राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : शहर पर जंगल काबिज !
12-Aug-2023 2:43 PM
राजपथ-जनपथ : शहर पर जंगल काबिज !

शहर पर जंगल काबिज !

प्रशासन में आईएएस के कैडर पदों पर विशेषकर आईएफएस अफसरों की पोस्टिंग पर विवाद खड़ा हो गया है। आईएएस अफसरों के वाट्सएप ग्रुप में एक अफसर ने अंग्रेजी अखबार द हिन्दू की एक पुरानी खबर को साझा किया है, जिसमें बताया गया कि आईएएस के कैडर पदों पर अन्य सेवा के अफसरों की पोस्टिंग के खिलाफ केरल आईएएस एसोसिएशन ने कैट में याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई चल रही है।

हालांकि ग्रुप के अन्य सदस्यों ने खबर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन निजी चर्चा में विशेषकर आईएफएस अफसरों की पोस्टिंग पर नाराजगी जता रहे हैं। शुक्रवार को सरकार ने एनआरडीए के चेयरमैन पद पर पूर्व मुख्य सचिव आरपी मंडल की जगह रिटायर्ड आईएफएस  एसएस बजाज की पोस्टिंग की है। खास बात यह है कि चेयरमैन पद पर एक-दो मौके को छोडक़र सीएस, या सीनियर आईएएस अफसर पोस्टेड रहे हैं। 

नया रायपुर की रुपरेखा तैयार हुई, तो उस समय काडा का गठन किया गया था तब चेयरमैन, उस समय आवास पर्यावरण विभाग के  सचिव विवेक ढांड रहे। एनआरडीए के गठन के बाद तत्कालीन एसीएस, और आवास पर्यावरण विभाग के मुखिया पी जॉय उम्मेन चेयरमैन थे। वो सीएस रहते इस पद पर रहे। इसके बाद एन बैजेन्द्र कुमार चेयरमैन बने। बाद में अमन सिंह एनआरडीए के चेयरमैन हुए। यद्यपि अमन सिंह आईएएस नहीं थे, लेकिन आवास पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव होने के नाते उन्हें दायित्व सौंपा गया। उस समय भी प्रशासनिक हल्कों में उनकी पोस्टिंग पर थोड़ी कानाफूसी हुई थी, लेकिन उससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। 

सरकार बदलने के बाद सचिव स्तर की अफसर पी. संगीता, और फिर सीएस पद से रिटायर होने के बाद आरपी मंडल को चेयरमैन बनाया गया। और अब जब मंडल की जगह बजाज को चेयरमैन बनाया गया है, तो आईएएस बिरादरी में कुछ ज्यादा हलचल है। ये अलग बात है कि बजाज को नवा रायपुर को बसाने का श्रेय दिया जाता है। वो लंबे समय तक एनआरडीए के सीईओ रहे, और फिर वाइस चेयरमैन बने। 

अकेले बजाज की नियुक्ति को लेकर ही नहीं, बल्कि कई और अफसरों की पोस्टिंग पर विवाद हो रहा है। मसलन, पी अरुण प्रसाद को पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव के साथ-साथ उद्योग संचालक, और सीएसआईडीसी के एमडी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। उद्योग संचालक आईएएस का कैडर पोस्ट है, और राज्य गठन के बाद से आईएएस अफसर ही उद्योग संचालक रहे हैं। खुद मौजूदा सीएस अमिताभ जैन उद्योग संचालक रहे हैं। इसके अलावा एसके बेहार, कार्तिकेश गोयल, श्रुति सिंह सहित जितने भी अफसरों की पोस्टिंग हुई है, वो सभी आईएएस थे। 

दिलचस्प बात यह है कि भूपेश सरकार के सत्तारुढ़ होने के बाद तमाम आईएफएस अफसरों को वापस वन विभाग में भेज दिया गया था। मगर बाद में आईएएस अफसरों की कमी, और अपने विशिष्ट गुणों की वजह से एक के बाद एक प्रशासन में आते चले गए। करीब आधा दर्जन आईएफएस अफसर अहम पदों पर हैं। रिटायरमेंट के बाद तो कई आईएफएस अफसर ऊंचा पद पाने में कामयाब रहे। रिटायर्ड आईएफएस संजय शुक्ला तो रेरा चेयरमैन बन गए। कुल मिलाकर आईएफएस बिरादरी मलाईदार पदों पर आ गए हैं। इससे आईएएस अफसरों में नाराजगी तो स्वाभाविक है। 

मण्डल की बिदाई 

अपनी अलग कार्यशैली के लिए चर्चित आरपी मंडल को सरकार ने नवा रायपुर के चेयरमैन के दायित्व से मुक्त कर दिया है। मंडल तीन साल से अधिक इस पद पर रहे। उनकी नियुक्ति आगामी आदेश तक के लिए हुई थी, लेकिन उनकी जगह अब एसएस बजाज को बिठा दिया गया। 

सुनते हैं कि दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेहद करीबी माने जाने वाले आरपी मंडल को सीएस पद से रिटायर होने के बाद सरकार की महत्वकांक्षी नरवा, घुरुवा, और बाड़ी परियोजना का अहम दायित्व सौंपने की तैयारी थी, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए, और फिर उनकी पसंद पर एनआरडीए चेयरमैन का पद दिया गया। 

चेयरमैन बनने के बाद मंडल कोई ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे थे। नवा रायपुर में किसान आंदोलन सुुर्खियों में रहा है। ऐसे में अब सरकार ने उनकी जगह अनुभवी एसएस बजाज को लाया है। देखना है बजाज क्या कुछ करते हैं। 

बाबा, अब तो सुध ले लेते

15 अगस्त, 26 जनवरी के सरकारी मुख्य समारोह में ध्वज फहराना किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए बड़े सम्मान की बात होती है। पर विधायक शैलेष पांडेय के हिस्से में अपनी सरकार होने के बावजूद यह मौका आज तक नहीं आया। अंतिम रूप से अब तय हो गया कि उनको अपने इस पांच साल के कार्यकाल में मौका नहीं मिलने वाला है। आगामी 15 अगस्त को जिला मुख्यालय के समारोहों में ध्वज फहराने वालों की सूची जारी हो गई है। बिलासपुर के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू अपने गृह जिले दुर्ग में ध्वजारोहण करने जा रहे हैं। बिलासपुर में चौथी बार तखतपुर की विधायक, संसदीय सचिव रश्मि सिंह को मौका दिया गया है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद पहली बार 26 जनवरी 2019 वे बिलासपुर के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थीं। कार्यकाल खत्म होने के पहले होने वाला आखिरी ध्वजारोहण भी उनके ही हिस्से में आया है। बीच के अवसरों में प्रभारी मंत्री के रूप में जयसिंह अग्रवाल, रविंद्र चौबे और ताम्रध्वज साहू के अलावा उमेश पटेल और विकास उपाध्याय भी मुख्य अतिथि बनाये जा चुके हैं। यही नहीं, बिलासपुर में सालाना दशहरा उत्सव का आयोजन नगर निगम की ओर से किया जाता है। करीब 30 साल से परंपरा रही कि स्थानीय विधायक इसमें मुख्य अतिथि बनाये जाते रहे। पर, अब इसमें जिले के सभी विधायकों और सांसद को बुलाया जाता है और सामूहिक आतिथ्य में समारोह रखा जाता है। कई सरकारी आयोजनों में प्रशासन ने शहर विधायक को बुलाना जरूरी नहीं समझा। एक बार राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया तो नाराज होकर पांडेय ने कलेक्टर को देशद्रोही भी कह दिया। मंत्रिमंडल में अवसर पाने से पांडेय इस नियम के चलते चूक गए थे कि वे पहली बार बने नये विधायक हैं। इसके पहले यदि विधायक सत्तारूढ़ दल से हो तो बिलासपुर को हमेशा मंत्रिमंडल में जगह मिलती रही, मध्यप्रदेश के दौर में भी।

विधायक पांडेय टीएस सिंहदेव के समर्थक हैं। अपनों के खिलाफ एक बार एफआईआर दर्ज हुई तो उन्होंने कोतवाली थाने का घेराव कर दिया, बोले हम बाबा समर्थक हैं, इसलिए हमें पुलिस प्रताडि़त कर रही है। 15 अगस्त को मौका नहीं मिलने पर उनके समर्थक मायूस हैं। कह रहे हैं, बाबा डिप्टी सीएम बन गए, पर हमारे लिए कुछ नहीं बदला- अब भी ‘अन्याय’ हो रहा है...। यहां अन्याय शब्द का इस्तेमाल भाषा को संतुलित बनाये रखने के लिए किया गया।

एक दुर्लभ प्रजाति का गिरगिट

ये मौसम छिपकली, गिरगिट, सांप, गोह, कछुआ, मेंढक, केंचुआ, घोंघा तमाम तरह के सरीसृप और जीव-जंतुओं का है। ऐसे मौके पर अनेक दुर्लभ जीव भी दिखाई दे जाते हैं, पर हम आप इन्हें जानने-पहचानने में असमर्थ होते हैं। गिरगिट को देखते ही पहचाना जा सकता है, पर इसकी अलग-अलग 202 प्रजातियां होती हैं, यह तो कोई जानकार ही बता सकता है।

फोटोग्राफी के शौकीन एक पुलिस अधिकारी नरेंद्र वर्मा ने अपने सोशल मीडिया पेज पर यह तस्वीर डाली है और बताया है कि अंबिकापुर के बाहरी इलाके में मिला यह भारतीय गिरगिट अत्यन्त दुर्लभ प्रजाति का है। इसका नाम है इंडियन केमेलियन। आम गिरगिट से अलग यह शांत प्रकृति का जीव है। केमोफ्लाज (रंग बदलकर छिप जाने) होने में यह माहिर होता है। इसे देखा कम गया है। इसके पहले शायद यह सन् 2018 में भी दिखा हो।

आदिवासी दिवस पर उभरी एक चिंता

यह छत्तीसगढ़ के मणिपुर की बात है। जी हां, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के इस गांव में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में पूर्व विधायक कांग्रेस नेता पहलवान सिंह मरावी बोले- अपने फायदे के लिए जनरल कैटेगरी के लोग आदिवासी लड़कियों को यूज़ कर रहे हैं। उनसे शादी कर लेते हैं- फिर उनको सरपंच बना लेते हैं। इसके बाद उनके पद और मेहनत का दुरुपयोग कर खुद लाभ उठाते हैं। कई लोग तो बिना शादी किए ही अपने साथ रख लेते हैं, यौन शोषण करते हैं। बहन बेटियों को गुमराह करते हैं, अपने बच्चों को आप संभालकर रखें। जब मरावी ने यह बयान दिया तो विधायक डॉ. केके धु्रव भी मंच पर मौजूद थे। कुछ दूसरे जनप्रतिनिधियों ने उनके इस बयान का समर्थन भी किया।

विश्व आदिवासी दिवस पर सरकारी गैर-सरकारी समारोह खूब हुए। नाच गाने, उत्सव, सम्मान के कार्यक्रम रखे गए। पर इस बार कुछ अलग यह देखा गया कि आदिवासियों ने समानान्तर कई जगह अपने अधिकारों के हनन के खिलाफ आक्रोश जताया। समाज के सामने खड़ी हो रही चुनौतियों पर भी बात रखी। मरावी की ही बात लें। सुनने में तीखी जरूर है, पर खुलकर जो कहना था वह उन्होंने कह तो दिया। आदिवासी समाज में धर्मांतरण के अलावा भी और बस्तर से बाहर भी कई मुद्दे हैं। पर ये इन्हें शायद राजनीतिक नहीं सामाजिक समाधान चाहिए। 

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