राजपथ - जनपथ

अब माताएं भी राज करेंगी !
प्रदेश की दो महिला आईएएस अफसर की मां भी विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छुक हैं। उन्होंने बकायदा टिकट के लिए आवेदन भी दे दिया है। खास बात यह है कि दोनों महिला अफसरों की मां कांग्रेस से ही टिकट चाहती हैं।
बताते हैं कि जेल में बंद आईएएस रानू साहू की मां लक्ष्मी साहू राजिम सीट से चुनाव लडऩा चाहती हैं। लक्ष्मी अभी जिला पंचायत की सदस्य हैं। ये सीट अभी कांग्रेस के पास है, और मौजूदा दिग्गज विधायक अमितेश शुक्ला पिछला चुनाव 57 हजार वोटों के अंतर से जीते थे। ऐसे में उनकी टिकट काटकर किसी दूसरे के नाम पर विचार होगा, इसकी उम्मीद बेहद कम है, लेकिन लक्ष्मी ने उम्मीद नहीं छोड़ी है, और उन्होंने ब्लॉक कांग्रेस कमेटी को टिकट के आवेदन दे दिया है।
इसी तरह आईएएस की वर्ष-2016 बैच की अफसर तूलिका प्रजापति की मां हेमवंती प्रजापति भी सरगुजा की एक सीट से विधानसभा टिकट की दावेदारी कर रही हैं। हेमवंती के पति दिवंगत प्रवीण प्रजापति 90 के दशक में राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। प्रवीण दिवंगत केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के करीबी रहे हैं। वो सरगुजा में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए काफी मुखर भी थे। टिकट मिलेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है, लेकिन दोनों महिला अफसरों की माताओं की सक्रियता की खूब चर्चा हो रही है।
किसकी कटेगी टिकटें
भाजपा में टिकट के लिए स्थानीय प्रमुख नेताओं ने जो फार्मूला बनाया है, उसके मुताबिक टिकट बंटती है, तो कई दिग्गज नेताओं को चुनाव लडऩेे से वंचित रहना पड़ सकता है। चर्चा है कि प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम माथुर, और दोनों महामंत्री अजय जामवाल व पवन साय ने मिलकर तय किया है कि पिछले चुनाव में 20 हजार से अधिक वोटों से हारने वालों को टिकट न दी जाए। उनकी जगह नए प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
कहा जा रहा है कि फार्मूला मान्य हुआ, तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, पूर्व संसदीय सचिव लाभचंद बाफना समेत कई की टिकट कट सकती है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामसेवक पैकरा इसी फार्मूले के चलते प्रतापपुर सीट से प्रत्याशी बनने से रह गए। उनकी जगह महिला मोर्चे की पदाधिकारी को प्रत्याशी बनाया गया है।
हालांकि पार्टी कई बार छूट भी देती रही है। मसलन, सक्ती से वर्ष-2013 के चुनाव में खिलावन साहू को प्रत्याशी बनाया था, जो कि सरपंच का भी चुनाव हारे थे। लेकिन खिलावन विधानसभा का चुनाव जीत गए। मगर इस बार माथुर के फार्मूले को केंद्रीय चुनाव समिति कितना महत्व देती है, यह देखना है।
एक बड़े बागी की तैयारी
चर्चा है कि भाजपा में रायपुर लोकसभा क्षेत्र की एक विधानसभा सीट से टिकट के प्रमुख दावेदार को प्रत्याशी नहीं बनाया जा रहा है। दावेदार ने पिछले तीन सालों में पार्टी कार्यक्रमों के लिए पानी की तरह पैसा बहाया। मगर उनका नाम संबंधित सीट से दावेदारों के पैनल में नहीं रखा गया है। इस बात की भनक लगते ही दावेदार ने पार्टी छोडऩे का मन बना लिया है। टिकट की घोषणा के साथ ही वो पार्टी छोडक़र किसी अन्य पार्टी अथवा निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर देंगे।
शिकायत हुई तो चावल पास
नागरिक आपूर्ति निगम में 36 हजार करोड रुपए के करीब कथित चावल घोटाले की जांच अब तक मुकाम पर नहीं पहुंची है लेकिन गड़बड़ झाला कभी खत्म नहीं हुआ। हाल ही में सरगुजा जिले में दिलचस्प मामला देखा गया। नान के अफसरों ने कुछ मिलरों का 2300 क्विंटल चावल घटिया बताया और लेने से मना कर दिया। नाराज राइस मिल संचालकों ने मुख्यमंत्री और प्रबंध संचालक को शिकायत की। इसमें कहा गया कि नान के डीएमओ अच्छी क्वालिटी के चावल को भी घटिया बताकर लेने से मना करते हैं। एक लॉट जिसमें 290 क्विंटल चावल होता है, के पीछे नान के अधिकारी कर्मचारी पांच पांच हजार रुपए रिश्वत मांगते हैं। शिकायत का पता चलने पर नान के अधिकारी कर्मचारियों ने भी प्रबंध संचालक से जवाबी शिकायत की। उन्होंने एक मिलर के बारे में कहा कि वह डरा धमका कर घटिया चावल जमा करने के लिए दबाव डालते हैं और एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत करने की धमकी देते हैं। ऐसे में वे मानसिक रूप से परेशान हैं। एक दूसरे के खिलाफ हुई शिकायत किसी अंजाम तक पहुंचती इसके पहले ही दोनों पक्षों में सुलह हो गई। अब चावल बिना किसी शिकायत के जमा किया जा रहा है। मिलर तथा नान के अधिकारी कर्मचारियों ने अपनी-अपनी शिकायत वापस ले ली है। भीतर की खबर यह बताई जा रही है कि दोनों ही पक्षों को लग रहा था की जांच होने से बेकार की एक दूसरे के सामने मुसीबत खड़ी हो जाएगी, इसलिए समझौता कर लेने में ही समझदारी है।
गाड़ी घुमाकर बजाया बैंड
कार कंपनी हुंडई के शो रूम के सामने का नजारा देखकर अंबिकापुर के लोग बीते दिनों हैरान हो गए। कार के मालिक ने गाड़ी को जूते की माला पहनाई। कार पर लिखा, नगर निगम की कचरा ढोने वाली गाड़ी। फिर बैंड बाजे के साथ गाड़ी को शहर में घुमाया भी गया। कार मलिक का कहना है कि वह अपनी कार सर्विसिंग के लिए लेकर आए थे लेकिन उसे एक लाख रुपए का खर्च बताया जा रहा है। दूसरी तरफ शोरूम के मैनेजर का कहना है कि कार हमारे यहां से नहीं खरीदी गई थी पर कंपनी के रूल के अनुसार हमने सर्विसिंग करके दे दी थी। अब वारंटी खत्म हो जाने के बाद फ्री रिपेयरिंग या सर्विसिंग कैसे की जा सकती है?
स्टंट करने वालों को पहचानें
बाइक पर स्टंट करने वालों की पहचान का सीधा तरीका यह निकलता है कि सीसीटीवी कैमरे खंगाल कर गाड़ी का नंबर लें और आरोपी को पकड़ लें। नया रायपुर की चौड़ी, दुरुस्त सडक़ पर ट्रैफिक दबाव कुछ कम है। तेज रफ्तार गाडिय़ों से कई बार यहां भीषण दुर्घटना हो चुकी है। यह तस्वीर इसी सडक़ से ली गई है। दो बाइक चालक स्पीड के साथ बाकी राहगीरों को दहशत में डालते हुए गाड़ी लहराते हुए ओवरटेक कर रहे हैं। अपनी पहचान छुपाने के लिए इंतजाम भी इन लोगों ने कर रखा है। नंबर प्लेट गायब है और हेलमेट भी पहनी। हेलमेट को सुरक्षा के इरादे से पहना होता तो वे शायद स्पीड लिमिट का ध्यान रखते।