राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : फिर ईडी का हल्ला
23-Mar-2023 3:27 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : फिर ईडी का हल्ला

फिर ईडी का हल्ला  

खबर है कि ईडी की एक और टीम का यहां डेरा है। सीआरपीएफ का अमला भी सक्रिय है। कल शाम से इसको लेकर हलचल शुरू हो गई, और अंदाजा लगाया जाने लगा कि गुरुवार की सुबह ईडी की टीम किसी अफसर, या नेता के घर धमक सकती है। कॉलम लिखे जाने तक प्रदेश में कहीं भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर भी इस बात की प्रबल संभावना है कि एक-दो दिनों के भीतर कुछ न कुछ हो सकता है। यह भी चर्चा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर से जाने के बाद कार्रवाई हो सकती है। अमित शाह 25 को बस्तर आ रहे हैं।

कुछ समय पहले तक ईडी या आईटी की टीम रायपुर आती थी। तब किसी को कानोकान खबर नहीं लगती थी। अब हर मूवमेंट  की खबर होने लगी है। इसकी एक वजह सोशल मीडिया भी है। जिसकी वजह से पल भर में प्रदेश के कोने-कोने तक सारी जानकारी पहुंच जाती है। कुछ समय पहले बिल्डर और कुछ कारोबारियों के प्रतिष्ठानों में आईटी की टीम ने दबिश दी थी। आईटी का अमला भोपाल से आया था। और रायपुर के बाहरी इलाके के जिस होटल में ठहरे थे, वहां की जानकारी भी प्रमुख कारोबारियों को हो गई थी। फिर भी कुछ लापरवाह निकले। और आईटी की टीम अपना काम कर गई। इस बार ईडी टीम के आने के बाद कुछ प्रमुख लोगों के प्रदेश से बाहर जाने की भी चर्चा है। देखना है कि आगे क्या कुछ होता है।

प्रतिनियुक्ति से वापिसी  

छत्तीसगढ़ कैडर की वर्ष-2006 बैच की आईएएस श्रुति सिंह को यूपी सरकार ने रिलीव कर दिया है। श्रुति सिंह अपने होम कैडर यूपी में प्रतिनियुक्ति पर थीं, और वो वहां चिकित्सा सचिव के पद पर कार्यरत थीं। श्रुति सिंह ने प्रतिनियुक्ति की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया था, लेकिन केन्द्र सरकार ने अमान्य कर दिया।

श्रुति सिंह छत्तीसगढ़ सरकार में कई अहम पदों पर रहीं हैं। वो बेमेतरा, और गरियाबंद कलेक्टर थीं। गरियाबंद कलेक्टर रहते उन्हें तत्कालीन सीएम डॉ. रमन सिंह ने उन्हें शिकायतों के आधार पर हटाया था। उनके हटने के पीछे उस वक्त अफसरों में चल रही खेमेबाजी को भी जोडक़र देखा जाने लगा था। श्रुति सिंह से पहले बासव राजू भी अपने होम कैडर में कर्नाटक प्रतिनियुक्ति पर थे। इसके अलावा एलेक्स पाल मेनन, शिव अनंत तायल भी अपने गृह राज्य में प्रतिनियुक्ति पर हैं। दोनों अफसर मौजूदा सरकार में ही प्रतिनियुक्ति पर गए हैं।

मजदूर की मौत की परवाह नहीं

सचमुच छत्तीसगढ़ एक शांत प्रदेश है। इतना शांत कि जरूरी मुद्दों पर भी शोर नहीं मचाया जाता। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के हरीगवां, वाड्रफनगर का श्रमिक 30 साल का रामेश्वर खैरवार कमाने खाने के लिए गुजरात के खेड़ा गांव में पिछले एक साल से रहता था। उसकी ससुराल वही थी। पत्नी और 3 बच्चे भी साथ रहते थे। बीते रविवार की रात वह ठेकेदार से अपना बकाया 2500 रुपए लेकर लौट रहा था। वहां वनसोल गांव के लोगों ने उसे चोरी के शक में पकड़ लिया और लाठी-डंडों से इतना मारा कि बुरी तरह घायल हो गया और अस्पताल में मौत हो गई।

याद होगा इसी महीने के पहले सप्ताह में तमिलनाडु में दो बिहारी मजदूरों की मौत हुई थी। एक सामान्य मौत थी, दूसरे मामले में मजदूर ने फांसी लगाई थी। पर यह फेक न्यूज़ फैलाई गई कि प्रताडऩा के बाद दोनों मजदूरों की हत्या की गई है। दहशत इतनी फैली कि सैकड़ों प्रवासी मजदूर दक्षिण भारत से अपने घरों की ओर लौटने लगे। बिहार विधानसभा में मुद्दा उठा। अफवाहबाज एक यूट्यूबर को गिरफ्तार भी किया गया।

इधर गुजरात की खबर झूठी नहीं है। वहां पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या, दंगा और गैर कानूनी तरीके से एक जगह एकत्र होने जैसी धाराओं में अपराध दर्ज किया है, लेकिन किसी की गिरफ्तारी अब तक नहीं हुई है।

देश के अलग-अलग प्रांतों में छत्तीसगढिय़ा मजदूरों के प्रवास का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि सरगुजा, बस्तर के आदिवासी इलाकों से लोग पहले अभावों के बाद भी गांव नहीं छोड़ा करते थे, वे भी बाहर निकलने लगे हैं। इन्हें अधिक मजदूरी देने का लालच दिखाकर ले जाना, शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त करना, बंधक बना लेना आम बात हो गई है। श्रम विभाग के पास वास्तविक से काफी कम आंकड़े दर्ज होते हैं। प्रत्येक पंचायत में सचिवों को प्रवासी मजदूरों की सूची बनाने का निर्देश है पर इसका भी पालन नहीं होता। किसी तरीके से मुक्त हो जाने वाले बंधुआ मजदूरों को कानून के मुताबिक राहत भी नहीं मिलती। मुक्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता, जिससे उनका पुनर्वास हो। कोविड-19 के दौर में देखा गया था कि तीन लाख के आसपास मजदूर छत्तीसगढ़ लौटे थे। अकेले बिलासपुर जिले में लौटने वालों की संख्या एक लाख थी। सरकारों ने यदि इसे नियति भी मान ली है तो कम से कम इन आर्थिक शारीरिक सुरक्षा और सम्मानजनक व्यवहार के लिए बने कानूनों का ठीक तरह से पालन तो कराए।

सामान, नोट, लोग सब नकली

छत्तीसगढ़ नकली सामानों और नोटों के कारोबार का अड्डा बनता जा रहा है। पिछले दिनों बिलासपुर पुलिस ने एक ऐसे शख्स को पकड़ा था जिसने नकली नोट खपाने की कोशिश की थी बाद में यह भी खुलासा हुआ कि उसने अपनी पत्नी की भी हत्या करके लाश को पानी की टंकी में छिपा दी थी। राजधानी में कल बसना महासमुंद के एक फल कारोबारी को हजारों रुपयों के नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया गया। उसने 20 हजार रुपया देकर 50 हजार के नकली नोट बिहार से खरीदे थे। जनवरी महीने में भी ढाई लाख रुपए के नकली नोटों के साथ 2 लोगों को रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मार्च महीने के पहले हफ्ते में रायपुर में नकली डीजल बनाने की एक पूरी फैक्ट्री पकड़ी गई। डीलर को गिरफ्तार किया गया। कल ही केंट कंपनी का नकली आरओ वाटर फिल्टर बेचने के आरोप में एक दुकानदार को गिरफ्तार किया गया। भिलाई की छावनी पुलिस ने 4 दिन पहले चार व्यापारियों को गिरफ्तार किया जो गोदरेज कंपनी का गुड नाइट मॉस्किटो लिक्विड बाजार में खपा रहे थे। पिछले फरवरी में तो गजब हो गया। नकली आयुर्वेदिक दवाई बनाने की एक पूरी फैक्ट्री ही पकड़ी गई, जहां 10 करोड़ रुपए का नकली माल पकड़ा गया था।

नोट और सामान ही नहीं लोग भी नकली पकड़े जा रहे हैं। जनवरी महीने में रायपुर के सिविल लाइन पुलिस ने बलौदा बाजार के एक व्यक्ति को पकड़ा जो खुद को उत्तर प्रदेश का आईएएस अफसर बताकर संस्कृति विभाग के अधिकारियों से घूस मांग रहा था। जीएसटी को कर वसूली का एक फुलप्रूफ जरिया बताया गया था लेकिन आए दिन नकली टैक्स क्लैम के मामले पकड़ में आ रहे हैं। नवंबर में रायपुर में फर्जी फर्म के सहारे 114 करोड़ रुपए का नकली आईटीसी बनाने पर दो कारोबारी गिरफ्तार किए गए थे।

नलाइन ठगी करने वाले तो रोजाना किसी ना किसी को शिकार बना रहे और कुछ धरे भी जा रहे हैं। 4 दिन पहले धरसीवा पुलिस ने फोन पर कस्टमर केयर का अधिकारी बताने वाले जामताड़ा गिरोह के चार लोगों को पकड़ा।  देशभर में नकली सामानों के बाजार पर एक रिसर्च विंग क्रिसिल और ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट पिछले जनवरी माह में आई थी। इसमें बताया गया था कि नकली सामानों का देश में कारोबार ढाई लाख करोड़ से ऊपर है। सबसे ज्यादा 31 फ़ीसदी नकली उत्पाद कपड़ों का है। जिस तरह से बाजार में शॉर्टकट रुपये कमाने की होड़ हो रही है, लोगों का इससे बचना मुश्किल होता जा रहा है।

हेलमेट मैन ऑफ इंडिया

हाईवे पर बढ़ती सडक़ दुर्घटनाओं के बीच एक खबर यह है कि 50 प्रतिशत दुर्घटनाओं के शिकार बाइक सवार लोग होते हैं। ज्यादातर ऐसी दुर्घटनाएं हैं, जिनमें लोग हेलमेट नहीं पहनते और स्पीड पर नियंत्रण नहीं रखते। बिहार का एक शख्स कार पर लखनऊ एक्सप्रेस वे पर सफर कर रहा था। खुद 100 की स्पीड पर कार चला रहे थे लेकिन एक बाइक सवार उन्हें ओवरटेक कर गया। बाइक का पीछा किया और उसे रोका। कार से हेलमेट निकाली और उसे गिफ्ट किया। सोशल मीडिया पर इस व्यक्ति ने अपना नाम नहीं बताया है। उन्होंने अपनी प्रोफाइल नाम हेलमेट मैन ऑफ इंडिया रखा है। जब भी हाइवे पर चलते हैं, कार में कुछ हेलमेट रख लेते हैं। कोई बाइक सवार बिना हेलमेट तेजी से बाइक दौड़ाते गुजरते हैं तो उनको हेलमेट पहनाते हैं।

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