राजपथ - जनपथ
चिंतामणि को लेकर चिंता
चर्चा है कि कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज भाजपा का दामन थाम सकते हैं। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी है। इसके बाद से चिंतामणि महाराज नाराज चल रहे हैं। हालांकि सीएम, और अन्य प्रमुख नेताओं से उनकी चर्चा हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि भाजपा के नेता उन्हें अपने साथ लाने के लिए प्रयासरत हैं।
गहिरा गुरु के बेेटे सामरी के विधायक चिंतामणि महाराज की भाजपा से नजदीकियां जगजाहिर है। वो पहले भाजपा में थे, और संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं। ताजा खबर यह है कि चिंतामणि महाराज के बड़े भाई बब्रुवाहन सिंह के कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल शरीक हुए हैं।
बब्रुवाहन राजनीति से अलग हैं, लेकिन उनके कार्यक्रम में भाजपा नेताओं की मौजूदगी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि यह कार्यक्रम पहले से तय था, और नवरात्रि के मौके पर हर साल आयोजित होता है। इसमें संघ परिवार के लोग प्रमुख रूप से मौजूद रहते हैं। अब चुनाव का समय है, तो चिंतामणि के भाजपा में शामिल होने की चर्चा चल रही है। देखना है आगे क्या होता है।
टिकट न मिला तो संचालन मिला
भाजपा ने जिनकी टिकट काटी उन्हें चुनाव संचालक की जिम्मेदारी दे रही है। अब तक दो दर्जन नेताओं को चुनाव की कमान दी जा चुकी है। कुछ को उसी विधानसभा में ते कुछ को दूसरे। कुछ नाराज दावेदार तो स्वयमेव ही अपने क्षेत्र के बाहर की जिम्मेदारी मांग चुके हैं। कारण एक तो प्रत्याशी से पटरी नहीं बैठती, दूसरी तन मन लगाकर जीते तो कोई क्रेडिट नहीं और हारे तो ठिकरा। सौदान सिंह के शागिर्दों से भला इस समस्या को कौन बेहतर जानेगी। सो सबने अपने इलाके से बाहर रहने का फैसला किया। एक समस्या और आ रही है, संगठन तो संचालक नियुक्त कर दे रहा है, प्रत्याशियों की तरह बकायदा सूची भी जारी कर रहा। लेकिन ये संचालक प्रत्याशियों को नहीं भा रहे। वे रात के अंधेरे में संगठन पदाधिकारियों और पुराने वरिष्ठ नेताओं से मिलकर संचालक बनने का आग्रह कर रहे हैं। राजधानी में भी एक प्रत्याशी ने यह डिमांड कर दी है। वे महापौर का चुनाव लड़ चुके नेताजी के लिए जुटे हुए हैं।
जब्त माल का हिसाब-किताब
चुनाव को प्रभावित करने में नगद राशि और उपहारों का बड़ा रोल होता है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने सितंबर महीने में ही पुलिस और परिवहन विभाग को वाहनों की चेकिंग करने का निर्देश जारी कर दिया गया था। संयोगवश जिस वक्त छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, नवरात्रि, दशहरा और दीपावली की भी धूम है, जब आभूषण, कपड़ों और बर्तनों की खूब खरीदारी होती है। बीते चुनाव के दरम्यान सन् 2018 में भी दिवाली 7 नवंबर को थी और आचार संहिता अक्टूबर के पहले सप्ताह में लागू हो गई थी। आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है। अकेले रायपुर जिले की पुलिस 6 करोड़ रुपये से अधिक नगद अब तक जब्त किए हैं। पूरे राज्य का हिसाब बहुत बड़ा हो जाएगा। इसी तरह से सोने चांदी के जेवर और कपड़े जब्त किए गए हैं। इस चेकिंग से जुड़े कुछ पुलिस अफसरों का कहना है कि दरअसल ज्यादातर मामले टैक्स चोरी के हैं। अकेले छत्तीसगढ़ में बिना बिलिंग के सोने-चांदी का व्यापार साल भर में अरबों का होता है। साड़ी, चादर, शर्ट, पेंट के मामले भी ऐसे ही हैं। जो नगद जब्त हुए हैं वे भी ज्यादातर ठेकेदारों, सप्लायरों के हैं। अब तक जिनकी भी धकड़-पकड़ हुई है, वे किसी राजनीतिक दल के लिए काम कर रहे थे, यह भी पता नहीं चला है। जांच अधिकारी सिर्फ यह कह रहे हैं कि जब्ती इसलिये की गई कि नगद का स्त्रोत नहीं बताया गया, कपड़े और आभूषणों का बिल नहीं था। चुनाव आचार संहिता के दौरान जो गड़बड़ी की जा रही है, वह तो शायद बारहों महीने होती होगी।
गरीब बस्तर के धनी उम्मीदवार
बस्तर की गरीबी और पिछड़ेपन की बात वे प्रत्याशी करने जा रहे हैं जिनके पास करोड़ों की संपत्ति है। इनमें सबसे आगे तो कांग्रेस से बगावत कर जगदलपुर से निर्दलीय चुनाव लडऩे जा रहे टीवी रवि हैं। उन्होंने अपने शपथ-पत्र में 25 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई है। इसमें सोना-चांदी, जमीन, बंगला, गाडिय़ां और नगद रकम शामिल है। इसी सीट से कांग्रेस टिकट के ही दावेदार जतिन जायसवाल की संपत्ति उनकी ओर से दिये गए शपथ के मुताबिक 16 करोड़ रुपये है। चर्चा थी कि जायसवाल को टिकट दिलाने का उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी प्रयास किया था। बस्तर के कांग्रेस उम्मीदवार लखेश्वर बघेल के पास 8 करोड़ की संपत्ति है, उनके मुकाबले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने जो हलफनामा दिया है उसके मुताबिक वे 2 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं।
ललचाने लगे सीताफल..
नवरात्रि और दशहरा के करीब आते ही सीताफल की आवक छत्तीसगढ़ के बाजारों में शुरू हो जाती है। यह तस्वीर जांजगीर के बाजार की है। ([email protected])