राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बीजेपी के सामने मुश्किलें कम नहीं
08-Aug-2023 3:37 PM
राजपथ-जनपथ : बीजेपी के सामने मुश्किलें कम नहीं

बीजेपी के सामने मुश्किलें कम नहीं 

 भाजपा के कई बड़े नेता इस बार प्रत्याशी के रूप में नजर नहीं आएंगे। बिलासपुर संभाग के एक बड़े नेता को विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे के लिए कहा जा चुका है, और अब चर्चा है कि बस्तर के एक प्रमुख नेता को भी बता दिया गया है कि उन्हें विधानसभा के बजाए लोकसभा का चुनाव लडऩा होगा। 

कहा जा रहा है कि बस्तर के नेता को सारा ध्यान संगठन पर केन्द्रित  करने के लिए कहा गया है। चर्चा है कि नेताजी ने पार्टी के रणनीतिकारों को अपनी जगह भाई को उतारने का सुझाव भी दिया है, लेकिन रणनीतिकारों ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। रणनीतिकारों ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि पार्टी के सर्वे में उपयुक्त पाए जाने पर ही भाई के नाम पर विचार होगा। 

चर्चा यह भी है कि पार्टी के रणनीतिकार दो बुजुर्ग विधायकों की जगह नए चेहरे को आगे लाने पर भी विचार कर रहे हैं। मगर दिक्कत यह है कि दोनों ही बुजुर्ग विधायकों का मजबूत विकल्प नहीं मिल पा रहा है। बुजुर्ग विधायक अपने ही परिवार के सदस्यों को आगे करना चाहते हैं। यही नहीं, बुजुर्ग विधायकों की सिफारिश को अनदेखा करने पर बगावत का भी अंदेशा है। देखना है कि पार्टी बुजुर्ग नेताओं को कैसे समझाती है। 

मोदी की सभा का जिम्मा 

पीएम नरेंद्र मोदी की रायगढ़ सभा के लिए पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को भाजपा ने व्यवस्था प्रभारी बनाया है। पीएम का 17 तारीख को रायगढ़ में कार्यक्रम प्रस्तावित है। साथ ही वो शहर से सटे पांडातराई इलाके में सभा को संबोधित करेंगे। सभा में करीब एक लाख लोगों को लाने का टारगेट दिया गया है। 

प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, और सह प्रभारी नितिन नबीन सभा को सफल बनाने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। चौधरी रायगढ़ कलेक्टर रह चुके हैं, और वो खरसिया सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़े हैं। ऐसे में तमाम व्यवस्थाओं में उनकी अहम भूमिका रहेगी। 

सभा की तैयारियों में एक कारोबारी की सक्रियता की पार्टी के अंदरखाने में खूब चर्चा हो रही है। हालांकि कुछ समय पहले कारोबारी के यहां एक केन्द्रीय एजेंसी ने रेड की थी। देखना है कि कारोबारी को आगे मदद मिलती है या नहीं। 

मधुमक्खियों का खौफ है या और बात?

इसी साल मुख्यमंत्री के हाथों 26 जनवरी को उद्घाटित जगदलपुर के लामनी स्थित पक्षी विहार की बारिश के बाद सुंदरता देखते ही बनती है लेकिन 2 महीने से लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया है। वन विभाग ने एक सूचना प्रवेश द्वार पर चिपका दी है जिसमें चिडिय़ाघर के बंद होने की जानकारी दी गई है। बताया गया है कि यहां पर मधुमक्खियों के कई छत्ते बने हुए हैं, आने जाने वाले लोगों पर वे हमला कर सकते हैं। दूसरी तरफ मधुमक्खियों की वजह बता कर लंबे समय से पार्क को बंद रखने को लेकर लोग आशंका भी जता रहे हैं। सवाल किया जा रहा है कि अगर मधुमक्खियों के छत्ते खतरनाक तादाद में इतने दिनों से हैं तो उन्हें हटाया क्यों नहीं जाता? बस्तर में प्राकृतिक रूप से बने छत्तों से शहद निकालने वाले बड़ी संख्या में पारंपरिक रूप से जानकार लोग हैं। कुछ लोगों का यह आरोप है कि पार्क के भीतर मौजूद पक्षियों की लगातार मौत हो रही है, जिसकी जानकारी वन विभाग के अफसर बाहर निकलने नहीं देना चाहते। वैसे, यहां पक्षियों की देखभाल के नाम पर स्टाफ को प्रवेश करने की अनुमति है।

डीएमएफ में अब दिखी गड़बड़ी

बीते महीनों में कोरबा के तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू पर डीएमएफ में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने मुख्यमंत्री और अफसरों को चि_ी लिखी। वह वायरल भी हुई। उस समय भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने रानू साहू का बचाव करते हुए प्रेस रिलीज जारी किया था और आरोप लगाया था कि मंत्री अपनी मर्जी से काम नहीं होने के कारण कलेक्टर से नाराज चल रहे हैं, दबाव बना रहे हैं, जबकि उनका काम सही है। अब कंवर ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और पूर्व कलेक्टर संजीव झा और रानू साहू के अलावा डीएमएफ के सचिव, जिला पंचायत सीईओ नूतन कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की है। 

शायद वक्त की नजाकत को देखते हुए कंवर ने रुख बदल लिया। कंवर ने जब रानू साहू के समर्थन में कहा था तब वे उनके जिले की कलेक्टर थीं। तब वह लड़ाई कोरबा की स्थानीय राजनीति की थी। आज रानू साहू जेल में हैं, और डीएमएफ में गड़बड़ी को बीजेपी ने सरकार के खिलाफ चुनावी मुद्दा बना लिया है। 

नया कानून कितना असरदार?

छत्तीसगढ़ में जुएं और सट्टे के गैर कानूनी कारोबार पर कानून लचीला होने की ओर सरकार का पिछले साल ध्यान गया था और छत्तीसगढ़ जुआ प्रतिषेध विधेयक, 2022 पारित किया गया था। पुराने कानून में ऑनलाइन सट्टा परिभाषित नहीं था। जुआ पर पुराने कानून में 4 महीने की जेल और 100 से लेकर 500 रुपए जुर्माने का प्रावधान था। इसे बढ़ाकर छह महीने की जेल की गई और 10 हजार रुपए जुर्माना किया गया। ऑनलाइन जुआ खेलने खिलाने पर सात साल तक की कैद और 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया। थाने की जगह कोर्ट को रिहा करने का अधिकार मिला। इन सब के बावजूद ऑनलाइन सट्टे का कारोबार अकेले छत्तीसगढ़ में अरबों रुपए तक पहुंच चुका है। हजारों लोग नियमित रूप से इसमें दांव लगा रहे हैं और नए लोग रोजाना जुड़ रहे हैं। नया कानून कितना खौफ पैदा कर पाया इसकी बानगी भी देखने कम नहीं मिलती। राजधानी पुलिस ने महादेव एप से क्रिकेट का बड़ा ऑनलाइन नेटवर्क चलाने के आरोप में सिमर्स क्लब के संचालक नितिन मोटवानी को पकड़ा शनिवार को। पुलिस ने उसे बड़ी कामयाबी बताई, पर सोमवार को ही वह कोर्ट से जमानत पर छूट गया। आसान रिहाई इसके बावजूद कि इस केस में कुछ अन्य आरोपियों के खिलाफ रायपुर पुलिस ने लुकआउट नोटिस जारी कर रखा है। 

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