राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : लौट के छाबड़ा घर को आए
29-Aug-2023 2:54 PM
राजपथ-जनपथ : लौट के छाबड़ा घर को आए

लौट के छाबड़ा घर को आए 

पुलिस प्रशासन में सोमवार को अहम फेरबदल हुआ। आईजी डॉ. आनंद छाबड़ा को बिलासपुर रेंज से हटाकर वापस रायपुर लाया गया है, और उन्हें इंटेलिजेंस का प्रभार दिया गया है। उनकी 9 महीने बाद इंटेलिजेंस में वापसी हुई है। उन्हें दुर्ग से बिलासपुर भेजे महीनेभर ही हुए थे कि उनकी जगह अजय यादव की पोस्टिंग कर दी गई, जो कि इंटेलिजेंस का प्रभार संभाल रहे थे। 

विधानसभा चुनाव के लिहाज से आनंद छाबड़ा की इंटेलिजेंस में वापसी को अहम मानी जा रही है। वजह यह है कि छाबड़ा को सीएम भूपेश बघेल का बरसों का भरोसा हासिल है। वो तीन साल इंटेलिजेंस के प्रभार पर थे।  

बताते हैं कि भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग से मिलकर आनंद छाबड़ा की नामजद शिकायत की थी। छाबड़ा पर नगरीय निकाय चुनाव के दौरान पक्षपातपूर्ण कार्यशैली के आरोप लगाए गए थे। इस सिलसिले में कुछ साक्ष्य भी सौंपे गए। इन शिकायतों में कितना दम है, यह तो पता नहीं। लेकिन दावा किया जा रहा है कि आयोग ने इसको संज्ञान में लिया है। अब जब छाबड़ा फील्ड से हट गए हैं, तो उनके खिलाफ शिकायतें भी बेमानी हो गई है। 

एक गुजराती, एक सिंधी 

भाजपा में टिकट के लिए सामाजिक संगठनों ने दबाव बनाया है। गुजराती समाज के प्रतिनिधि मंडल ने रमेश मोदी की अगुवाई में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने एकमात्र देवजी पटेल के लिए टिकट मांगी है। देवजी को रायपुर उत्तर, अथवा धरसींवा से प्रत्याशी बनाने की मांग की है। मंडाविया ने  कह भी दिया कि उनकी प्रत्याशी चयन में कोई भूमिका नहीं है। अलबत्ता, समाज की बात प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम माथुर तक पहुंचाने का भरोसा दिया है। 

इसी तरह सिंधी समाज के नेता पहले पांच टिकट मांग रहे थे, लेकिन बाद में दो टिकट पर जोर देने लगे। अब हल्ला है कि एकमात्र रायपुर उत्तर से टिकट की दावेदारी रह गई है। रायपुर उत्तर से सिंधी समाज से कई नए दावेदार भी उभरकर सामने आए हैं। पहले एकमात्र श्रीचंद सुंदरानी ही दावेदार थे। लेकिन अब शदाणी दरबार के प्रमुख संत युधिष्ठिर लाल के बेटे उदय शदाणी ने भी दावेदारी ठोक दी है। यही नहीं, पुराने बिल्डर दिवंगत कन्हैया लाल छुगानी के बेटे सतीश छुगानी, और सिंधी काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष ललित जैसिंघ के लिए दिग्गज नेताओं की सिफारिशें पहुंच गई हैं। 

पार्टी के रणनीतिकारों की सोच है कि रायपुर उत्तर में सिंधी समाज के वोट तो काफी हैं, लेकिन पोलिंग कम करते हैं। ऐसे में क्यों न दूसरे समाज के मजबूत दावेदारों के नाम पर विचार किया जाए। इन सबके बीच संजय श्रीवास्तव का नाम मजबूती से उभरा है। चर्चा है पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के अलावा नितिन नबीन भी उनके लिए सहमत हैं। ऐसे में सिंधी समाज के दावेदारों में रस्साकशी को देखकर पार्टी अन्य विकल्पों पर फैसला लेती है, तो आश्चर्य नहीं होगा। 

लाठी चार्ज को भूल गई कांग्रेस

सन् 2018 के चुनाव के पहले एक बड़ी घटना हो गई थी, जिसने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया। बिलासपुर के कांग्रेस भवन में घुसकर पुलिस ने लाठी चार्ज किया था और दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर लाठियों से पीटा था। इस घटना के पहले कांग्रेसियों ने तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल के घर के सामने कचरा फेंक दिया था। कथित रूप से उन्होंने कांग्रेस को कचरा कह दिया था। आरोप था कि उनके इशारे पर ही मारपीट की गई। उस समय यहां पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख थे, लेकिन कांग्रेसियों पर लाठी चलाने में तत्कालीन डीएसपी नीरज चंद्राकर की मौजूदगी सामने आई थी। बात इतनी गंभीर हो गई तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने हालचाल पूछा। प्रदेश के तमाम नेता कांग्रेसजनों से मिलने आए। कुछ लोग अस्पताल में भर्ती भी हो गए थे। इस मुद्दे ने चुनाव अभियान के पोस्टर में भी जगह पाई। कांग्रेस को सहानुभूति हासिल हुई। कई दावेदार इसी आधार पर टिकट की मांग कर रहे थे कि उन्होंने कांग्रेस के लिए लाठी खाई।

उस दिन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अंबिकापुर में थे। उन्होंने वहीं से आदेश दिया, कलेक्टर ने दंडाधिकारी जांच तय कर दी जिसे 3 माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी। घटना 18 सितंबर 2018 की है। कुछ दिन में इस मामले को पांच साल पूरे हो जाएंगे। कांग्रेस की सरकार बन गई, कार्यकाल लगभग पूरा होने वाला है पर अब तक न जांच पूरी हुई है और न ही किसी पुलिस अधिकारी कर्मचारी पर अब तक कोई कार्रवाई हुई। अलबत्ता चंद्राकर और दूसरे पुलिस अधिकारी समय के साथ प्रमोशन पाते गए। कुछ तो सेवानिवृत्त भी हो गए।

अब कांग्रेस के उपेक्षित तथा सत्ता पक्ष से नाराज चल रहे पूर्व विधायक अरूण तिवारी ने इस मुद्दे को फिर सुलगा दिया है। उन्होंने एक पत्रकार वार्ता लेकर घोषणा की है कि कार्रवाई नहीं होने पर वे इस मुद्दे को दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं तक पहुंचाएंगे। रायपुर में राजीव भवन के सामने 18 सितंबर को अनशन पर भी बैठेंगे।

स्थिति यह है कि कांग्रेस नेता भाजपा शासनकाल में बार-बार किए गए अपने आंदोलनों और जेल जाने की घटनाओं का जिक्र तो करते हैं लेकिन लाठी चार्ज मामले में कार्रवाई की चर्चा से बचते हैं। उल्टे उन पर भाजपा तंज कसती रहती है।

लाठी खाने वाले कुछ नेताओं को निगम, मंडल, प्राधिकरण, आयोग आदि में जगह दी जा चुकी है। इसे मरहम के रूप में देखा जा सकता है। पर अफसरों पर कार्रवाई से बचने को एक प्रशासनिक फैसला कहा जाता है। इस थ्योरी के मुताबिक पुलिस ने जो किया वह अपने मन से नहीं, उस समय की सत्ता के निर्देश पर किया, उनकी मजबूरी थी। हमें भी तो उनसे ऐसे काम कराने पड़ते हैं। इसलिए उन्हें संरक्षण मिलना चाहिए।

इन दो विधायकों का ऐसा विरोध

कांग्रेस के किन विधायकों को टिकट नहीं मिलेगी यह तो सूची जारी होने लगेगी तभी पता चलेगा, पर जिनकी टिकट संकट में है, उनके नाम जनता के सामने आने लग गए हैं। स्व. अजीत जोगी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी की गैर मौजूदगी में मरवाही सीट के डॉ. के के ध्रुव ने भाजपा को 38 हजार मतों के बड़े फासले से हराया था। पर ढाई तीन साल में ही स्थिति बदल गई है। यहां से टिकट का आवेदन करने वालों की संख्या 26 है। इनमें से कुछ प्रमुख दावेदारों ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष उत्तम वासुदेव के माध्यम से प्रदेश संगठन को पत्र दिया है कि हममें से किसी को टिकट दे दी जाए पर मौजूदा विधायक को न दें। इनके चलते मरवाही नेतृत्वविहीन हो गया है, स्थानीय विधायक चाहिए। यह मांग उठाने वाले ये 4-5 दावेदार सभी 26 का प्रतिनिधित्व करते हैं या नहीं यह तो कहा नहीं जा सकता पर इतना तय है कि कांग्रेस के चुनाव अभियान में पिछली बार इनकी सक्रियता थी। इनके समर्थन के बिना विधायक चुनाव अभियान नहीं चला सकते। डॉ. ध्रुव करीब 20 साल तक यहां सरकारी चिकित्सक रहे, पर यह याद दिलाया जा रहा है कि वे मूलत: भाटापारा के रहने वाले हैं।

कुछ ऐसी ही स्थिति सामरी विधानसभा की बन गई है। यहां टीएस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने के बाद रखे गए स्वागत के कार्यक्रम में तमाम नेता पहुंचे पर विधायक चिंतामणि महाराज को नहीं बुलाया गया। इन्होंने मंच से मांग की कि यहां हममें से 35 लोगों ने टिकट का दावा किया है, इनमें से किसी को भी दे दो चिंतामणि महराज को मत दीजिए। हमारा एक काम नहीं हुआ, जो हुआ भाजपाईयों का हुआ। सिंहदेव ने अपने भाषण के दौरान तीन चीजें याद दिलाई कि वे ‘दोनों दरवाजों’ में दिखाई देते हैं। गहिरा गुरु के पुत्र होने के कारण उन्हें भाजपा से कांग्रेस में शामिल किया और सन् 2018 में पांच साल लुंड्रा विधायक रहने के दौरान उनका विरोध था, इसलिए सामरी से टिकट दिलाई।

अभी टिकट वितरण का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है। स्थिति आगे साफ होगी कि इस तरह के ऐलान के साथ विरोध का इन विधायकों की दावेदारी पर क्या असर पड़ेगा।

6वीं शताब्दी की बौद्ध प्रतिमा

कोंडागांव जिले में भोंगापाल पंचायत से दो किलोमीटर दूरी पर लतुरा नदी के पास इस बौद्ध प्रतिमा के अलावा एक चैत्य गृह भी है। एक प्राचीन हिंदू मंदिर भी मिला है। अनुमान लगाया जाता है कि यह 6वीं शताब्दी में नल वंश के नरेशों ने बनवाया। इसे बस्तर संभाग का एकमात्र चैत्य गृह भी बताया जाता है। और भी कई टीले तथा दर्शनीय स्थल आसपास हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे संरक्षित तो किया है लेकिन देखभाल का अभाव है। यहां पहुंचने वाले सैलानियों का कहना है कि यहां सुलभ रास्ते सहित पर्यटन की सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो यह बस्तर के सिरपुर में गिना जाएगा। 

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news