राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : एक और दंपत्ति पर भी ईडी की नजर
25-May-2023 4:29 PM
 राजपथ-जनपथ : एक और दंपत्ति पर भी ईडी की नजर

एक और दंपत्ति पर भी ईडी की नजर

प्रदेश की एक अफसर दंपत्ति दफ्तर नहीं आ रहे हैं। पति आबकारी विभाग में फील्ड में पोस्टेड हैं, तो पत्नी मंत्रालय के दो विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर हैं। 
बताते हैं कि पति ईडी की जांच के घेरे में है, और चर्चा है कि  ईडी उनसे पूछताछ भी कर चुकी है। पत्नी जमीन से जुड़े विभाग में है, वे भी ईडी की नजर में हैं। दोनों का किसी स्कैम में कोई सीधा वास्ता है,  यह तो साफ नहीं है, लेकिन एक साथ दोनों की गैरमौजूदगी प्रशासनिक हल्कों में खूब चर्चा हो रही है। तब से वह दफ्तर भी आ रहीं हैं। उन्होंने छुट्टी ली है या नहीं इसे लेकर परस्पर विरोधी दावे हैं। ईडी इससे पहले दो आईएएस दंपत्ति के यहां रेड कर चुकी है। एक की तो प्रापर्टी अटैच भी कर चुकी है। 

पिता पर बेटे की पीएचडी

         

रविशंकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में करीब 500 गोल्ड मेडल और पीएचडी उपाधियां कल दी गईं। इनमें से एक डॉक्टरेट उपाधि इस मायने में खास है कि वह एक बेटे को अपने पिता पर किए गए शोध के लिए दी गई है। स्व. रेशम लाल जांगड़े आजाद भारत की पहली लोकसभा के निर्वाचित सांसद ही नहीं, बल्कि संविधान सभा के सदस्य, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक भी थे। वे सतनामी समाज के पहले वकील भी रहे। उन्होंने 1949 में नागपुर विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की थी। संसद में 1956 में पारित अस्पृश्यता निवारण कानून के लिए उन्होंने पुरजोर आवाज उठाई थी। लंबे समय तक राजनीति में रहने के बावजूद उन्होंने कोई संपत्ति नहीं बनाई। जीवन के अंतिम दिनों में उसकी खबर उनके बीमार होने पर बाहर आई। तभी बहुत से लोगों को पता चल पाया कि वह एक साधारण से दो कमरों के जनता क्वार्टर में रहते हैं। उनके बेटे हेमचंद्र जांगड़े को इस बात का अफसोस था कि लंबे सामाजिक राजनीतिक योगदान के बावजूद पिता के नाम से कोई स्कूल, कॉलेज, सडक़, प्रतिमा स्थापित करने में न काग्रेस ने रुचि दिखाई, न भाजपा ने।  तब उन्होंने फैसला लिया कि आने वाली पीढ़ी के लिए उन्हें अपने पिता पर खुद ही एक शोध ग्रंथ तैयार करना चाहिए। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय से उन्हें छत्तीसगढ़ के विकास में स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े का योगदान विषय पर पीएचडी करने की अनुमति मिल गई। शोध की ज्यादातर सामग्री कोविड-19 के दौरान जुटाई गई। इसी दौरान वे संसद की लाइब्रेरी में पहुंचे। शोध ग्रंथ स्वीकृत होने के बाद कल उन्हें रविवि के दीक्षांत समारोह में डॉक्टरेट की उपाधि सौंपी गई।

एटीएम उगल रहे छोटे नोट

2000 रुपए के नोट चलन से बाहर करने के बाद सन् 2016 की नोटबंदी की तरह आपदा तो दिखाई नहीं दे रही है लेकिन कुछ दूसरे प्रभाव जरूर हैं। बैंक वालों की मानें तो दिनों लॉकर खोलने के लिए आने वालों की तादात बढ़ गई है। ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने घर में रखने के बजाय लॉकर में ही कैश बंद करके रखे हुए थे। अकाउंट में 2000 के नोटों को जमा करने में तो बैंक कर्मचारियों को दिक्कत नहीं हो रही है लेकिन एक्सचेंज के लिए 5-5 सौ कि नोटों की अतिरिक्त व्यवस्था रखनी पड़ रही है। यह जानकारी आरबीआई तक भी पहुंच चुकी है कि आने वाले दिनों में 500 के नोटों की मांग बढ़ सकती है। एटीएम भी 500 से छोटे 100-200 के नोट इन दिनों आसानी से उगल रहे हैं। 

बस्तर की बुलंद बेटियां

यूपी के लखनऊ में 17 से 21 मई तक हुई छठवीं राष्ट्रीय मिक्स मार्शल आर्ट प्रतियोगिता में बस्तर की बेटियों ने 5 गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतने का कमाल किया है। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पलक नाग ने फिर से गोल्ड मेडल हासिल किया। इस तरह की कामयाबी बस्तर को नक्सल हिंसा ग्रस्त इलाका होने की पहचान से अलग करती है। जगदलपुर पहुंचने पर इनका गर्मजोशी के साथ स्वागत हुआ।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news