राजपथ - जनपथ

जमीन, राजनीतिक, और असली
चुनाव लडऩे के लिए आजकल हाथ जोडऩे के साथ हाथ का मैल कहलाने वाले पैसे की बड़ी जरूरत पड़ती है। इसके लिए दावेदार साल दो साल पहले से ही इंतजाम में जुट जाते हैं। जेवरात, म्यूचुअल फंड में निवेश, शेयर बाजार आदि आदि। इनके अलावा हाल के वर्षों में जमीन सबसे बड़ा रिटर्न वाला निवेश हो गया है।
2018 में शहर के एक प्रत्याशी ने राजधानी से लगी पैतृक जमीन बेचकर पैसा लगाया और विधायक बने। इस बार उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं लग रही। लेकिन उन्ही के इलाके के भाजपा के एक दावेदार ने खारून पार बड़ा निवेश किया है। कभी मंत्री, विधायक रहे पार्टी के एक महामंत्री के साथ मिलकर यह निवेश हुआ है। यह दावेदार,इन्हीं के जरिए टिकट हासिल करने में जुटे हुए हैं। देखना होगा कि यह निवेश दोनों के काम आता है या केवल एक के।
नाम देखें, और चेहरे भी...
कुछ संस्थाओं के नाम बड़े दिलचस्प होते हैं। अभी छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन से मिलने कोटवार संघ के लोग पहुंचे। इन्होंने कोटवारों की मांगों के बारे में राज्यपाल को ज्ञापन दिया। प्रतिनिधि मंडल में तुकाराम देवदास, अदालत दास मानिकपुरी, मेहतर दास मानिकपुरी शामिल थे। अब कोटवारों के कपड़ों में इन लोगों को देखा जा सकता है कि इनकी उम्र क्या होगी। चार में से तीन लोग 60 साल पहुंचे या पार कर चुके दिख रहे हैं। और संगठन का नाम है युवा कोटवार कल्याण संघ, है न मजेदार?
नफरत अब नवसामान्य
विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए अभी अलग-अलग उम्मीदवारों और पार्टियों ने वॉट्सऐप पर बहुत से ग्रुप बनाए हुए हैं। ऐसा ही एक ग्रुप अपने परिचय की जगह अपने को खुश, हॅंसता हुआ, और मोहब्बत फैलाता हुआ बतला रहा है। लेकिन नीचे उसकी एक पोस्ट यह झूठ और नफरत फैला रही है कि मुम्बई में मुस्लिम नाईयों को मस्जिदों में ऐसी टे्रनिंग दी जा रही है कि हिन्दुओं की सेविंग या कटिंग के दौरान एड्स के ब्लेड से हल्का सा कट लगा दिया जाए ताकि हिन्दुओं को एड्स का मरीज बनाकर मारा जा सके। इस नफरत के साथ यह बात भी लिखी गई है कि सभी हिन्दू आदमी और औरत किसी नाई या ब्यूटीशियन के पास जाने के पहले उसका धर्म परख लें। अब एक कांग्रेस विधायक के चुनाव क्षेत्र के वॉट्सऐप ग्रुप में इस तरह की नफरत फैलाई जा रही है, लेकिन लगता है कि अब किसी बड़ी पार्टी के नेता को नफरत के एजेंडा से परहेज नहीं रह गया है। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट के बार-बार के आदेश के मुताबिक छत्तीसगढ़ की पुलिस को तुरंत इस पर जुर्म दर्ज करना चाहिए, लेकिन चुनाव तक पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को प्रदेश की सरहद के बाहर कर दिया है।
रेलवे के एक प्रतिशत को ऐसे समझें
यात्री ट्रेनों को विकास और सुधार कार्यों के नाम पर आये दिन रद्द करने और ट्रेनों को घंटों विलंब से चलने के खिलाफ कांग्रेस ने 13 सितंबर को छत्तीसगढ़ में रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया है। इसके पहले प्रदर्शन, पोस्टर, नारेबाजी, घेराव का कार्यक्रम भी है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पहले भी आंदोलन किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सांसद ज्योत्सना महंत और पार्टी के अन्य नेताओं ने केंद्रीय रेल मंत्री को लगातार पत्र भी लिखे हैं, लेकिन इस बार आंदोलन इसलिए खास हो गया है क्योंकि विधानसभा चुनाव सामने है। इस मुद्दे पर रेल यात्रियों में जो रोष पनप रहा है, उसे सामने लाकर कांग्रेस ने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। इसलिए एक प्रेस नोट जारी कर रेलवे ने सफाई दी है कि केवल एक प्रतिशत ट्रेन प्रभावित हुए हैं, बाकी ट्रेनों का परिचालन सही हो रहा है। एक बिलासपुर स्टेशन से ही प्रतिदिन आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या 4 लाख 50 हजार है। इसे ही आधार मान लें तो साल में 16 करोड़ 42 लाख 50 हजार यात्री जोन से सफर करते हैं। इनका एक प्रतिशत होता है, 16 लाख 42 हजार 500 यात्री। रेलवे ने अपने बचाव में यह कहा है कि यात्री ट्रेनों के समयबद्ध परिचालन का प्रयास किया जाता है। कुछ साल पहले तक रेलवे यात्री ट्रेनों की समयबद्धता पर अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करता था, बल्कि कई बार मासिक रिपोर्ट भी दी जाती थी, ताकि इसे उपलब्धि के रूप में गिना जा सके। पर अब यह बंद कर दिया गया। अपने हाथ में सिर्फ ताजा रिपोर्ट कैग की है, जिसमें यह बताया गया है कि भारतीय रेल ने यात्री ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए सन् 2016-17 में मिशन रफ्तार योजना लाई गई थी जिसमें बुनियादी ढांचे निर्माण पर 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किया है लेकिन इसमें विफलता हाथ लगी। सन् 2022 में भी यात्री ट्रेनों की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटे रही, जिसे बढक़र 75 किलोमीटर औसत हो जाना चाहिए था।
गौमाता किसका चारा खाएगी?
कांग्रेस सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में गाय से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। गौठानों का निर्माण, गोबर और मूत्र की खरीदी, उससे बने उत्पादों की बिक्री से ग्रामीणों खासकर महिलाओं की आय बढ़ाना, इसमें शामिल है। कांग्रेस को लगता ही होगा कि इस योजना का चुनाव में लाभ मिलेगा। दूसरी ओर भाजपा है, पहले उसने कई चुनावों में गौमाता से मदद मिली। इस बार उसे लगा कि गौमाता हमसे छीन ली गई है। फिर बाद में महसूस हुआ हो कि बात बिगड़ी नहीं है। उसने योजना की विफलता को मुद्दा बनाया। कई गौठानों का दौरा कर वीडियोग्राफी की। जर्जर शेड, चबूतरे, खाली टब, एक भी गाय नहीं, हकीकत सामने लाई। पिछले दिनों रायपुर में 20-22 गायों की मौत को भाजपा ने जोर-शोर से उठाया। अब इन दिनों गायों और गौवंश का सडक़ों पर विचरण एक बड़ी समस्या बन गई है। इन दिनों तो वह खड़ी फसल भी बर्बाद कर रही है। जांजगीर की इस तस्वीर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने खूंटे से गायों को बांध दिया है, कहीं छूट न जाए, फसल बर्बाद कर रहीं हैं-खेतों में घुसकर। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल की अगुवाई में एक आंदोलन शुक्रवार को वहां हुआ। सडक़ों और खेतों में छुट्टा घूम रहे मवेशियों को पकड़ा और साथ घुमाकर प्रदर्शन किया, प्रशासन को चेतावनी दी। धरना स्थल पर भी गायों को बांधकर रखा गया, बाद में एसडीएम के ऑफिस में ले जाकर बांध दिया।
राजिम भाजपा प्रत्याशी का विरोध
राजिम विधानसभा सीट के भाजपा प्रत्याशी रोहित साहू को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं का विरोध शांत नहीं रहा है। पिछले दिनों छुरा विश्राम गृह में विधायक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के सामने कार्यकर्ताओं ने जमकर अपनी नाराजगी जताई थी। कहा कि पिछले चुनाव में रोहित साहू जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से चुनाव लड़े थे। उन्होंने 23 हजार 700 वोट लेकर भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत सुनिश्चित की थी। कार्यकर्ताओं को कौशिक ने उम्मीद बंधाई थी कि ऊपर आपकी भावनाओं से अवगत कराया जाएगा, पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दो दिन बाद ही भाजपा के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करने आ गए। प्रत्याशी की मौजूदगी में यह उद्घाटन हुआ तो कई पुराने भाजपा कार्यकर्ता पदाधिकारी गायब दिखे। साव ने कहा कि उनको मना लिया जाएगा। यानि टिकट नहीं कटेगी। यह आश्वासन रायपुर में भी सभी घोषित प्रत्याशियों की बैठक के दौरान संगठन प्रभारी ओम माथुर ने दिया था।
वैसे पिछली बार भाजपा के प्रत्याशी संतोष उपाध्याय भारी अंतर, करीब 49 हजार वोटों से हारे थे। रोहित साहू के पूरे वोट उनको मिले होते तब भी जीत नहीं हो सकती थी।