राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : स्वागत के लिए धक्का-मुक्की
02-Nov-2023 4:19 PM
 राजपथ-जनपथ : स्वागत के लिए धक्का-मुक्की

स्वागत के लिए धक्का-मुक्की 

भाजपा में स्टार प्रचारकों के स्वागत के लिए खींचतान मची है। चर्चा है कि कुछ शातिर नेताओं ने तो दिल्ली में अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर एंट्री गेट टिकट भी बंद करवा दिया है। केवल उन्हीं लोगों को प्रवेश मिल पाता है, जिन्हें ये शातिर नेता पसंद करते हंै। 

हालांकि एयरपोर्ट के अफसरों का कहना है कि चुनाव के चलते वीवीआईपी विजिट काफी हो रहा है, और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एंट्री गेट टिकट 12 नवंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। स्टार प्रचारकों के स्वागत के लिए भाजपा के नेताओं में आपसी विवाद काफी समय से चल रहा है। जिन नेताओं को मौका नहीं मिल रहा है वो स्वागत समिति से जुड़े नेताओं को कोस रहे हैं। 

नाराज नेता धमतरी के एक पदाधिकारी को ज्यादा कोस रहे हैं। जिन्हें  पार्टी ने कई तरह की जिम्मेदारी दे रखी है। उन पर आरोप है कि जहां स्टार प्रचारकों का कार्यक्रम हो रहा है, वहां के नेताओं को भी समय पर जानकारी नहीं दी जा रही है। हाल यह है कि कई सभाओं पर अपेक्षाकृत भीड़ नहीं जुट पा रही है। 

यही नहीं, नेताजी तो वीआईपी नेताओं के बस्तर, और आसपास के इलाकों में कार्यक्रम तय होने पर घरेलू काम निपटाने के लिए साथ धमतरी चले जाते हैं, और सभा निपटने तक अपना काम पूरा कर लौट आते हैं। इस तरह की कई शिकायतें पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष तक पहुंची है। देखना है आगे क्या होता है। 

बंगले में रहने पर भी ऐतराज

चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाए गए छत्तीसगढ़ पुलिस के दो आईपीएस अफसरों के खिलाफ भाजपा ने एक नई शिकायत में सरकारी बंगले में मौजूदगी पर सवाल उठाए हैं। 9 अक्टूबर को चुनाव आचार संहिता लागू होने के दो दिन बाद 11 अक्टूबर को आयोग ने 2 कलेक्टर समेत 3 आईपीएस अफसरों को जिले से हटाने के आदेश दिए थे। 

आईपीएस अफसरों को पीएचक्यू में सहायक पुलिस महानिरीक्षक के तौर पर पदस्थ किया गया। शिकायत में कहा गया कि पीएचक्यू में आईपीएस अफसरों के लिए न आफिस और न ही कार्य की कोई नई जिम्मेदारी। ऐसे में अफसर अपने बंगले में ही जमे हुए हैं। भाजपा ने शिकायत में दो आईपीएस अफसरों का जिक्र किया है। 

आयोग में जाने की खबर से पीएचक्यू में हडक़ंप मच गया। प्रदेश के शीर्ष अफसरों ने हटाए गए पुलिस अधीक्षकों को बंगला छोडक़र पीएचक्यू में  हाजिर होने का फरमान जारी किया गया है। देखना है कि शिकायत पर कितना अमल होता है।

पथ संचलन में इस बार उत्साह कम क्यों

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना स्थापना दिवस विजयादशमी को हर साल मनाता है। इस दिन सारे स्वयंसेवक पूरे गणवेश में दंड लेकर एक तरह से शक्ति प्रदर्शन करते हैं। हर शहर और गांव में जहां संघ का संगठन है, वहां इसे मनाया जाता है। 

विजयदशमी के बाद भी अनेक स्थानों में इसके आयोजन होते हैं लेकिन इस बार के पथ संचलन में स्वयंसेवक उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। पिछले साल की तुलना में पथ संचलन में ज्यादा स्वयंसेवक नहीं जुट रहे हैं। उत्साह का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि पहले स्वयंसेवक गणवेश में फोटो खींचा कर सोशल मीडिया में अपलोड 
करते थे। 

लेकिन इस बार सोशल मीडिया में केवल चुनावी सरगर्मी दिख रही है। इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण बताये जा रहे हैं पहला आचार संहिता लगा होने के कारण सरकारी कर्मचारी इस आयोजन से दूरी बनाए हुए हैं, दूसरा भाजपा कार्यकर्ता व नेता भी चुनाव में व्यस्त हैं। ऐसे में संघ के लोग भी रुचि नहीं ले रहे हैं, वे कह रहे हैं कि स्वयंसेवक मेहनत करते हैं और फायदा भाजपा वाले ले जाते हैं, इसलिये ज्यादा भीड़ नहीं जुटा रहे हैं।

रूठे फूफाओं से ज्यादा खास कौन?

छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सत्ता की लड़ाई तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है लेकिन तीसरी पार्टियों में बाजी पलटने की ताकत दिखाई दे रही है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, हमर राज, जोहार छत्तीसगढ़ जैसे दल खुद कितनी सीटें निकालेंगे इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता। मगर, प्रदेश की कई सीटों पर जीतने की उम्मीद कर रहे प्रत्याशियों को ये हरा सकते हैं और हारने के मुहाने पर खड़े उम्मीदवारों की जीत दिला सकते हैं, यह जरूर कह सकते हैं। 

अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर गौर करें, जो उन्होंने ग्वालियर में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद के दौरान दिया।  उन्होंने कहा सपा और बसपा के उम्मीदवारों की मदद करो, ये जितने मजबूत होंगे, उतना हमें फायदा होगा। ये ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा- रूठे हुए फुफाओं (बागी या घर बैठे भाजपा नेताओं) को मनाने की ज्यादा जरूरत नहीं है। 

अब आप यह अंदाजा लगाइए यदि मध्यप्रदेश में सपा और बसपा के लिए वे यह बात कह रहे हैं तो छत्तीसगढ़ में किन दलों के लिए कहते? शायद छत्तीसगढ़ भाजपा तक शाह का संदेश पहले ही पहुंच चुका है।

करवा चौथ का चुनाव पर असर

करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत रखती हैं और रात में चांद देखकर इसे तोड़ती है। धूमधाम के साथ कल इसे देश में मनाया गया। इसका एक असर चुनाव की तैयारी पर मध्य प्रदेश में दिखा। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आरटीओ ने चुनाव में बसों की व्यवस्था करने के लिए एक बैठक एक नवंबर को बुलाई। करवा चौथ व्रत के चलते बस मालिकों ने इस बैठक की तारीख बदलने का आग्रह करते हुए एक रोचक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि व्रत के दिन सब की पत्नी चाहती हैं कि पति उनके साथ रहें। उन्होंने आशंका जाहिर की कि उनकी गैरमौजूदगी में अगर गलती से पत्नी ने कुछ खा लिया तो उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है। पत्र के नीचे हस्ताक्षर करने वालों ने अपने को निरीह बस मालिक बताया। यह खबर नहीं आई है कि आरटीओ ने उनकी अर्जी पर गौर किया या फिर इलेक्शन अर्जेंट के नाम पर बैठक बुलाने पर आमादा थे। 

शौच से मना नहीं है लेकिन..

पता नहीं छोटे और मझोले रेलवे स्टेशन के शौचालयों में ऐसा कौन सा कीमती सामान रखा होता है कि वहां ताला लगाकर चाबी स्टेशन मास्टर रख लेते हैं। किसी यात्री को यहां जाने की जरूरत महसूस हो तो पहले शौचालय तक दौड़ लगाए, फिर स्टेशन मास्टर की तलाश करें और चाबी लेकर वापस आए। व्हीलचेयर पर चलने वाला कोई यात्री कैसे यह सब कर पाएगा, आप कल्पना करिए। यह मध्य प्रदेश के सिंहपुर डुमरा स्टेशन की तस्वीर है।

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