राजपथ - जनपथ

इही हे सबले बढिय़ा?
ईडी ने महादेव एप के संचालक सौरभ चंद्राकर की शादी पर करीब 2 सौ करोड़ के खर्चों का हिसाब किताब निकाला है। जानकार लोग बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के किसी व्यक्ति की अब तक की सबसे महंगी शादी है। कुछ लोग छत्तीसगढ़ के बड़े घरानों के यहां की शादियों के खर्चों की तुलना सौरभ की शादी से कर रहे हैं, लेकिन बड़े घरानों के यहां का खर्च, सौरभ के खर्चों के आसपास नहीं टिक पा रहा है।
जानकार लोग बताते हैं कि सिलतरा के एक बड़े स्टील कारोबारी की बहन की शादी तुर्की में हुई थी। कुछ महीने पहले हुए इस शादी में शिरकत करने प्रदेश के बड़े उद्योगपति, और कारोबारी तुर्की गए थे इस शादी में कारोबारी ने दिल खोलकर खर्च किए, लेकिन यह भी सौरभ की शादी की तुलना में फीकी रही है। इसी तरह दो साल पहले बिलासपुर के कारोबारी विक्की जैन की शादी एक्ट्रेस अर्चना लोखण्डे से हुई थी। यह शादी भी काफी भव्य थी, लेकिन यहां का खर्च भी सौरभ की शादी की तुलना में 10वां हिस्सा भी नहीं था।
इसके अलावा कुछ महीना पहले सिलतरा के बड़े उद्योगपति के यहां शादी देश के सबसे महंगे होटलों में से एक उदयपुर के जयविलास पैलेस में हुई थी। इस शादी में भी उद्योगपति, व्यापारियों, बड़े अफसरों के अलावा प्रमुख राजनेताओं ने शिरकत की थी। इस शादी में भी काफी खर्च हुए थे। इसी तरह प्रदेश के एक अन्य उद्योगपति ने तो शादी में खासतौर पर देश के सबसे महंगे कैटरर्स मुन्ना महाराज को बुक किया था। मुन्ना महाराज, दुनिया के बड़े उद्योगपतियों में से एक लक्ष्मीनिवास मित्तल के यहां की शादी का काम कर चुके हैं। मगर सट्टेबाज सौरभ चंद्राकर ने शादी में खर्च के मामले में सबको पछाड़ दिया।
अपनी पार्टी के एमएलए को निपटाने
कांग्रेस में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है। इन सबके बीच एक दावेदार ने अपनी स्थिति को मजबूत दिखाने के लिए जो तरीका अपनाया है, उसकी चर्चा पार्टी के अंदर खाने में काफी हो रही है।
दरअसल, नेताजी जिस सीट से दावेदारी कर रहे हैं, वहां पार्टी के एमएलए हैं। एमएलए की टिकट कटेगी, तभी नेताजी के लिए संभावना बन सकती है। ऐसे में चर्चा है कि नेताजी ने एक सर्वे कंपनी की सेवाएं ली है। सर्वे कंपनी के लोग विधानसभा के अलग-अलग हिस्सों में जाकर एमएलए को कमजोर बता रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों से एमएलए के खिलाफ माहौल बनता दिख रहा है। मगर इस प्रायोजित सर्वे की खबर पार्टी के रणनीतिकारों को हो गई है। इसके पीछे की गणित भी सामने आ गई है। इसका असर यह हुआ कि एमएलए को टिकट मिले या न मिले, नेताजी टिकट की दौड़ से बाहर हो गए हैं। प्रत्याशी की अधिकृत घोषणा के बाद कुछ बातें सार्वजनिक भी हो सकती है। देखना है कि आगे क्या होता है।
कौन मंज़ूर, कौन नहीं
भाजपा से राजधानी की दो सीटों को लेकर घमासान चल रहा है। गुरुवार को दो पूर्व विधायक एक साथ ठाकरे परिसर में बैठे थे। दोनों , सह प्रभारी के बुलावे पर गए थे। बुलावा का परपस अलग था। लेकिन जब मिल बैठे दो यार तो बातें तो होंगी। इस बार तो बात ही दूसरी थी। पहली बार के एक विधायक ने पार्टी के दो नेताओं को खूब कोसा। इनमें एक सांसद और एक कई बार के विधायक थे।
उनका कहना था कि पार्टी से किसी को भी टिकट दे दे,कोई दिक्कत नहीं। चाहे वह मेरा विरोधी क्यों न हो? यह तो तसल्ली होगी कि भीतर से ही दिया गया। लेकिन बाहर से गुरु पुत्र या कारोबारी नेता को दिया तो काम नहीं करूंगा। दरअसल सांसद के कहने पर विधायक,इन दोनों की दावेदारी टटोल चुके थे।
पूर्व विधायक का कहना है कि जब बाहरी लोगों को इच्छा नहीं है तो बार बार पहल क्यों हो रही। नेताजी की लैंग्वेज और बॉडी लैंग्वेज देखने वाले बहुत से वहां मौजूद रहे। अब देखना होगा कि इसका किस पर कितना असर होता है ।
देश भर में जगह-जगह नफरत के चलते कई लोग किसी धर्म के व्यक्ति से खाने की डिलीवरी नहीं लेते। अब रायपुर के जयस्तंभ चौक पर एक फू ड डिलीवरी करने वाले की मोटरसाइकिल हो सकता है कि ऐसी सावधानी बरत रही हो।