राजपथ - जनपथ
भूपेश ने किया दोस्त से सावधान
सीएम भूपेश बघेल ने रायपुर दक्षिण के पार्षदों को खास हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए खूब मेहनत करने की जरूरत है। भूपेश ने पार्षदों से कहा बताते हैं कि बृजमोहन अपने विरोधियों के खिलाफ अफवाह फैला देते हैं। ऐसे में जब वो प्रचार के लिए वार्डों में आए, तो उनके आसपास भी न फटके।
बृजमोहन साथ फोटो आदि खिंचवाने का शौक भी न करें, अन्यथा कांग्रेस के नेताओं के साथ फोटो-वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर लोगों के मन में शक पैदा कर देते हैं। इससे बचने की जरूरत है। सीएम ने पार्षदों को चेताया है कि उनके वार्डों से पार्टी को बढ़त नहीं मिली, तो निकाय चुनाव में उनके नामों पर विचार नहीं किया जाएगा। सीएम ने कहा कि पार्षद खुद तो जीत जाते हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में अपने वार्डों से बढ़त नहीं दिला पाते हैं। देखना है कि सीएम की बातों का पार्षदों पर कितना असर पड़ता है।
आयोग की सख्ती और सरकारी बर्बादी
जैसे ही विधानसभा या लोकसभा चुनाव की घोषणा होती है, सरकारी संपत्ति पर लगे नेताओं की तस्वीरों को विरूपित (मिटा) दिया जाता है। इस तस्वीर में चिनाव आयोग की सख्ती साफ दिख रही है। यह तस्वीर बिरनपुर के पास एक गांव की है, जिसमें लोक निर्माण विभाग के बोर्ड में नेताओं की फोटो को सफेद पेंट से पोत दिया गया है। अब इस बोर्ड का उपयोग दोबारा नहीं किया जा सकेगा। यह बोर्ड पूरी तरह खराब हो गया है। आम जनता भले ही नहीं जानती कि इस बोर्ड को बनाने में 25 से 30 हजार रूपए खर्च हुए होंगे।
इस बोर्ड की प्रिटिंग को रेटरो प्रिंट कहा जाता है, जो कंप्यूटर से डिजिटल प्रिंट किया जाता है। रेटरो प्रिंट की खासियत यह होती है कि इससे फोटो इतनी साफ और स्पष्ट दिखती है कि हीरो-हिरोइन हों। रेटरो प्रिंट करने वाले इसके 10 साल की गारंटी देते हैं यानी 10 साल तक यह नए जैसा ही रहता है। लेकिन चुनाव तो पांच साल में हो जाते हैं तो ऐसे खर्चीले बोर्ड को कैसे बचाया जा सकता है।
ऐसे हर गांव हर शहर की हर गली में लगाये जाने लगे हैं। ऐसे वक्त में जब नेता जनता के कल्याण के लिये देने वाले धन को रेवड़ी कहते हैं, पैसे की बर्बादी कहते हैं तब ये खर्चीले बोर्ड क्या हैं?
ऐसे बोर्ड पार्षदों ने अपने हर वार्ड में सैकड़ों लगा रखे हैं ताकि उनकी फोटो हीरो-हिरोइन की तरह चमकदार दिखे। विधानसभा चुनाव में नहीं तो नगरीय निकाय चुनाव में उन्हें हटना तय है तो फिर ऐसे महंगे बोर्ड को लगाया ही क्यों जाता है। चुनाव आयोग या फिर सुप्रीम कोर्ट को इस अपव्यय पर कोई निर्णय देना चाहिये, ताकि सरकारी धन की बर्बादी रोकी जा सके।
जादूगर के सहारे प्रचार...
चुनाव के दिनों में भीड़ सिर्फ नेता का भाषण सुनने के नाम पर नहीं पहुंचती। तरह-तरह के नुस्खे आजमाने की जरूरत पड़ती है। भानुप्रतापपुर में कांग्रेस के प्रचार के लिए एक जादूगर को लगाया गया है। वह हाथ घुमाता है और उसकी थैली से कांग्रेस की प्रचार सामग्री निकल जाती है। आचार संहिता का खौफ न होता तो शायद जादूगर खाने-पीने की चीजें निकालकर दिखाता।
फेरबदल की उम्मीद में...
बीते चुनाव में कम मतों से हारे कुछ कांग्रेसी दावेदार टिकट से वंचित रह गए तो कुछ ऐसे विधायकों की टिकट गई जिन्होंने 2018 में अच्छे मतों से जीत हासिल की थी। अधिकृत उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद कुछ लोगों ने तुरंत फैसला ले लिया तो कुछ असमंजस की स्थिति में हैं। पिछली बार बहुजन समाज पार्टी से लगभग 3 हजार वोटों से हारे गोरेलाल बर्मन ने कांग्रेस छोडक़र जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का दामन थाम लिया है। यह उनकी दूसरी हार थी। सन् 2008 में भी वे परास्त हुए थे। मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल को लेकर कई दिनों से चर्चा है कि वे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से लड़ सकते हैं पर उन्होंने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। अंतागढ़ विधायक किस्मत लाल नंद को कांग्रेस ने निष्कासित कर दिया। पिछला चुनाव उन्होंने 13 हजार से अधिक मतों से जीता था। चिंतामणि महाराज ने अंबिकापुर से टिकट मिलने पर भाजपा में शामिल होने की शर्त रखी थी। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दी। अब उनका अगला कदम क्या होगा, इस पर अटकलें लग रही हैं। इधर तीन दिन पहले धमतरी से पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा ने नामांकन पत्र खरीद लिया था। नामांकन जमा करने के लिए उनके समर्थक कल इक_े भी हो गए थे। रैली निकालने की योजना थी, जिसे उन्होंने अचानक रद्द कर दिया। कहा गया कि हाईकमान के निर्देश पर उन्होंने नामांकन भरने की योजना टाल दी है। इसके बाद से चर्चा निकल पड़ी है कि यहां से कांग्रेस प्रत्याशी बदला जा सकता है।
बालिकाओं की रामलीला मंडली
10-20 साल पहले तक रामलीला का मंचन गांवों का एक परंपरागत उत्सव होता था। लोग रात-रात जागकर कलाकारों का जीवंत अभिनय देखने के लिए बैठे रहते थे। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश की कई टोलियों का छत्तीसगढ़ के गावों में डेरा होता था। पूरा गांव सत्कार में लगा होता था, राशन और ठहरने की व्यवस्था सामूहिक रूप से की जाती थी। अनेक टोलियां छत्तीसगढ़ में भी होती थीं। इनमें अभिनय करने वाले युवक पार्ट टाइम कलाकार होते थे। धीरे-धीरे अब यह चलन कम हो गया है। दुर्ग जिले के पाटन क्षेत्र के तुर्रा ग्राम में रामलीला का मंचन होता है जिसमें सभी पात्र बालिकाएं होती हैं। राम, रावण, हनुमान का किरदार भी वे ही निभाती हैं। इसी तरह की एक मंडली बालोद जिले में भी है। दुर्ग के कलंगपुर में भी दशहरे पर रामलीला रखा गया था, जिसमें पहली बार सभी पात्र बालिकाएं थीं।