राजपथ - जनपथ

कांग्रेस की लिस्ट का इंतजार
कांग्रेस में विधानसभा प्रत्याशी चयन के लिए सीएम हाउस में सोमवार को घंटों माथापच्ची हुई। चुनाव समिति के प्रमुख सीएम भूपेश बघेल, और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत जिलों के पैनल से नाखुश थे। रायपुर सहित कई जिलों में तो अध्यक्षों ने अपना नाम सबसे ऊपर रख दिया था। यही नहीं, आधा दर्जन से अधिक विधायकों के नाम पैनल में तक नहीं थे।
बैठक में सर्वसम्मति से फैसला कर सभी विधायकों के नाम संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से पैनल में डाले गए। कितने विधायकों की टिकट कटेगी, यह फैसला छानबीन समिति करेगी। चर्चा है कि इसमें सर्वे रिपोर्ट को भी आधार बनाया जाएगा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची 9 अथवा 10 सितंबर को आ सकती है।
सिंहदेव को बड़ा महत्व
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को पार्टी ने केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया है। सिंहदेव छत्तीसगढ़ से अकेले नेता हैं, जिन्हें समिति में जगह दी गई है। इससे सिंहदेव की न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों की विधानसभा सीटों, और लोकसभा-राज्यसभा चुनाव के प्रत्याशी चयन में भी दखल रहेगी।
गौर करने लायक बात यह है कि सिंहदेव, दिवंगत मोतीलाल वोरा के बाद प्रदेश के दूसरे नेता हैं, जिन्हें पार्टी हाईकमान ने केंद्रीय चुनाव समिति में रखा है। सोमवार की देर शाम हाईकमान ने 16 सदस्यीय चुनाव समिति के नाम का ऐलान किया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, और राहुल गांधी समेत पार्टी के प्रमुख नेता इस समिति में हैं। खास बात यह है कि सिंहदेव के केंद्रीय चुनाव समिति में सदस्य बनने की खबर आने के बाद उनके बंगले में टिकटार्थियों की भीड़ बढ़ गई है। देखना है कि सिंहदेव अपने समर्थकों के लिए क्या कुछ करते हैं।
नियम-कायदे धरे रहे
राजीव भवन में घंटों के मंथन के बाद भले ही लिस्ट फाइनल नहीं हुई हो, लेकिन एक बात जरूर फाइनल हुई कि प्रत्याशी चयन को लेकर हाईकमान के मापदंड को लॉकर में बंद कर दिया गया और चुनाव समिति के सदस्यों को मापदंड ही सर्वोपरि हो गए। हाईकमान के क्राइटेरिया को दावेदार शंकर नगर रोड से अकबर रोड तक तलाश रहे हैं। पहले यह कहा गया था कि कांग्रेस के प्रत्याशी तीन महीने पहले घोषित किए जाएंगे। अभी तक मंथन ही चल रहा है।
चुनाव लडऩे के इच्छुक जिला अध्यक्ष या निगम मंडल पदाधिकारियों को इस्तीफा देना होगा, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। प्रत्याशी चयन में ऐसे सरपंच, पार्षदों के नाम पर विचार किया जाएगा, जिन्होंने पूर्व में भाजपा के दिग्गजों को चुनाव में हराया था मगर उनका नाम जिला व ब्लॉक के पैनल में नहीं था। अब आगे क्या कुछ होता है, यह छानबीन समिति की बैठक में तय होगा।
कांग्रेस पर्यवेक्षक का कड़ा मिजाज
भाजपा में टिकट के दावेदारों से सीधे साक्षात्कार नहीं हो रहा है लेकिन कांग्रेस की स्थिति दूसरी है। दिल्ली से पहुंचने वाला हर नेता उन्हें अपना भाग्य विधाता लगता है। पर कोई नहीं जानता कि इनकी रिपोर्ट का वजन कितना होगा। अभी महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा पहुंची थीं। उन्होंने बिलासपुर और सरगुजा संभाग में टिकट के दावेदारों से वन-टू-वन चर्चा की। बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर सभी जगह उन्होंने देर शाम तक लंबे-लंबे साक्षात्कार लिए। उनके कडक़ व्यवहार से कई दावेदार सहमे-सहमे भी दिखे। एक दावेदार रंगीन चश्मा उतारे बिना उनसे मिलने चला आया। उसे उन्होंने तुरंत बाहर कर दिया। ज्यादातर लोगों से डिसूजा का सवाल यही था कि यदि आपको टिकट मिली तो आपने जीतने के लिए कौन सी रणनीति बनाई है। सामने वाला जो भी जवाब दे उनके पास प्रतिप्रश्न होते थे और दावेदारों के पास जवाब नहीं होता था। जीतने की रणनीति में समर्थक, संसाधन, सामाजिक समीकरण आदि पर बात सवाल किए जाते थे। अधिकांश के पास कोई आंकड़ा ही नहीं था, जबकि डिसूजा खुद सारा ब्यौरा अपने साथ लेकर आई थीं। एक सवाल और असहज करने वाला था- यदि आपको टिकट नहीं मिली तो सबसे मजबूत उम्मीदवार कौन हो सकता है? अब कोई दावेदार अपने प्रतिद्वन्द्वी का नाम क्यों आगे करेगा? दावेदारों ने विकल्प में ऐसे नाम दिए, जिनको टिकट मिलने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं हो।
डिसूजा ने आखिरी में एक गारंटी सभी से ली कि पार्टी चाहे किसी को भी टिकट दे, जीत के लिए उनको काम करना है। एक पदाधिकारी का कहना है कि असल में डिसूजा यही टटोलने आई थी कि कहीं कोई बगावत तो नहीं करने की सोच रहा। ब्लॉक और जिला स्तर से तो पैनल के साथ सूची तो पहले ही प्रदेश संगठन को भेजी जा चुकी है। अब सबसे बात करना जरूरी नहीं। मगर डिसूजा छत्तीसगढ़ के लिए अजय माकन की अध्यक्षता में बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी में सदस्य भी हैं, इसीलिए उन्हें कोई भी दावेदार हल्के में लेने की गलती नहीं कर रहा था।
एक और आदिवासी आंदोलन की आहट
राज्य सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि वन अधिकार मान्यता अधिनियम प्रदेश में असरदार ढंग से लागू किया गया है। इससे आदिवासी, वनवासी, गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को राहत मिली उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी। इस दावे के एक सप्ताह पहले ही कोरबा जिले के मोरगा में जिला स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर रखने का कार्यक्रम तय किया था। इसका इस इलाके की 16 पंचायतों ने विरोध किया। यहां के जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा कि उनके व्यक्तिगत और सामुदायिक वन पट्टे के आवेदन विधिवत ब्लॉक स्तरीय समिति में जमा किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक उनका अनुमोदन नहीं हुआ है। विरोध का असर यह हुआ कि जिला प्रशासन ने जनसमस्या निवारण शिविर को ही स्थगित कर दिया। अब आगे कोई तारीख तय करने की बात कही गई है। इधर शिविर स्थगित होने से समस्या का समाधान तो हुआ ही नहीं। अब इन ग्रामीणों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का ऐलान किया है। इसकी तारीख अभी तय नहीं की गई है। गौर करने की बात यह भी है कि इन गांवों में प्राय: सभी हसदेव इलाके के कोयला खदानों से प्रभावित हैं। अभी उनका हसदेव अरण्य में खदान आवंटन के खिलाफ आंदोलन चल ही रहा है।
कर्नाटक का बदला लेता पोस्टर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कांग्रेस के खिलाफ आरोप पत्र जारी करने के लिए राजधानी रायपुर पहुंचे थे। जिस दिन वे यहां थे उसी दिन राहुल गांधी भी यहीं थे। शाह ने अपने उद्बोधन में एक बार फिर कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार दिल्ली में अपनी पार्टी के नेताओं के लिए एटीएम है।
दोनों नेता जिस दिन राजधानी में थे, जगह-जगह पोस्टर चिपकाए गए थे, जिसमें वही बात लिखी थी, जो शाह और भाजपा का आरोप है। कुछ लोगों को ये पोस्टर कर्नाटक विधानसभा चुनाव की याद दिला रहे थे। वहां भी चुनाव के पहले तत्कालीन सीएम के खिलाफ पे सीएम के पोस्टर लगाए गए थे। वहां भाजपा सरकार में हिस्सेदार थी, यहां विपक्ष में है। जो कर्नाटक में भाजपा विरोधियों ने किया, यहां भाजपा कर रही है। यह ध्यान जरूर रखा गया है कि पोस्टर्स में किसी वालेट का लोगो नहीं है। पेटीएम ने अपने लोगो के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस को कानूनी नोटिस भेज दिया था।