राजपथ - जनपथ
दिवाली गिफ्ट
छत्तीसगढ़ में इस साल दिवाली के साथ-साथ लोकतंत्र का महापर्व यानी विधानसभा चुनाव की भी धूम है। ऐसे में पत्रकारों की दिवाली पर चर्चा छिड़ी। कुछ का कहना है कि चुनाव आचार संहिता के कारण दिवाली गिफ्ट पर असर पड़ेगा। इस पर दूसरे का कहना था कि चुनाव आयोग एक-एक गिफ्ट तो नजऱ रखेगी नहीं और नजऱ रखती भी है तो किसी कारोबारी की गाड़ी से गिफ्ट भिजवाया जा सकता है और गिफ्ट देते समय नेताओं के कार्ड लगाए जा सकते है। अब नेताओं को समझ लेना चाहिए कि आचार संहिता का बहाना काम नहीं आएगा।
दिवाली गिफ्ट टू
छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के लिए वोटिंग दिवाली से पहले और दूसरे चरण के लिए वोटिंग दिवाली के बाद होगी। ऐसे में पहले चरण के मतदान के बाद लोगों को दिवाली में गिफ्ट की उम्मीद हो सकती है, लेकिन दूसरे चरण की सीट में मतदान होने के बाद कोई उम्मीद नहीं होगी।
कहीं टेंशन कहीं राहत
विधानसभा के पहले चरण की सीटों के लिए नामांकन खत्म होने के बाद कांग्रेस ने जहां राहत की सांस ली है, तो दूसरी तरफ भाजपा की उम्मीदों को झटका लगा है। कांग्रेस के लिए संतोषजनक बात यह रही कि अंतागढ़ से अनूप नाग को छोडकऱ कोई और बड़ा नेता बागी नहीं हुआ। जबकि भाजपा के रणनीतिकारों को कांग्रेस में बगावत से फायदे की उम्मीद दिख रही थी।
कांग्रेस ने पहले चरण की 20 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए, तो कई जगह असंतोष दिख रहा था। चार मौजूदा विधायक अनूप नाग, शिशुपाल सोरी, भुनेश्वर बघेल, और छन्नी साहू को टिकट नहीं दी। इससे वो खासे नाराज थे। मगर अनूप नाग को छोडकऱ बाकी तीनों खामोश हो गए। पार्टी उन्हें मनाने में कामयाब रही।
चर्चा है कि जिन विधायकों की टिकट कटी थी, उन्हें चुनाव लडऩे के लिए जोगी पार्टी, आम आदमी पार्टी और हमर राज पार्टी से ऑफर था। इन पार्टियों के नेताओं ने टिकट से वंचित विधायकों से संपर्क भी साधा था लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ करने से मना कर दिया। विधायकों को मनाने में सीएम भूपेश बघेल, और डिप्टी सीएम टी.एस.सिंहदेव की भूमिका रही।
बताते हैं कि सिंहदेव ने छन्नी साहू के लिए हाईकमान से बात की थी। उनके नाम पर पुनर्विचार भी हुआ, लेकिन वो छन्नी को टिकट नहीं दिलवा पाए। अलबत्ता, उन्हें बागी होने से रोकने में कामयाब रहे। अनूप नाग को बागी होने से रोकने की कोशिश की गई, लेकिन वो नहीं माने। फिर भी कांग्रेस के नेता इस बात संतुष्ट हैं कि पार्टी में और कोई बागी नहीं हुआ।
भाजपा के रणनीतिकार मान रहे थे कि कांग्रेस में कई बड़े नेता बागी होंगे, और इसका उन्हें फायदा मिलेगा। मगर ऐसा कुछ नहीं हो पाया। इससे पहले चरण की लड़ाई भाजपा के लिए कठिन हो गई है।
उत्तर सीट का आसार
रायपुर उत्तर की सीट पर कांग्रेस में पेंच फंसा हुआ है। चर्चा है कि पार्टी के तीन प्रमुख नेता सीएम भूपेश बघेल, टी.एस.सिंहदेव, और डॉ.चरणदास महंत व दीपक बैज की राय मौजूदा विधायक कुलदीप जुनेजा और चिकित्सक डॉ. राकेश गुप्ता पर बंटी हुई है। कहा जा रहा है कि चारों से परे प्रदेश प्रभारी सैलजा ने पार्षद अजीत कुकरेजा का नाम आगे बढ़ाया है।
चर्चा है कि कुकरेजा के लिए दिल्ली के कुछ बड़े नेताओं का भी काफी दबाव है। इन सबके बीच सीएम ने शुक्रवार को अजीत को बुलाकर चुनाव को लेकर उनकी तैयारियों के बारे में पूछताछ की है। माना जा रहा है कि दो बार के विधायक जुनेजा और स्थानीय प्रमुख नेताओं के कड़े विरोध के बाद भी कुकरेजा का नाम फाइनल किया जा सकता है। देखना है आगे क्या होता है, लेकिन लोग हैरान हैं कि राकेश गुप्ता जैसे भले उम्मीदवार के रहते हुए...
रक़म नहीं तो निर्दलीय नहीं
चुनाव आयोग की सख्ती से भाजपा के लोग काफी परेशान हैं। चर्चा है कि आयोग के डर से प्रत्याशियों तक फंड नहीं पहुंच पा रहे हैं, और जिन्हें जिम्मेदारी दी जा रही है वो आनाकानी कर रहे हैं। अब तक दो करोड़ से अधिक राशि जब्त हो चुकी है। सीमाओं पर पुलिस का तगड़े पहरा है।
चर्चा तो यह भी है कि पार्टी के कुछ लोगों ने कई दूसरी पार्टी, और निर्दलियों को मदद का भरोसा दिलाया था। मगर उन तक मदद नहीं पहुंच पाई। हल्ला है कि कुछ ने तो नाम वापस लेने की धमकी तक दे दी है। देखना है आगे क्या होता है।
नाराजग़ी की वजह
बात गुरूवार की है। राजधानी के दो भाजपा नेताओं को एक दमदार समाज के कार्यक्रम से उल्टे पैर लौटना पड़ा। इनमें से एक नेता तो चुनाव मैदान में हैं। ये दोनों परसों देवेंद्र नगर के भवन गए थे। वहां समाज के लोग पंजड़ी,छकड़ी खेल रहे थे। दोनों दस्तूर, मौका समझ कर भवन गए। वैसे यह समाज, पार्टी का बड़ा वोट बैंक है। इसी आशा विश्वास से लबरेज थे नेता ।लेकिन यह पता नहीं था कि वापस लौटना होगा। पंडाल पहुंचे तो पहले किसी ने स्वागत वागत नहीं किया। दो चार लोगों की नजर पड़ी तो उन तक पहुंचे और शेक हैंड किया। जब बड़े नेता ने छोटे का परिचय कराया तो समाज के मुखिया ने राजनीतिक चर्चा से रोका । जनसंपर्क भी नहीं करने दिया। वे सभी नाराज थे। कारण पार्टी ने उनके समाज के नेता को इस बार टिकट नहीं दी। और वे इसी इलाके के रहे हैं। पहले तो उनकी टिकट कटने को लेकर नाराजगी जताई और कहा गया कि पहले पटेल जी को लेकर आएं। बताया जा रहा है कि माइक में भी एनाउंस किया गया ।दरअसल एक नेताजी आठ विधानसभा सीटों के संयुक्त नेता हैं। समाज का रूख देखकर लौटना ही बेहतर समझा गया।
हाथियों को भगाने वाली मशीन
हाथियों से जान-माल की हानि से परेशान किसानों को एक समाधान इंटरनेट पर ऑनलाइन सर्च करने पर मिला है। एक मशीन देश के कई हिस्सों में किसान इस्तेमाल कर रहे हैं, जो न केवल हाथी बल्कि सुअर, कुत्ते तथा दूसरे जानवरों से बचाने में काम आ रहा है। कटघोरा वनमंडल में सितंबर से लेकर अब तक पांच लोगों की हाथियों के हमले से जान जा चुकी है। यहां एक किसान ने बैटरी और सोलर पावर से चलने वाले इस मशीन को ऑनलाइन ऑर्डर कर मंगाया। यह 12 वोल्ट का करंट प्रवाहित करता है जिसे घर या खेत के बाड़ से जोड़ दिया जाता है। इसके संपर्क में आने वाले जानवरों को झटका तो लगता है लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं होता। मशीन की कीमत 15 हजार से 20 हजार रुपये के बीच है। इस मशीन का प्रयोग वैसे तो किसानों को खुद के लिए लाभदायक महसूस हो रहा है लेकिन हाथियों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक विचरण में बाधक तो नहीं है, इस पर वन विभाग के अधिकारियों ने विचार नहीं किया है। विभाग ने 40 मशीनों का ऑर्डर खुद भी दे दिया है।
पहाड़ी कोरवा वोट नहीं डालेंगे
आदिवासी वर्ग के हितों की बात करने में कोई दल पीछे नहीं रहता, पर जमीनी हकीकत की पोल ऐसे बैनर-पोस्टर खोल देते हैं। कोरबा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर रामपुर विधानसभा क्षेत्र के केरा कछार ग्राम पंचायत में रहने वाले अधिकांश लोग पहाड़ी कोरवा समुदाय से हैं, जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है। गांव के लोगों को बिजली नसीब नहीं है। खुद खोदे हुए गड्ढे का पानी साफ करके पीना पड़ता है क्योंकि नलकूप नहीं है। मुख्य मार्ग तक पहुंचने का रास्ता जर्जर है। बारिश में पगडंडियों से होकर मुख्य मार्ग तक पहुंच पाते हैं। जनप्रतिनिधियों और सरकार पर इनका भरोसा नहीं रहा। इसलिये गांव की सरहद पर उन्होंने नेताओं को आगाह कर दिया है कि वे प्रचार के लिए नहीं आएं, उन्होंने चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया है। ([email protected])