राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पार्टी के कई फूफा
14-Sep-2023 4:47 PM
राजपथ-जनपथ : पार्टी के कई फूफा

पार्टी के कई फूफा

अगले पूरे दो ढाई महीने तक पूरे अभियान को ऑपरेट करने भाजपा ने 17 अलग अलग समितियों का गठन किया हुआ है। इनकी जिम्मेदारी पूर्व मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को दी है। मगर संगठन के दो नेताओं ने पूरा काम सम्हाला हुआ है। इससे चुनाव प्रभारी भी गदगद हैं। कुछ फूफा लोग अवश्य नाराज, असंतुष्ट हो रहे हैं। कल इन फूफाओं ने वर्चुअल बैठक कर अपनी नाराजगी से सभी भाई साहबों को अवगत कराने का फैसला कर स्क्रीन ऑफ किया। उनका कहना था कि कुंवर साहब ने कहा है कहकर सभी को आर्डर देने लगे हैं। इनका कहना है कि प्रोटोकॉल समिति को राष्ट्रीय नेताओं के दौरे की सूचना देनी है, संयोजक को पता नहीं चलता जारी हो जाता है।

आवास समिति सुरेंद्र पाटनी को पता व्यवस्था हो रही। वाहन समिति रोहित द्विवेदी को पता नहीं कौन किस गाड़ी में आ,जा रहे। राजेश मूणत को पता नहीं और 4 करोड़ की प्रचार सामग्री खरीद ली गई, अब वे बीएल को क्या सफाई दे। सांस्कृतिक दल समिति श्रीचंद सुंदरानी को पता नहीं रथयात्रा में कार्यक्रम होने लगे। दीगर राज्यों के नेताओं के दौरे होने लगे हैं और अशोक बजाज को पता नहीं ।वित्त समिति अमर अग्रवाल, नंदन जैन, मद्दी को ओवरटेक कर दिया गया ।कंटेट क्रिएटर समिति ने अब तक क्या किया पता नहीं। उल्लेखनीय कंटेंट तो अब तक सुनने पढऩे में नहीं आया। केंद्रीय नेता प्रवास समिति लोकेश कावडिय़ा ने अब तक एक नेता को अटेंड नहीं किया। यह सारा काम दो ही नेता बखूबी कर रहे हैं। अब भला कोई बुलाकर काम थोड़ी देता है, जिम्मेदारी दे दी गई है तो निभाने के लिए इन्वाल्व होना पड़ता है। ।

नगदी की परेशानी

विधानसभा चुनाव के चलते सीमावर्ती इलाकों में वाहनों की सघन जांच-पड़ताल चल रही है। यह सब चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुरूप हो रहा है। इन सबके बीच पिछले दिनों मनेन्द्रगढ़ चेकपोस्ट पर  पुलिस ने कार से करीब 40 लाख रूपए बरामद किए।

पुलिस से पूछताछ में कार सवार युवक पैसे को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद पुलिस ने प्रकरण आयकर विभाग को सौंप दिया गया है। बताते हैं कि यह रकम प्रदेश भाजपा के एक बड़े नेता की थी, जो कि पार्टी का कोष भी संभाल चुके हैं। नेताजी बड़े कारोबारी भी हैं। ऐसे में उनके पास नगदी का फ्लो भी काफी रहता है।

इलाके के कई प्रत्याशियों के चुनाव खर्च की जिम्मेदारी भी नेताजी संभालते आए हैं। ऐसे में रकम की बरामदगी पार्टी के लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। पार्टी के रणनीतिकार इस बात से भी चितिंत है कि आगे भी इसी तरह की कार्रवाई होती रही, तो चुनाव संचालन में दिक्कत आ सकती है।

 कांग्रेस टिकट और बयान

कांग्रेस में टिकट पर दिग्गज नेताओं के विरोधाभासी बयान से दावेदार असमंजस में हैं। सरकार के मंत्री रविन्द्र चौबे बयान दे चुके हैं कि 35 सीटों पर नाम तय कर दिए हैं। बाकी सीटों पर मंथन चल रही है। चौबे यहां तक कह चुके हैं कि पार्टी 40 सीटों पर नए चेहरे उतार सकती है। इन सबके बीच डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का बयान आया कि चार सीटों पर ही नाम तय हुए हैं। बाकी 86 सीटों पर विचार मंथन चल रहा है।

सिंहदेव का बयान चौबे की तुलना में ज्यादा वजनदार माना जा रहा है।  वजह यह है कि सिंहदेव छानबीन समिति के सदस्य हैं। और वो प्रदेश से केन्द्रीय चुनाव समिति के अकेले सदस्य नियुक्त किए गए हैं। ऐसे में टिकट को लेकर जो कुछ भी होगा उसमें सिंहदेव की भूमिका अहम रहेगी। मगर इससे कई विधायक और दावेदार ज्यादा परेशान हैं। वो अब तक समझ नहीं पा रहे हैं कि टिकट को लेकर आखिर क्या चल रहा है।

भाजपा की भगदड़

दंतेवाड़ा से भाजपा की परिवर्तन यात्रा तो तामझाम से शुरू हुई, लेकिन तुरंत ही यात्रा के अगुवा अरूण साव, और रमन सिंह सहित अन्य नेताओं को प्रत्याशी चयन के लिए दिल्ली निकलना पड़ा। ऐसे में यात्रा की बागडोर रेणुका सिंह, और बृजमोहन अग्रवाल को सौंप दी गई। यात्रा कठिन मार्गों से होते हुए कोंडागांव और फिर कांकेर पहुंचेगी तब दिग्गज नेता फिर रथ पर सवार हो जाएंगे।

इस बीच में पीएम का रायगढ़ में कार्यक्रम चल रहा है। बृजमोहन और अन्य नेताओं के पहले रायगढ़ जाने का कार्यक्रम था, लेकिन अन्य प्रमुख नेताओं के मौजूद नहीं होने के कारण उन्हें यात्रा स्थगित करनी पड़ी। यात्रा को लेकर भी पार्टी के अंदरखाने में किचकिच चल रही है।

अब किसानों की नाराजगी उभर रही...

यात्री ट्रेनों से संबंधित समस्या कोविड-19 के बाद से ही  बनी हुई है पर कांग्रेस ने अब बड़ा आंदोलन किया। यह केंद्र सरकार के उपक्रमों के खिलाफ उसका दूसरा प्रदर्शन था। इसके पहले रायगढ़ की पेलमा खदान का एमडीओ अडानी की कंपनी को सौंपने के खिलाफ एसईसीएल मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया जा चुका है।

रेल रोको आंदोलन के दौरान कुछ घंटों तक ट्रेनों का आवागमन थमा जरूर था लेकिन बड़े पैमाने पर गाडिय़ों की आवाजाही पर असर नहीं पड़ा। यह जरूर हुआ कि कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शामिल हुए और केंद्र सरकार के खिलाफ मतदाताओं का ध्यान खींचने में सफल रहे।

अब  एक और मुद्दा उभर रहा है। धान खरीदी की तैयारी सरकार कर रही है और इसमें किसानों की बायोमैट्रिक पहचान अनिवार्य कर दी गई है। केंद्र का कहना है कि ऐसा इसलिये किया गया है ताकि वास्तविक किसानों का ही धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए। देखा जाए तो फर्जी खरीदी को रोकने के लिए बीते 3 वर्षों में दो तीन पुख्ता इंतजाम किये जा चुके हैं। इसमें किसानों का भू अधिकार पत्र आधार कार्ड से जोड़ दिया गया है, दूसरा भुईयां पोर्टल में उनके रकबे का पटवारी ने सत्यापन भी किया है। बायोमैट्रिक पहचान के लिए किसानों को अपनी ऊंगलियों का निशान मैच कराने में दिक्कत खड़ी हो सकती है। इसके लिए आधार कार्ड का अपडेट होना भी जरूरी है। कांग्रेस इस व्यवस्था के खिलाफ है। इसमें रियायत देने की मांग भी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से की है। इसकी असल दिक्कत तब सामने आएगी, जब चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी रहेगी और चुनाव प्रचार अभियान भी शुरू हो चुका रहेगा। यदि बायोमैट्रिक पहचान का मिलान नहीं होने के कारण किसान धान बेचने के लिए भटकेंगे तो यह सरकार के खिलाफ जाएगा। जरूरी नहीं कि यह केंद्र सरकार के खिलाफ ही जाए, क्योंकि किसानों में आम धारणा है कि खरीदी राज्य सरकार कर रही है। हो सकता है इस बाधा के लिए भी उसे ही जिम्मेदार माना जाए। किसान कह रहे हैं कि मसला अभी के अभी सुलझ जाना चाहिए, वरना चुनाव में यह मुद्दा किसके खिलाफ जाएगा, वे कह नहीं सकते।

रद्द ट्रेन अचानक रवाना हो गई..

कांग्रेस का रेल रोको आंदोलन कितनी गाडिय़ों की आवाजाही पर असर डालेगा, इसका रेलवे अनुमान नहीं लगा पाई थी। आंदोलन का असर ही था कि कई इस सप्ताह रद्द की गई कई ट्रेनों को फिर से वापस पटरी पर लाने की घोषणा की गई। पर एक बार रद्द करने की घोषणा हो जाने के बाद यात्री अपना कार्यक्रम बदल लेते हैं। ऐसा ही वाकया कल जगदलपुर में हुआ। रेलवे ने यहां से राऊरकेला के लिए छूटने वाली ट्रेन को रद्द कर दिया। जो यात्री सफर करने के लिए स्टेशन पहुंचे वे क्या करते, वापस लौट गए। पर इधर कुछ समय बाद आंदोलनकारी पटरियों से हट गए। इसके बाद रेलवे ने घोषणा कर दी कि यह ट्रेन दौड़ाई जाएगी। राऊरकेला के लिए इस ट्रेन को दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर छोड़ा जाता है। पर केवल 20 मिनट पहले यह बताया गया कि रद्द ट्रेन रद्द नहीं है, अब यह ट्रेन राऊरकेला रवाना होगी। अधिकांश यात्री तो वापस जा चुके थे। ट्रेन खाली रवाना हुई, पर रेलवे अधिकारियों ने अपने खाते में दर्ज करा लिया कि ट्रेन कैंसिल नहीं की गई।

अनपढ़ चाय वाला

पता नहीं चाय की दुकान चलाने से पढ़ा लिखा होने नहीं होने का क्या संबंध है। अच्छी चाय बनाने का हुनर जिसमें भी है, वह चाहे तो चाय पिला सकता है। इस ठेले वाले ने अपनी दुकान का नाम ही अनपढ़ चाय वाला रख लिया है। हो सकता है, लोगों ने परेशान कर रखा हो कि कितना पढ़े हो बताओ, पढ़ रखा है तो डिग्री दिखाओ। चाय वाला इन तमाम सवालों से मुक्त है। ([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news