राजपथ - जनपथ

भाजपा का एक नाम तय
चर्चा है कि प्रदेश भाजपा के चुनाव अभियान समिति के मुखिया के लिए पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का नाम फाइनल हो गया है। कहा जा रहा है कि प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम माथुर ने खुद बृजमोहन के नाम की अनुशंसा की है।
हल्ला यह भी है कि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का नाम चुनाव अभियान समिति के मुखिया के लिए आगे बढ़ाया है। यही एक वजह है कि चुनाव अभियान समिति की सूची अटक गई है। कहा जा रहा है कि माथुर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जल्द सूची जारी करने के लिए रिमाइंड भी किया है। देखना है कि चुनाव अभियान समिति की घोषणा कब तक होती है।
फ्रेंडली मुकाबले के बाद कांग्रेस में
सराईपाली के पूर्व भाजपा प्रत्याशी श्याम तांडी ने टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़ दी है। तांडी जिला पंचायत सदस्य हैं, और वो दोबारा टिकट चाहते थे। मगर भाजपा ने उनकी जगह पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सरला कोसरिया को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस प्रवेश के पीछे कुछ और वजहें बताई जा रही है। एक बड़ी वजह यह है कि सराईपाली के कांग्रेस विधायक किस्मतलाल नंद उनके रिश्तेदार हैं। नंद ने ही उन्हें कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार किया।
वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में किस्मतलाल नंद, और श्याम के बीच मुकाबला फ्रैंडली हो गया था। कांग्रेस लहर में किस्मतलाल ने श्याम को 50 हजार से अधिक मतों से मात दी थी। मगर इस बार सराईपाली में कांग्रेस की राह आसान नहीं है। पार्टी की अंदरूनी सर्वे रिपोर्ट में भी किस्मतलाल नंद की पोजिशन खराब आंकी गई है। इस वजह से किस्मतलाल की टिकट खतरे में पड़ गई है। और अब जब पूर्व भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस के हो गए हैं, तो संभव है कि किस्मतलाल की किस्मत फिर खुल जाए, और उन्हें फिर प्रत्याशी बना दिया जाए। देखना है आगे क्या होता है।
नाम विधायक के लिए, चर्चा सांसद की
राजधानी रायपुर में चार विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जहां कांग्रेस के तीन और भाजपा के एक विधायक हैं। कांग्रेस के तीनों विधायक टिकट के लिए अकेले ही दावेदार हैं। दो जहां उलझे हुए हैं, वहीं एक निश्चिंत है। नाम तो चल रहा है विधायक के लिए लेकिन हाई कमान को उनमें सांसद दिख रहा है। बंगले की भीड़ में चर्चा तेज है। विधायक ने भी संकेत दिए समर्थकों को। बीते दशक, डेढ़ दशक में इस नेता ने राजनीति में अच्छा राइज किया है। अपने गुरू को पीछे छोड़ दिया है, कांग्रेस की परंपरा के अनुसार। गुरू रायपुर से आगे नहीं बढ़ पाए लेकिन चेला दिल्ली तक की राजनीति कर रहा है।अब देखना है कि पांच वर्ष पहले गुरू को मिले अवसर की तरह विफल होते हैं या सफल।
रमन के मुकाबले कौन?
भारतीय जनता पार्टी की राजनांदगांव जिला इकाई ने एकमात्र डॉ. रमन सिंह का नाम फिर से विधानसभा उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव भेजा है। सन् 2018 में जब भाजपा के खिलाफ लहर चली थी, उन्होंने इस सीट पर 17 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। उनके सामने भाजपा छोडक़र कांग्रेस में आई करूणा शुक्ला थीं। वे बाहरी प्रत्याशी थीं। कहा जा रहा था कि यदि किसी स्थानीय मजबूत उम्मीदवार को टिकट देते तो मुकाबला और कड़ा हो जाता। चुनाव अभियान के दौरान बाजी पलटने के भी दावे किये जा रहे थे।
इसके पहले के चुनाव सन् 2008 में स्व. उदय मुदलियार और उनके निधन के बाद 2013 में उनकी पत्नी अलका मुदलियार की करारी हार हुई। अलका मुदलियार करीब 36 हजार वोटों से तथा उदय मुदलियार करीब 33 हजार वोटों से हारे थे।
सन् 2018 के नतीजों से पता चलता है कि डॉ. रमन सिंह को बड़ी चुनौती मिली थी। करुणा शुक्ला को सिर्फ कांग्रेस पार्टी का साथ था, उनका वहां पहले से कोई जनाधार नहीं था। यह नतीजा राजनांदगांव में उनका जनाधार कम होने का संकेत देता है।
कांग्रेस मान रही है कि बाहर से आईं करुणा शुक्ला (अब दिवंगत) ने उनसे कड़ा मुकाबला किया था। स्थानीय उम्मीदवार होने से नतीजा पलट भी सकता है।
इसलिए पढ़ते समय खाने से बचें
चिकित्सकों की राय होती है कि खाना खाते समय, किताब नहीं पढऩी चाहिए, टीवी मोबाइल फोन नहीं देखना चाहिए। यह सेहत के लिए ठीक नहीं होता। पर दिल्ली की एक लाइब्रेरी में किताब पढ़ते वक्त खाने से रोकने के लिए एक दिलचस्प पर्चा चिपकाया गया है। इसमें लिखा गया है- आप खाएंगे, चीटियां अंदर आ जाएंगीं। वे पढऩा सीखकर होशियार हो जाएंगीं। ज्ञान में ताकत होती है। ताकत भ्रष्ट बनाती है। फिर एक दिन ये दुष्ट चीटियां दुनिया पर कब्जा कर लेंगीं।
पुलिस सुरक्षा में लूट
यह एक दिलचस्प मामला है कि जिस व्यक्ति को नक्सलियों से खतरा होने के कारण पुलिस ने सुरक्षा दी थी, उसी ने लूट की वारदात को अंजाम दिया। राजनांदगांव के एक शख्स विजय गुप्ता ने खुद को नक्सलियों से जान का खतरा बताया था। उसे पुलिस सुरक्षा दी गई। उसके साथ हर वक्त पुलिस होती थी। पर उसे दो दिन पहले महाराष्ट्र में गढ़चिरौली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे ही नहीं उसके नौ साथियों को पकड़ा गया। आरोप के मुताबिक इन लोगों ने एक सुअर के व्यापारी से राह चलते डेढ़ लाख रुपये लूट लिए।
यह तो सडक़ छाप लूट हुई। कितने ही ऐसे जनता के बीच से चुने हुए प्रतिनिधि हैं जिन्हें हथियारबंद फोर्स की हिफाजत मिली है। लूटते रहते हैं और किसी को भनक भी नहीं लगने देते।