राजपथ - जनपथ

थ राजपथ-जनपथ : गुरु की न दोस्ती भली, न दुश्मनी
30-Aug-2023 5:59 PM
थ राजपथ-जनपथ : गुरु की न दोस्ती भली, न दुश्मनी

गुरु की न दोस्ती भली, न दुश्मनी

सरकार के एक मंत्री की समाज विशेष के गुरु से अच्छी छन रही थी। पिछले विधानसभा चुनाव में गुरुजी ने मंत्री जी के लिए प्रचार भी किया था। मगर अब दोनों के रिश्तों में खटास आ गई है। गुरुजी ने रास्ते बदल दिए हैं, और अब मंत्री जी को हराने की मुहिम में जुट गए हैं।

बताते हैं कि दोनों के बीच दूरियां उस वक्त बढ़़ गई, जब गुरुजी ने अपने बेटे के लिए पसंदीदा सीट मांगी। और मंत्री जी को इसके लिए मदद करने कहा। मंत्री जी चुनाव समिति में भी हैं। उन्होंने प्रदेश प्रभारी तक गुरुजी की भावनाओं को पहुंचा दिया। प्रदेश प्रभारी ने वर्तमान एमएलए की टिकट काटकर गुरुजी के बेटे को टिकट देने से मना कर दिया।

चर्चा है कि गुरुजी से कोई दूसरी सीट छांटने के लिए कहा गया, तो वो नाराज हो गए। अब गुरुजी का गुस्सा मंत्री जी पर निकल रहा है। गुरुजी के बेटे ने मंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र में अपने समाज के लोगों की बैठक लेना शुरू कर दिया है, और मंत्री जी को हराने की अपील कर रहे हैं। गुरुजी की अपील का क्या असर होता है, यह तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। मगर अभी तो उन्होंने मंत्री जी के लिए परेशानी बढ़ा दी है।

एक उम्मीदवार, कई बागी?

भाजपा में डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के खिलाफ अंबिकापुर से टिकट के  दावेदारों की फौज खड़ी हो गई है। कुछ दावेदार तो ऐसे हैं जो कि सिंहदेव से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। यही नहीं, दावेदारों के बीच आपस में तनातनी शुरू हो गई। पिछले दिनों टिकट की चर्चा के बीच पार्टी के एक नेता ने तो जिले के प्रभारी का कालर भी पकड़ लिया था।

प्रभारी पर यह आरोप है कि वो व्यक्ति विशेष के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। यह भी कहा गया कि जिला प्रभारी, व्यक्ति विशेष के आतिथ्य सत्कार में ही रहते हैं। वहां मौजूद नेताओं ने किसी तरह दोनों को अलग किया, लेकिन विवाद खत्म नहीं हुआ। चर्चा है कि प्रत्याशी की घोषणा के बाद कई नेता बागी तेवर दिखा सकते हैं।

रेवड़ी तो भई यहां बंट रही है...

भरतपुर-सोनहत के विधायक गुलाब कमरो ने स्वेच्छानुदान मद से अपने ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी के नाम पर 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत कराई है। अपने ड्राइवर के नाम 50 हजार रुपये और मीडिया प्रभारी के नाम 20 हजार रुपये। यह सब जानकारी एक आरटीआई से मिली है। कमरो वही कांग्रेस नेता हैं जिन्होंने सन् 2018 के चुनाव में स्वेच्छानुदान राशि के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए तत्कालीन विधायक चंपा देवी पावले के खिलाफ पर्चा बंटवाया था।

20-22 महीने पहले मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने पत्रकारों को दीपावली मिलन के लिए बुलाया और जाते-जाते सबको लिफाफा थमा दिया। एक पत्रकार रविकांत सिंह ने जब देखा कि लिफाफे में उनके नाम से 5 हजार रुपये का चेक है, तो उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर चेक लौटा दिया। उन्होंने लिखा न मुझे अनुदान की जरूरत है और न ही मैंने इसकी मांग की थी। खबर नेशनल मीडिया में भी आई। डॉ. जायसवाल ने अपने एक प्रतिनिधि को पढ़ाई के नाम पर भी 20 हजार रुपये का चेक जारी कर दिया, जबकि वह कहीं कोई पढ़ाई नहीं कर रही थी। एक एल्डरमेन को भी 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद की, जिसके पति रेलवे कर्मचारी हैं।

दो साल पहले डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू का मामला चर्चा में था। उन्होंने अपनी ही पत्नी जयश्री साहू को 5 लाख रुपये की सहायता की। दावा यह था कि यह रकम उनकी संस्था के नाम पर है, पर चेक पत्नी के नाम पर जारी हुआ, संस्था के नहीं। इसके अलावा 30-35 एकड़ जमीन के मालिक को भी आर्थिक सहायता दी। भाजपा ने उस सूची में शामिल 18 नामों को देखकर बताया कि इनमें 17 कांग्रेस कार्यकर्ता हैं। भाजपा ने विधायक का पुतला भी फूंका।

भाजपा के शासनकाल में गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने सन् 2014 में 161 लोगों को 17.50 लाख रुपये बांटे। आरोप था कि कोई भी जरूरतमंद नहीं था। सबके आवेदन फर्जी थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से शिकायत की गई। कांग्रेस ने भी पैकरा के इस्तीफे के लिए दबाव बनाया। डॉ. सिंह ने कोई कार्रवाई नहीं की तो जानकारी निकालने वाले आरटीआई कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने मामला लोक आयोग को जांच के लिए भेज दिया। लोक आयोग ने क्या किया, अब तक सामने नहीं आया है।

कांग्रेस सरकार बनते ही सन् 2019 में विधायक निधि की राशि एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई। पर यह शर्त लगा दी गई कि इसमें से 50 लाख रुपये मंत्री की अनुशंसा पर खर्च होंगे। मुख्यमंत्री के पास 40 करोड़ रुपये होते हैं, जुलाई 2022 में केबिनेट की बैठक में इसे 70 करोड़ रुपये सालाना कर दिया गया। जिस तरह से विधायक अनुशंसा कर इस राशि का अपने लोगों के बीच बंदरबांट कर रहे हैं, यह जाहिर है कि उनके भेजे गए आवेदनों का परीक्षण नहीं होता, या जानबूझकर आंख मूंद कर उनकी सिफारिश स्वीकार कर ली जाती है। विधायक कमरो ने यह कहकर पल्ला झाड़ा है कि हम तो जो आवेदन आते हैं, उसे सीएम या मंत्रियों के पास भेज देते हैं, राशि वहीं से मंजूर होती है। हमारे हाथ में तो सिर्फ जनसंपर्क निधि है, स्वेच्छानुदान नहीं।

हर एक राज्य में सत्ता के साथ यह मजबूरी दिखाई देती है। कैग ने बार-बार पाया है कि सांसद विधायकों के फंड का भारी दुरुपयोग हो रहा है। कुछ सांसदों का स्टिंग ऑपरेशन करके भी दावा किया गया था कि वे सांसद निधि की स्वीकृति में भारी कमीशन लेते हैं। सन् 2009 में प्रशासनिक सुधार आयोग ने अनुशंसा की थी, यह राशि बंद होनी चाहिए। पर संसद ने इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया। सांसद विकास निधि की शुरूआत सन् 1993 में पीवी नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्रित्व काल में  हुई थी। उसके बाद राज्यों ने भी विधायक निधि शुरू कर दिए। इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। हाल ही में मध्यप्रदेश ने विधायक की स्वेच्छानुदान राशि 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दी है।

दुभाषिए की जरूरत नहीं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू छत्तीसगढ़ के अपने पहले प्रवास पर कल आ रहीं है। ओडि़शा मूल की महामहिम से निकटता बढ़ाने , प्रदर्शित करने राज्य प्रशासन के कई ओडिशा मूल के अफसर कई यत्न कर रहे हैं। ये अपने साथ साथ पत्नियों के लिए भी अवसर तलाश रहे हैं कि शहर के एक दो कार्यक्रम में से कहीं राष्ट्रपति के सान्निध्य मिल जाए।  जानी मानी ओडिसी नृत्यांगना पूर्णाश्री राउत को दुभाषिए के तौर पर राष्ट्रपति के घासीदास संग्रहालय विजिट के लिए नामजद किया गया। श्रीमती राउत का पुरातत्व से कोई संबंध नहीं है वह संस्कृति विभाग की अधिकारी हैं। पुरातत्व विभाग में चर्चा है कि प्रेसिडेंट विजिट के लिए ड्यूटी अफसरों में संग्रहालय के प्रभारी और वरिष्ठ अफसर जे आर भगत को शामिल नहीं किया गया है। ड्यूटी चार्ट बनाने वालों ने ओडिया भाषी होने का तो ख्याल रखा लेकिन प्रेसिडेंट के आदिवासी होने का ख्याल नहीं आया। सो भगत का नाम कट गया। अब राष्ट्रपति भवन ने सूचना भेज दी है कि महामहिम हिंदी न केवल समझती हैं बल्कि अच्छे से बोल लेती हैं ,इसलिए दुभाषिए की जरूरत नहीं । अब म्यूजियम परिसर में चर्चा है कि रायसीना हिल्स को भी तो यहां संस्कृति विभाग में चल रहे खेल की भनक तो नहीं लग गई।

सिलेंडर जब सस्ता हुआ...

घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में 200 रुपये की कमी करने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक वायरल वीडियो में गाय काफी देर तक सिलेंडर को लुढक़ाकर सडक़ पर खेल रही है। टिप्पणी की गई है कि गौमाता सिलेंडर सस्ता होने पर खुशी जाहिर कर रही है।

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