राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : मार्गदर्शक मण्डल
21-Aug-2023 4:55 PM
 राजपथ-जनपथ : मार्गदर्शक मण्डल

मार्गदर्शक मण्डल

प्रदेश भाजपा के 70 बरस की उम्र पार कर चुके कई दिग्गज नेताओं की चुनावी पारी खत्म हो गई है। इनमें पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, और अशोक बजाज का नाम प्रमुख है। इसका अंदाजा उस वक्त लगा जब पार्टी ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की, और उसमें दोनों का नाम नहीं था।

चंद्रशेखर साहू कांग्रेस की 85 में लहर के बाद भी अभनपुर सीट से विधानसभा का चुनाव जीते थे। वो महासमुंद लोकसभा सीट से सांसद भी रहे। रमन सरकार में वर्ष-2008 से 2013 तक मंत्री रहे। कुल मिलाकर 3 बार विधानसभा सदस्य रहे। पार्टी ने उन्हें पीएससी सदस्य भी बनाया था। पार्टी के भीतर उनकी पहचान किसान नेता के रूप में रही, लेकिन जमीनी पकड़ कमजोर होती चली गई, और उन्हें लगातार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

चंद्रशेखर साहू 2013, और 2018 में विधानसभा चुनाव हार गए। बावजूद इसके वो अभनपुर अथवा राजिम से चुनाव लडऩे के इच्छुक थे। मगर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी। अब उनकी उम्र भी 70 वर्ष पार कर चुकी है। पार्टी ने साहू समाज से कई युवा नेताओं को आगे लाया है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि चंद्रशेखर साहू की चुनावी राजनीति तकरीबन खत्म हो गई है। कुछ इसी तरह अशोक बजाज की स्थिति है। बजाज को पार्टी ने अभनपुर, और राजिम सीट से चुनाव लड़ाया था। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार वो अभनपुर सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया।

बजाज लंबे समय तक रायपुर जिला ग्रामीण के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे जिला पंचायत के अध्यक्ष थे। इसके अलावा रमन सरकार में राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष रहे हैं। अब जब उनकी भी टिकट कट गई, तो पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि चंद्रशेखर साहू के साथ ही अशोक बजाज के युग का समापन हो गया।

पीएमओ से खोजखबर 

खबर है कि विधानसभा चुनाव के चलते पीएमओ, प्रदेश भाजपा मुख्यालय से रोजाना अपडेट ले रहा है। पीएमओ का पॉलिटिकल सेल,  टिकट वितरण के बाद की स्थिति को लेकर जानकारी ली है।

पार्टी नेताओं के मुताबिक छत्तीसगढ़ को लेकर हाईकमान राजस्थान, और मध्यप्रदेश के मुकाबले ज्यादा गंभीर है। प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने से पहले प्रदेश प्रभारी ने कुछ नेताओं से सीधे बात की थी। मसलन, रामविचार नेताम से पूछा गया था कि वो प्रतापपुर सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं, अथवा रामानुजगंज से ।

पहले यह चर्चा थी कि रामविचार, प्रतापपुर सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। वो वहां की चुनावी संभावनाएं तलाश रहे थे, लेकिन बाद में रामविचार के खुद के आग्रह पर पार्टी ने उन्हें रामानुजगंज से प्रत्याशी बनाया। कई को तो भरोसा भी नहीं था कि पार्टी उन्हें प्रत्याशी बना देगी।

खुद विक्रांत सिंह खैरागढ़ सीट से प्रत्याशी बनने पर चौंक गए। हालांकि वो टिकट के दावेदार रहे हैं, और पिछले तीन चुनाव से लगातार खैरागढ़ से टिकट मांग रहे थे। और जब प्रत्याशियों की सूची जारी हुई, तो वो गुजरात में थे। इसके बाद अगले फ्लाइट पकडक़र रायपुर आए, और फिर अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए निकल गए।

चुनाव पर एक भोंपू फाड़ मुनादी

सरकारी महकमे में कामचोरी देखकर हम सब विचलित जरूर होते हैं लेकिन व्यवस्था उन लोगों की वजह से कायम है जो अपनी जिम्मेदारी लगन के साथ पूरी करते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची अपडेट करने के लिए प्रदेश में अभियान चल रहा है। हर एक मतदाता तक यह जानकारी पहुंचे इसके लिए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने गांवों में कोटवार को मुनादी का निर्देश दे रखा है। जिला निर्वाचन अधिकारियों के जरिये यह निर्देश पंचायतों तक पहुंच चुका है। इसी कड़ी में देवभोग, गरियाबंद के करचिया ग्राम में भी मुनादी करने के लिए यह कोटवार निकला है। वह इस मिजाज से मुनादी कर रहा है कि मशीनी लाउडस्पीकर भी ठप पड़ जाए। शरीर की सारी ताकत निकालकर इसने अपने गले में झोंक दी। इस गांव में रहने वाले अधिकांश उडिय़ाभाषी लोग हैं। स्थानीय बोली में ही वह लोगों से अपील कर रहा है कि वोटर लिस्ट में जिसको नाम जुड़वाना है, कटवाना है कान और ध्यान लगाकर सुन लें। स्कूल में साहब लोग बैठे हैं। देखकर तसल्ली कर लें कि आपका नाम वोटर लिस्ट में सही-सही दर्ज है। चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ने भी कोटवार का नाम डाले बगैर इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया है।

एक छोटा सर्वे भाजपा के लिए.. 

भाजपा ने जिन 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें नि:संदेह पाटन सबसे हाईप्रोफाइल सीट है, जहां से अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधायक हैं। मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि सांड के आगे बछड़े को छोड़ दिया। विजय बघेल ने भी कह दिया कि इस सांड पर मैं ही काबू में लाने वाला हूं, सबका हिस्सा खा रहा है। इसी बीच छत्तीसगढ़ के एक न्यूज चैनल की रिपोर्टर ने एक सर्वे सोशल मीडिया पर पोल के जरिये किया। पूछा गया है कि कौन जीतेगा? जवाब विजय बघेल के पक्ष में है। करीब 43 प्रतिशत लोग मान रहे हैं कि सीएम भूपेश बघेल जीतेंगे, 57 प्रतिशत कह रहे हैं विजय बघेल। यह सर्वे इस अनुमान के साथ है कि पाटन से ही सीएम फिर लडऩे वाले हैं। इस सर्वे में राय सिर्फ 184 लोगों की शामिल है, मगर भाजपा नेताओं को इसने प्रसन्न कर दिया है। अनुज शर्मा सहित कई भाजपा नेताओं ने इसे अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया है और दावा किया है कि नतीजा उनके पक्ष में आएगा।

कांग्रेस जीतेगी पर कम सीटों पर !

चुनाव नजदीक आते ही ओपिनियन पोल का दौर भी शुरू हो गया है। एबीपी न्यूज़ चैनल ने छत्तीसगढ़ को लेकर सी वोटर के जरिये एक सर्वेक्षण किया है। इसके मुताबिक 2018 जितनी सीटों पर कांग्रेस दोबारा नहीं आ रही है, जबकि पार्टी के तमाम नेता इस बार  75 से अधिक सीटों की बात कर रहे हैं। इस ओपिनियन पोल के मुताबिक 90 सीटों में से कांग्रेस को 48 से 54 के बीच सीट मिल सकती है। वहीं बीजेपी की झोली में 35 से 41 सीटें आ सकती हैं। अन्य दलों को शून्य से लेकर तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा। इस आकलन के मुताबिक मध्य छत्तीसगढ़ की 64 सीटों में भाजपा को 25 से 29 सीट मिल सकती है, कांग्रेस को 34 से 38 सीट हासिल हो सकती हैं। अन्य दलों को अधिकतम दो सीटें मिल सकती हैं। दक्षिण छत्तीसगढ़ की 12 सीटों में भाजपा की स्थिति नाजुक बताई गई है। इसमें उसे 2 से 6 के बीच संतोष करना पड़ेगा और कांग्रेस के पास 6 से लेकर 10 तक सीट आ सकती है। अन्य दलों की स्थिति शून्य से एक सीट हो सकती है। उत्तर छत्तीसगढ़ की 14 सीटों में भाजपा और कांग्रेस को 5 से 9 के बीच बराबर की संख्या में सीटें मिल सकती है। मालूम हो कि दक्षिण छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग, उत्तर छत्तीसगढ़ में सरगुजा संभाग और मध्य छत्तीसगढ़ में रायपुर, दुर्ग तथा बिलासपुर संभाग को गिना जाता है।

कांग्रेस सरकार के दोबारा वापस लौटने की वजह एक वरिष्ठ पत्रकार के नजरिये से यह है कि भूपेश बघेल सरकार ने 3 मास्टर स्ट्रोक खेले हैं। पहला राम वन गमन पथ पर काम, दूसरा 76 फीसदी आरक्षण पर जोर और तीसरा छत्तीसगढिय़ावाद।

खुद ही बना ली सडक़

स्थानीय विधायक, अफसरों और पंचायत के प्रतिनिधियों से बार-बार मांग करने के बावजूद सडक़ नहीं बनाई गई। बारिश में चलना दूभर हो रहा था। तब गरियाबंद जिले के ताड़ीपारा के ग्रामीणों ने फैसला किया कि वे खुद ही सडक़ बनाएंगे। जनसहयोग से मटेरियल मंगा ली गई। डेढ़ किलोमीटर रास्ते में पूरे गांव के लोगों ने श्रमदान किया और अब सडक़ बन गई। कुछ दिन पहले ऐसी ही एक तस्वीर राजनांदगांव जिले से भी आई थी। ([email protected])

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