राजपथ - जनपथ

इतनी रफ्तार से कार्यपरिषद !
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केसरीलाल वर्मा अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में वो सब कर रहे हैं, जो विवि की स्थापना के बाद नहीं हुआ। मसलन, एक महीनों में तीन बार कार्य परिषद की बैठक हो चुकी है। चौथी बैठक 28 तारीख को प्रस्तावित है। इससे पहले तक दो-तीन महीने में एक बार कार्यपरिषद की बैठक होती रही है।
सुनते हैं कि कार्यपरिषद की बैठकों में ठेकेदारों के बकाया भुगतान को मंजूरी दी गई। अब तक 3 करोड़ से अधिक जारी भी हो चुके हैं। चर्चा है कि कुलपति महोदय अपने कार्यकाल का कोई बकाया नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए एफडी तोडक़र भुगतान किए जा रहे हैं। अब भुगतान करने की हड़बड़ी है, तो जाहिर है लोगों का ध्यान जाएगा ही। चर्चा है कि कुछ लोगों ने विवि की गतिविधियों पर राजभवन का ध्यान आकृष्ट कराया है।
नए कुलपति की नियुक्ति हो चुकी है। बावजूद इसके एक के बाद एक कार्यपरिषद बुलाकर बकाया भुगतान पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार, और कमीशनखोरी का हल्ला भी है। देखना है कि आगे क्या होता है।
कर्मचारी ख़ुद बना रहे लिस्ट
अनियमित, और संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर चर्चा चल रही है। नियमितीकरण के लिए सभी विभागों से जानकारी एकत्र की जा रही है। पिछले कई सत्रों से यही जवाब दिया जा रहा है। इस बार आखिरी बजट सत्र में कर्मचारियों को उम्मीद थी, लेकिन सरकार का जवाब नया नहीं था।
सरकारी रवैय्ये से खफा कर्मचारी अनियमित-संविदा कर्मचारी नेताओं ने खुद होकर अलग-अलग विभागों से जानकारी एकत्र कर सूची सीएम को भेजनी शुरू कर दी है। कर्मचारी नेता भूपेन्द्र साहू ने सरकारी संस्थाओं में कार्यरत 2617 कर्मचारियों की जानकारी ट्वीटर के जरिए सीएम को भेजी है। ये सभी कर्मचारी अनियमित है। इसी तरह कुछ अन्य विभागों से आरटीआई से जानकारी निकलवाकर सरकार को सोशल मीडिया के जरिए सीएम तक भेज रहे हैं। अनियमित कर्मचारियों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। उनका कहना है कि चुनाव पूर्व घोषणा पत्र में किए गए वादों पर अमल करेगी। देखना है आगे क्या होता है।
सारस और आरिफ की प्रेम कथा
वन्यजीवों या पक्षियों को पालना, उन्हें बंधक बनाना वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत अपराध है। मगर, यह ऐसा मामला है जिसमें पक्षी पंख होते हुए भी आजाद नहीं होना चाहता और अपनी जान बचाने तथा अब देखभाल करने वाले दोस्त के साथ रहना चाहता है। दूसरी ओर वन विभाग कानून का हवाला देते हुए दोनों को अलग करने पर आमादा है।
यूपी के अमेठी के एक गांव में रहने वाले मोहम्मद आरिफ को 7 माह पहले एक खेत में यह सारस घायल पड़ा मिला था। उसकी टांग टूट गई थी, खून बह रहा था। आरिफ से देखा नहीं गया। घर लाकर उसने सारस का देसी इलाज किया। जो खाना वह खुद खाता, वही सारस को भी परोस देता था। कुछ दिन बाद सारस चंगा हो गया। स्वस्थ होने के बावजूद वह कहीं उड़ कर नहीं जाता था। उसे आरिफ का साथ भाने लगा। वह जहां जाता 4 फीट लंबा यह पक्षी साथ होता था। बाइक के पीछे उड़ते उसके कुछ वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हो गए तब बीबीसी न्यूज ने भी एक खबर चलाई। वन विभाग का इस पर ध्यान गया। बीते 21 मार्च को विभाग के कर्मचारी पकड़ कर उसे अपने साथ ले आए। उसे रायबरेली के पक्षी विहार में लाकर छोड़ दिया गया। आरिफ का परिवार रो पड़ा। वन विभाग से मिन्नतें की। कहा कि हमें उससे लगाव हो गया है, हमने उसके पंख तो काटे नहीं, अच्छी देखभाल कर रहे हैं। वह भी अपनी मर्जी से यहीं रहना चाहता है। इधर पक्षी विहार में सारस नहीं टिका, उड़ गया। वन विभाग के अफसर परेशान। इधर, मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया। सपा नेता अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, उसे ढूंढिये, सीएम को तंज कसा। तो वन विभाग के अफसरों ने दावा किया कि उसे विहार से 12 किलोमीटर दूर सर्च कर लिया गया है। उसे फिर पक्षी विहार ले आने का दावा भी कुछ खबरों में किया गया है। दूसरी ओर अब भी आरिफ को उम्मीद है कि वन अधिकारी उसे पिंजरे में कैद करके नहीं रखेंगे तो सारस उसके पास वापस लौट कर आ जाएगा। पक्षी प्रेमियों का कहना है कि यह मनुष्यों का वन्य जीवों का एक दूसरे के प्रति प्रेम का अच्छा उदाहरण है। वन विभाग को इस मामले में संवेदनशील होना चाहिए। कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोर के साथ खिंचवाई गई तस्वीर को भी याद कर रहे हैं।
बस्तर की जाबांज सारा
सीआरपीएफ का 84वां स्थापना दिवस इस बार जगदलपुर में मनाया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसमें पहुंच रहे हैं। इस खास मौके पर सीआरपीएफ की 75 महिला बटालियन ‘डेयरडेविल्स’ दिल्ली से बाइक पर निकलीं। जाबांज महिलाएं धूप, बारिश, ठंड के बीच 1800 किलोमीटर की दूरी तय कर बस्तर पहुंच चुकी हैं। शुक्रवार शाम को इनका करनपुर स्थित बटालियन कैंप पहुंचने का कार्यक्रम है। इन 75 लोगों की टीम में एक सारा कश्यप भी हैं। वह बस्तर के एक छोटे से गांव राजूर की रहने वाली हैं। हालांकि इस टीम में शामिल ज्यादातर महिलाएं बस्तर में या तो पहले काम कर चुकी हैं, या प्रशिक्षण ले चुकी हैं, पर सारा कश्यप इनमें बस्तर स अकेली हैं।