राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : भाजपा को प्रोडक्ट बेचना आता है
02-Sep-2023 3:39 PM
राजपथ-जनपथ : भाजपा को प्रोडक्ट बेचना आता है

भाजपा को प्रोडक्ट बेचना आता है

कांग्रेस ने भाजपा, रमन सरकार के घोटालों पर शुक्रवार को काला चि_ा पेश किया । इसके बाद शनिवार को भाजपा ने बघेल सरकार के घोटालों पर आरोप पत्र जारी किया । पहले जारी करने के बाद भी कांग्रेस पिछड़ गई है। । कारोबारी भाषा में कहे तो कांग्रेस के अपने प्रोडक्ट को बनाने, पैकिंग और उसे बेचना नहीं आया, इसलिए पिछड़ गई कह रहे। काला चि_ा के रूप में मुद्रित पुस्तिका या लेखन और प्रकाशन पूरी तरह से सरकारी लगता है, भाषाई त्रुटियां भी ढेरों। राष्ट्रीय नेत्री के हाथों अवश्य जारी किया लेकिन उसे वो हाइप नहीं मिला । और इधर भाजपा के तौर तरीके जानने वाले कहते हैं कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के आरोप पत्र को देखना। इसे जारी करने केंद्रीय गृह मंत्री शाह,आए है तो पूरा तामझाम तैयार करने मीडिया के राष्ट्रीय नेता सिध्दार्थ नाथ सिंह, संजय मयूख, केके. शर्मा भी पहुंचे हैं। यही नहीं दिल्ली से नेशनल मीडिया के पत्रकार भी लेकर आए हैं। और आयोजन विशाल डीडीयू सभागार में । इसलिए कहा जाता है भाजपा को अपना प्रोडक्ट बेचना आता है ।

सरगुजा अब पूरे कांग्रेस की चिंता

सामरी विधायक चिंतामणि महाराज और रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह से अपनी नाराजगी को सार्वजनिक मंच से जाहिर कर उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (बाबा) ने ठीक किया या नहीं, इस पर सवाल उठ रहे हैं। रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह की प्रतिक्रिया आ ही गई है। इसके बाद चिंतामणि महाराज का बयान भी सामने आया है।

दोनों जानते हैं कि कम से कम सरगुजा के मामले में तो सिंहदेव की राय संगठन के सामने महत्वपूर्ण रहेगी, इसलिए उन्होंने संभले हुए जुबान से प्रतिक्रिया दी है। पर यह भी साफ कर दिया है कि वे टिकट नहीं मिली तो हंगामा मचा देंगे। जैसे बृहस्पत सिंह ने कहा कि बाबा अकेले नहीं है। हाईकमान में और लोग भी हैं। अब एक वीडियो चिंतामणि महाराज का भी वायरल हो गया है। वे कह रहे हैं- अच्छा काम करने के बावजूद यदि मुझे टिकट नहीं दी गई तो लोग चुनाव का बहिष्कार कर देंगे। चुनाव का बहिष्कार का दूसरा मतलब यह लगाया जा सकता है कि लोग कांग्रेस के खिलाफ वोट करेंगे। यह नहीं भूलना चाहिए कि चिंतामणि महाराज पहले भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ चुके हैं।

कुछ लोग यह मान रहे हैं कि सिंहदेव की निजी राय जो भी हो पर ठीक चुनाव से पहले दोनों प्रत्याशियों के खिलाफ नाराजगी सार्वजनिक कर उन्होंने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम किया। यदि इन दोनों विधायकों की टिकट किसी और वजह से भी कट गई तो इसमें सिंहदेव का हाथ माना जाएगा। दोनों विधायकों के कुछ तो समर्थक अपने इलाके में होंगे ही। क्या इनकी टिकट कटने के बाद वे दूसरे उम्मीदवार के लिए काम करेंगे? और यदि इन दोनों को टिकट मिल गई तो क्या सिंहदेव के समर्थक काम करेंगे। सरगुजा कांग्रेस में सिंहदेव के एकमात्र दबदबे पर भी सवाल उठेगा, जो बाकी सीटों पर भी असर डालेगा।

प्रदेश की जितनी सर्वे रिपोर्ट्स आ रही हैं, उनमें पलड़ा कांग्रेस की ओर झुका तो दिखाई दे रहा है पर टक्कर कांटे की भी बताई गई है। कांग्रेस भाजपा के बीच सीटों का अंतर पिछली बार के मुकाबले बहुत कम हो रहा है। ऐसे मौके पर कांग्रेस किसी भी सीट पर अधूरी लड़ाई नहीं लडऩा चाहती, पूरा जोर लगाना चाहती है। सिंहदेव की मंशा नहीं रही हो तब भी उनके बयानों में भाजपा को अवसर दिखाई दे रहा है। उस सरगुजा संभाग में जहां सभी 14 सीटें इस समय कांग्रेस के पास है। एक भाजपा नेता ने चुटकी लेते हुए कहा कि ठीक है बाबा आप हमारे बुलाने से पार्टी में नहीं आए, वहीं रहकर आप जो कर रहे हैं, उससे भी थोड़ी-बहुत मदद मिल ही रही है।  

मदिरा के लिए भवन की मांग

देशी-विदेशी शराब बेचने की सरकार ने व्यवस्था तो कर दी है, पर खरीदने के बाद पीने के लिए जगह ढूंढनी पड़ती है। किसी कोने में बैठकर पियें तो पुलिस पकड़ लेती है। बेकसूर से वसूली होती है और रकम नहीं मिलने पर केस बना दिया जाता है। इस समस्या की ओर मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री को पत्र लिखकर एक हाईकोर्ट अधिवक्ता मलय जहानी ने ध्यान दिलाया है। उन्होंने शराब पीने के लिए सरकारी भवन बनाने की मांग की है। पता नहीं, उन्होंने यह शिकायत पूरी गंभीरता से की है, या आबकारी और पुलिस विभाग पर तंज कसा है। क्योंकि शराब पीने के लिए कोई सरकारी अहाता नहीं है। पर कोई ऐसी शराब दुकान शायद ही हो जहां अवैध रूप से अहाता नहीं चल रहे हों। यह बात जरूर है कि अहाता में पानी, चखना सब महंगा मिलता है क्योंकि इसे चलाने वाले हर शाम बंधी हुई रकम आबकारी और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को पहुंचाते हैं। पहले उनका हिस्सा होता है, फिर अपनी और अपने मजदूरों की कमाई निकालनी पड़ती है।

बेरोजगारी भत्ता देना उपलब्धि?

ऊंची शिक्षा ले चुके, रोजगार तलाश रहे, प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार किस्मत और क्षमता आजमा रहे युवाओं का एक सोशल मीडिया ग्रुप है। इसमें एक खबर की क्लिपिंग डाली गई। सवा लाख बेरोजगारों के बैंक खाते में सीएम ने डाले 34.56 करोड़ रुपये। अब इस पर प्रतिक्रिया सुनिए- सीएम साहब आपने तो कहा कि बेरोजगारी छत्तीसगढ़ में है ही नहीं, फिर इतनी रकम किन लोगों को मिल रही है। एक और प्रतिक्रिया है- सर, बेरोजगारी भत्ता नहीं, हमको रोजगार चाहिए। (सरकार का दावा है 42 हजार नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।) और एक ने लिखा है- कड़ी शर्ते डालने के बावजूद सरकार को सवा लाख बेरोजगार मिल गए। तरह तरह की जो पाबंदियां हटा देते तो इससे 10 गुना ज्यादा बेरोजगार भत्ता लेने के पात्र हो जाएंगे।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news