी दबाव में दिया गया बयान है।
नाटू-नाटू का छत्तीसगढ़ी वर्सन
तेलगू फिल्म आरआरआर का नाटू-नाटू गाना वैसे तो पहले ही फेमस हो चुका था लेकिन ऑस्कर अवार्ड मिलने के बाद पूरे देश में युवा इस पर थिरक रहे हैं। इन दिनों छत्तीसगढ़ी में तैयार किए गए गाने की धूम मची हुई है। गाने को रायपुर की एक प्रोफेसर डॉ. सिंधु शुक्ला ने छत्तीसगढ़ी में लिखा। इस पर नृत्य, अभिनय किया है रायपुर में ही फूड कैफे चलाने वाले युवा मनोज देवांगन और मनोज केशकर ने। शूटिंग भाटागांव बस स्टैंड में की गई है। खास यह है कि छत्तीसगढ़ में रूपांतरित बोल, स्थानीय रहन-सहन की झलक दिखाता है, जैसे- आजा संगी मिर्चा खाबो, नाचो। मूल गाने में तेज स्टेप्स हैं, दोनों युवाओं ने उसे भी अच्छी तरह दोहराने की कोशिश की है। यानि, नकल भी करनी हो तो उसमें काफी मेहनत लगती है।
नेता आपके और करीब...
चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जाएंगे, नेता जनता के और करीब दिखने लगेंगे। उनके बीच के हैं यह बताने के लिए एसी कार और कमरों से बाहर निकलकर धूल खाना होगा। फिर विपक्ष में हो तो कुछ अधिक जोर भी लगाना पड़ता है। संगठन वालों ने वैसे भी एक के बाद एक आंदोलन, पदयात्रा, प्रदर्शन के काम पर नेताओं, कार्यकर्ताओं को झोंक रखा है। ऐसे में विधायक सौरभ सिंह और भाजपा नेता पूर्व आईएएस ओपी चौधरी बाइक में दिखने लगे हों तो इसमें अचरज की कोई बात नहीं है।