राजपथ - जनपथ
अच्छे दिन आए
कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद कई जगहों पर असंतोष सामने आ रहा है। बड़ी संख्या में छोटे-बड़े असंतुष्ट नेता बागी होकर चुनाव लडऩे जा रहे हैं। इसका सीधा फायदा अमित जोगी को हुआ है। अमित को पहले चरण की सीटों के लिए प्रत्याशी नहीं मिल पा रहे थे, लेकिन दूसरे चरण की सीटों के लिए कुछ जगहों पर असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं के रूप में मजबूत प्रत्याशी मिल गए हैं।
चर्चा है कि अमित चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर किराए पर लेने जा रहे हैं। उनसे जुड़े लोगों का दावा है कि जोगी पार्टी के प्रत्याशियों को साधन-संसाधन की कमी नहीं होगी। सीएम भूपेश बघेल इसको लेकर भाजपा पर आरोप लगा चुके हैं। चाहे कुछ भी हो, अमित की पूछ परख बढ़ गई है।
ये तो प्रत्याशी हैं..
जैसे जैसे चुनाव दंगल अपने शबाब पर आने लगा है, वैसे वैसे नेताओं की धडक़न बढऩे लगी है। जो नेता पहले चुनाव को आसान समझ रहे थे, अब उन्हें खतरा दिखने लगा है। ऐसे ही एक कद्दावर मंत्री का हाल है। जब विपक्षी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया तो कहते थे कि क्या हल्का प्रत्याशी उतार दिया है। किसी वजनदार नेता को उतारते तो टक्कर होती। अभी तो चुनाव लडऩे जैसा ही नहीं लग रहा है।
लेकिन खरगोश कछुआ जैसी रेस वाली बात हो गई। विपक्ष के प्रत्याशी घर घर जाकर पांव छूने लगे और हवा का रुख बदलने लगा तो कद्दावर मंत्री के सुर बदल गए। अब वे कार्यकर्ताओं से कहने लगे हैं कि चुनाव को हल्के में नहीं लेना है। ईवीएम में नोटा का बटन रहता है, उसके लिये कोई वोट नहीं मांगता। फिर भी दो-पांच हजार वोट नोटा को मिल जाते हैं। यह तो प्रत्याशी है, जो घर घर जा रहा है। इसलिये संभल जाओ और प्रचार में कूद पड़ो।
यह तो कुछ अधिक ही बड़ा
छत्तीसगढ़ में एक पार्टी के बागियों को एक ऐसी जगह बुलाकर एक ऐसा व्यक्ति ‘दोस्ताना सलाह’ दे रहा है कि जिसका भांडा फूटे तो कुछ अधिक ही बड़ा हंगामा हो जाएगा।
इस कीमती वोट की कद्र होगी?
निर्वाचन आयोग ने दिव्यांगजनों और 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए घर पहुंच कर डाक मतदान कराने की व्यवस्था की। कोन्टा विधानसभा क्षेत्र में इस दिव्यांग युवती ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसने और चुनाव आयोग ने तो अपनी जिम्मेदारी निभा दी। पर वह प्रतिनिधि जो चुनाव जीतेगा, जीतने के बाद क्या ऐसे मतदाताओं के घर पर दस्तक देगा और पूछेगा कि किसी सरकारी योजना का उसे लाभ मिला भी है या नहीं?
नेताम कब बोले, भूपेश बघेल जिंदाबाद?
बहुत से समर्पित पार्टी कार्यकर्ता प्रतिद्वंद्वी दलों के नेताओं के वीडियो-ऑडियो फुटेज, फोटो आदि संभालकर रखते हैं, फिर मौका देखकर उसे वायरल करते हैं। किस जगह की और कब की वीडियो है, यह छिपाकर कोई नई बात कह दी जाती है। इसी का नुकसान हो रहा है रामानुजगंज के भाजपा प्रत्याशी रामविचार नेताम को। सोशल मीडिया पर उनका एक 18 सेकंड का छोटा सा वीडियो क्लिप दो दिन से वायरल हो रहा है। एक जनसभा में माइक पर खड़े नेताम भीड़ से कह रहे हैं- मैं यहां से पीछे तक देख रहा हूं। पीछे वाले आवाज लगाएंगे-भूपेश बघेल जिंदाबाद....। एक नहीं नेताम ने दो बार यह नारा लगवाया।
इस वीडियो के साथ कमेंट दिया गया है- बीजेपी के नेताओं को भी भूपेश पर ही भरोसा है। सुनिये भाजपा के रामविचार नेताम जी को, जो भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, पूर्व राज्यसभा सदस्य और रमन सरकार के केबिनेट मंत्री रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अब की बार 75 पार होने जा रहा है।
कुछ पोस्ट दावा कर रहे हैं कि यह रामानुजगंज के चुनाव प्रचार के दौरान का भाषण है। पड़ताल की गई तो पता चलता है कि वीडियो सही जरूर है, मगर अभी का नहीं, बल्कि तीन साल पुराना है। यू ट्यूब में यह वीडियो मौजूद भी है। यह वीडियो दुर्ग जिले के पाटन का है, जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सांसद विजय बघेल चुनाव मैदान में इस बार भी आमने-सामने हैं। अक्टूबर 2020 में शराब दुकान में लूट का अपराध दर्ज कर पुलिस ने तीन भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें जमानत नहीं मिली और वे जेल भेज दिए गए थे। बिना जांच-पड़ताल झूठी कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए मंडी परिसर के अस्थायी जेल में विजय बघेल ने अपने समर्थकों के साथ आमरण-अनशन कर दिया। इसे समर्थन देने कई भाजपा नेता वहां पहुंचे। इनमें नेताम भी थे। भाषण के दौरान अति उत्साह में गड़बड़ हो गई। उन्होंने नारा लगवा दिया- भूपेश बघेल जिंदाबाद...। तीन साल पहले इस वीडियो क्लिप के साथ आई खबरों में बताया गया था कि जैसे ही नेताम का ध्यान गया कि उनसे गलती हो गई, उन्होंने सुधारा और भूपेश बघेल मुर्दाबाद के नारे लगवाए। हालांकि आगे का हिस्सा वीडियो क्लिप में दिखाई नहीं दे रहा है। वायरल वीडियो में सिर्फ वही हिस्सा है, जिसमें वे भूपेश बघेल जिंदाबाद का नारा लगवा रहे हैं।
नफे-नुकसान की चिंता
जिन कांग्रेस विधायकों को अपनी टिकट कटने का अंदाजा हो गया था, उनमें सामरी विधायक चिंतामणि महाराज भी थे। प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले ही उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वे कह रहे थे कि- जनता कह रही है कि इतना अच्छा काम करने के बाद भी टिकट कटेगी तो हम चुनाव का बहिष्कार करेंगे। मगर इससे हाईकमान पर दबाव नहीं बना, टिकट कट गई। एक सप्ताह पहले भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल और विष्णुदेव साय उनसे मिलने के लिए सीधे उनके घर श्रीकोट पहुंच गए। चिंतामणि महाराज की यह शर्त सामने आ गई कि अंबिकापुर से टिकट मिलने पर वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे। पर भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दी। अब कल वे भाजपा के हेलिकॉप्टर से अपने गांव श्री कोट पहुंचे। वहां भाजपा नेता गौरीशंकर अग्रवाल, केदार गुप्ता आदि ने उनका स्वागत किया। इसके बाद तो सबको लग रहा था कि महाराज कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो चुके हैं। मगर, उन्होंने फिर साफ कर दिया कि वे अभी कांग्रेस में ही हैं।
दरअसल, टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी जाहिर करने के बावजूद कुछ विधायक बागी नहीं हुए। उन्हें लगता है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें कहीं न कहीं एडजस्ट कर लिया जाएगा। पर चिंतामणि महाराज ने भाजपा के प्रति अपना लगाव सार्वजनिक कर दिया है। वे पहले भी भाजपा में रहे हैं। इसलिए भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि एक दो दिन के भीतर ही वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे।