राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कुछ बातें चुनिंदा उम्मीदवारों की
20-Oct-2023 4:35 PM
 राजपथ-जनपथ : कुछ बातें चुनिंदा उम्मीदवारों की

कुछ बातें चुनिंदा उम्मीदवारों की 

भाजपा हाईकमान प्रदेश के कुछ युवा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी तो इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं। इसी तरह पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के लिए भी मेहनत हो रही है। 

केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर सिर्फ गागड़ा के नामांकन दाखिले के लिए बीजापुर पहुंचे हैं। अनुराग जब युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब गागड़ा उनकी कार्यकारिणी में थे। दोनों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। पिछला चुनाव हार चुके गागड़ा को इस बार जिताने के लिए खास रणनीति पर काम हो रहा है। 

इसी तरह ओपी चौधरी के खिलाफ सारे असंतोष को दबाने में पार्टी  को सफलता मिलती दिख रही है। रायगढ़ परम्परागत रूप से अग्रवाल समाज की सीट मानी जाती रही है। कई विधायक अग्रवाल समाज से ही रहे हैं। मगर पार्टी ने पूर्व विधायक विजय अग्रवाल की मजबूत दावेदारी को नजरअंदाज कर ओपी चौधरी को प्रत्याशी बनाया। 

अग्रवाल के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की उम्मीद थी। उन्होंने पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 43 हजार वोट बटोरकर भाजपा प्रत्याशी रोशन लाल अग्रवाल की हार सुनिश्चित कर दी थी। मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ। चर्चा है कि विजय, कोल कारोबार से जुड़े हैं। ऐसे में निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता था।

बाहरी राज्यसभा सदस्य बाहर 

विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा है, लेकिन कांग्रेस के तीन राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन, राजीव शुक्ला, और केटीएस तुलसी पूरे परिदृश्य से बाहर हैं। रंजीत रंजन को पार्टी ने राजस्थान में समन्वयक की जिम्मेदारी दे दी है। जबकि वल्र्ड कप क्रिकेट मैच चल रहा है। ऐसे में राजीव शुक्ला के आने की उम्मीद नहीं है। वो क्रिकेट मैच का लुफ्त उठाते स्टेडियम में देखे जा सकते हैं। केटीएस तुलसी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं, और वो कोर्ट-कचहरी में ही व्यस्त हैं। वैसे भी प्रदेश के नेताओं को इन सबसे उम्मीद भी नहीं है। 

दिल्ली की दखल हुई कम

भाजपा ने जब अगस्त में प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी, तब के माहौल का अंदाजा लगाइये। गृहमंत्री अमित शाह लगातार छत्तीसगढ़ दौरा कर रहे थे। उनके दौरे में सभा नहीं होती थी, केवल बैठकें होती थी। एयरपोर्ट से सीधे रात में ही बैठक लेने पहुंच जाते थे। ओम माथुर की टीम का दबदबा था। हर विधानसभा में दूसरे राज्यों के विधायक डेरा डाल चुके थे।

 कुल मिलाकर यह संदेश देने की कोशिश की गई कि इस बार भाजपा छत्तीसगढ़ को लेकर अतिरिक्त गंभीरता बरत रही है। गुजरात दिल्ली वाले प्रयोग यहां किये जा रहे हैं। पुराने नेताओं को टिकट नहीं मिलेगी, सारे नए चेहरे होंगे। इस आभामंडल का नतीजा यह हुआ था कि प्रदेश के सारे बड़े नेताओं को सांप सूंघ गया था। खासकर पिछली सरकार के मंत्रियों की टिकट को लेकर भारी संशय था। राजधानी के कद्दावर नेता के सुर बदल गए थे, पांच साल चुप रहने वाले पूर्व मंत्री और विधायक गायों की मौत से लेकर गंगाजल तक के मुद्दों पर लगातार मुखर होकर बोलने लगे थे ताकि टिकट पक्की हो जाए। एक पूर्व मंत्री तो टिकट को लेकर इतने भयभीत हो गए थे कि मानों गायब ही हो गए थे। जब उन्हें टिकट की हरी झंडी मिली तब वे निकले। 

लेकिन दो महीने पहले दिल्ली का टेरर अब खत्म हो गया है। कार्यकर्ताओं कह रहे हैं कि भाजपा की पहली सूची जितनी कड़ाई से बांटी गई थी, दूसरी सूची उतनी ही निराशाजनक रही है। कईयों को तो इससे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिख रही है। चुनाव के एक प्रमुख रणनीतिकार के अचानक परिदृश्य से गायब होने पर काफी चर्चा हो रही है। 

कितने वोट घर से डाले जाएंगे?

चुनाव आयोग हर बार कुछ नये प्रयोग करता है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को वोट देने का अवसर मिल सके। इस बार 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले मतदाता, 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता और कोविड 19 अथवा किसी संक्रमित बीमारी से ग्रस्त मतदाताओं की सुविधा के लिए विशेष मतदान दल बनाए जाएंगे। यदि ऐसे मतदाता बूथ तक आकर वोट नहीं डालना चाहें, तो विशेष मतदान दल सुरक्षा इंतजामों के साथ उस मतदाता के घर जाएगा और गोपनीयता के साथ उनका मत प्राप्त करेगा। विशेष दल के दौरे और रूट की जानकारी सभी प्रत्याशियों को भी दी जाएगी ताकि वे देख सकें कि गोपनीयता बरती जा रही है या नहीं। दिव्यांग और संक्रामक बीमारी से ग्रस्त मतदाता का अलग से ब्यौरा आयोग ने नहीं दिया है पर अभी की स्थिति में 80 वर्ष से अधिक मतदाताओं की संख्या 1 लाख 86 हजार 215 है।

प्राय: देखा गया है कि अशक्त हो चुके बुजुर्गों को परिवार के सदस्य अपने साथ मतदान केंद्र लेकर आ जाते हैं। बहुत से अशक्त बुजुर्ग घर से बाहर निकलने का मौका तथा अपने बच्चों की सेवा पाकर खुश भी होते हैं। दिक्कत उन्हें होती है जो वृद्ध अकेले हैं और बूथ तक लेकर जाने वाला कोई नहीं होता।

ऐसे कई वृद्ध मतदाता जो परिवार के सदस्यों के प्रयासों के बावजूद बिस्तर से उठने में असमर्थ हैं, वे भी अब की बार वोट डाल सकेंगे।
ऐसा नहीं लगता कि ज्यादा वृद्ध मतदाता या उनके परिजनों को पता है कि घर पर वोट डालने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चुनाव अधिसूचना जारी होने के पांच दिन के भीतर क्षेत्र के संबंधित रिटर्निंग अधिकारी के पास आवेदन लगाना जरूरी है। यानि उन्हें मतदान की सुविधा भले ही घर बैठे मिले पर एक बार रिटर्निंग ऑफिसर के पास जाना ही है। शायद वे अपना आवेदन अपने किसी प्रतिनिधि के जरिये भी दे सकते हैं, पर इस बारे में आयोग ने स्पष्ट नहीं लिखा है। प्रथम चरण की अधिसूचना का प्रकाशन 13 अक्टूबर को हुआ था। इसका मतलब जिन वृद्ध मतदाताओं ने 17 अक्टूबर तक आवेदन दिया हो, वे ही इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। दूसरे चरण के मतदाताओं के लिए अभी समय है। बीते चुनावों से चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों में मतदाता- मित्रों की सेवाएं शुरू की है, लेकिन यह सिर्फ बूथ पर है। इनकी सेवा मतदान केंद्र पहुंचने वाले बुजुर्ग ही ले पाएंगे। 

मतदान से कोई वंचित न रहे इसलिये यह एक और नया प्रयोग है, पर इसमें कितने प्रतिशत सफलता मिलेगी, अभी कुछ नहीं कह सकते। हो सकता है इस बार जो खामियां दिखेंगी, उन्हें अगले चुनावों में दूर किया जाए।

लंबी पारी खेलने के लिए...

कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही टिकट कटने के बाद बगावत की खबरें फूट-फूट कर आ रही है। बहुत से लोगों ने ऐलान कर दिया है कि वे निर्दलीय या फिर किसी तीसरे दल से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। जिन लोगों ने सीधे बगावत नहीं की वे चुपचाप घर बैठ गए हैं या फिर पर्यटन के लिये राज्य से बाहर चले गए हैं। पर कुछ दावेदारों की रणनीति अलग है।

भाजपा ने पिछली बार तखतपुर से हर्षिता पांडेय को टिकट दी थी जो त्रिकोणीय संघर्ष में जीत से करीब 7 हजार वोटों से पिछड़ गई। इस बार यहां से धर्मजीत सिंह ठाकुर को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से भाजपा प्रवेश कराया गया और मैदान में लाया गया। पांडेय टिकट कटने के बावजूद अधिकृत उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने लगी हैं। हर्षिता को भाजपा शासनकाल में राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। वे जनसंघ के एक प्रभावशाली नेता रहे स्व. मनहरण लाल पांडेय की बेटी हैं। शायद इस विरासत को समझते हुए उन्हें लगा हो कि बगावत ठीक नहीं। पार्टी उसे फिर कभी किसी जगह पर मौका दे देगी।

दो चार वोटर वाले बूथ...

कोरिया जिले का भरतपुर-सोनहत मतदान केंद्र सबसे प्रदेश में सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला इलाका है। यहां एक मतदान केंद्र शेराडांड ग्राम में खोला जाएगा, जहां केवल पांच मतदाता हैं। 15 साल पहले यहां सिर्फ दो मतदाता पति-पत्नी थे, तब भी बूथ खोला गया। अब यहां इस परिवार के पांच लोग वोट डालने के लायक हो चुके हैं। चार सदस्यीय मतदान दल ट्रैक्टर में बैठकर यहां पहुंचेगा और यहां एक अस्थायी बूथ बनाकर वोटिंग की प्रक्रिया पूरी करायेगा। इस दूरस्थ ग्राम तक पहुंचने के लिए गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व का काफी हिस्सा पार करना पड़ता है। वैसे इस विधानसभा क्षेत्र में कई मतदान केंद्र ऐसे हैं जहां 12-15 मतदाता ही हैं। जैसे मतदान केंद्र कांटो में 12 मतदाता हैं, रेवला में 23।

वैसे, इस बात की गुंजाइश कम है कि इतने कम वोटों वाले गांवों में कोई दल चुनाव प्रचार के लिए भी जाता होगा। इन मतदाताओं को प्रत्याशियों का नाम और उनके चुनाव चिन्ह पता है भी या नहीं। शायद मतदान दलों को यह काम भी वहां करना पड़े।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news