राजपथ - जनपथ
जिन्हें बिजली बिल का फायदा नहीं
छत्तीसगढ़ में 2019 से हाफ बिजली बिल योजना लागू हुई। लाखों घरेलू उपभोक्ताओं के 400 यूनिट तक बिजली बिल हाफ कर दिया गया। लेकिन छत्तीसगढ़ में एक शहर ऐसा है, जहां के उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिला। वह है भिलाई नगर, जहां के 30 हजार घरों में बिजली बिल आधा नहीं हुआ। इसका कारण यह था कि यह क्षेत्र केंद्रीय उपक्रम भिलाई स्टील प्लांट के अधीन आता है, वहां के घरों में बीएसपी विद्युत आपूर्ति करती है। यहां से कभी भाजपा के कद्दावर नेता व मंत्री चुनाव जीतकर आते थे, उन्हें कांग्रेस ने हरा दिया।
विधायक के लिए अपने मतदाताओं को इसका लाभ दिलाना चुनौती थी, वहां इसे मुद्दा भी बनाया गया। चूंकि बीएसपी केंद्र सरकार के अधीन है और केंद्र में भाजपा की सरकार है, इसलिये बीएसपी ने भी हाफ बिजली बिल योजना को लागू करने में रुचि नहीं दिखाई। जोर लगाने के बाद तय हुआ कि अगस्त 2023 से इसका लाभ भिलाई के घरेलू उपभोक्ताओं को भी मिलेगा, लेकिन आखिरकार यह अंत तक लागू नहीं हो सका।
अब कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद इसे बीएसपी लागू करेगी। अब चुनाव में नेता मतदाताओं के बीच जा रहे हैं तो जनता दोनों दलों से पूछ रही है कि आखिर पांच साल में कांग्रेस-भाजपा इसका लाभ दिलाने में क्यों असफल रहे।
छपने लगे जीत की बधाई संदेश
ऐसा भी कहीं होता है क्या? कार्यकर्ता और समर्थक इतने उत्साहित हो जाएं कि मतदान के पहले ही जीत की बधाई के संदेश छपवाने लग जाएं। लेकिन राजधानी के एक विधानसभा में समर्थकों ने ऐसा विज्ञापन छपवाया है। वाकया ऐसा है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका का विश्वकप मैच दो दिन पहले हुआ, इसमें भारतीय टीम ने जीत दर्ज की। विश्वकप में यह उनकी आठवीं जीत है।
भाजपा के समर्थकों ने एक बड़े अखबार में लाखों रुपए खर्च करके एक विज्ञापन छपवाया और लिखा कि भारत की लगातार आठवीं दक्षिण अफ्रीका पर प्रचंड जीत की बधाई। नीचे 17 समर्थकों के नाम लिखे थे। इसमें 8 वीं जीत और दक्षिण को बड़े अक्षरों में लिखा गया था। अफ्रीका इतना छोटे में लिखा था कि दिखाई भी नहीं दे रहा था। इसमें रंगों का चयन पार्टी के झंडे के रंगों से मिलता जुलता रखा गया था।
समझने वाले समझ गए कि राजधानी का कौन सा नेता है जो अगर चुनाव जीतते हैं तो आठवीं बार विधायक बन जाएंगे। चूंकि प्रत्याशी का नाम नहीं छापा गया इसलिये चुनाव आयोग इसे चुनावी खर्च में जोड़ेगा भी नहीं।
रिमोट वोटिंग का क्या हुआ?
आजीविका के लिए दूसरे राज्यों में मजदूरों का प्रवास करना छत्तीसगढ़ की एक सच्चाई है। अक्सर सरकारें इसे कम करके बताती हैं। अधिकांश मजदूर श्रम विभाग में पंजीयन कराये बिना ही निकलते हैं। इस समय जब धान की फसल लगभग तैयार हो चुकी है, मजदूरों का फिर से प्रवास शुरू हो गया है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के अलावा जम्मू कश्मीर, दिल्ली और पंजाब के लिए वे निकल पड़े हैं। इन दिशाओं की जनरल और स्लीपर बोगियां मजदूरों से भरी दिखाई दे रही हैं। कई ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं मिलती। इस समय रेलवे ने त्यौहार के लिए कुछ स्पेशल ट्रेनों की घोषणा भी की है। इसका लाभ मजदूर भी उठा रहे हैं।
दीपावली के साथ-साथ आगे मतदान का त्यौहार भी आ रहा है। पर इन त्यौहारों से ज्यादा चिंता उन्हें इस बात की है कि वे गंतव्य तक जल्दी पहुंचे। जितनी देर करेंगे, उतने दिन वहां की मजदूरी मारी जाएगी। राजनीतिक दल इन्हें चाहकर भी नहीं रोक पाते हैं। निर्वाचन आयोग का स्वीप कार्यक्रम भी यहां बेअसर है। मजदूरों के पलायन के कारण जांजगीर-चांपा, सारंगढ़ जिलों में गांव के गांव खाली हो जाते हैं। ऐसे ही मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग रिमोट वोटिंग का प्रस्ताव ला चुका है। रिमोट वोटिंग के जरिये मतदाता अपने क्षेत्र को प्रत्याशी को वहीं से वोट दे सकता है, जहां वह इन दिनों काम कर रहा है। इस साल की शुरूआत में आयोग ने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक भी की थी। पर आम सहमति नहीं बन पाई। इस प्रणाली में वोटों की हैकिंग, धोखाधड़ी और हेराफेरी पर रोक लगाने का कोई पुख्ता तंत्र नहीं बन पाया है, जो सबको संतुष्ट करे।
तुम सियासत करो, हम कारोबार करेंगे
महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप, रेड्डी अन्ना प्रेस्टोप्रो सहित 22 इसी तरह की अवैध सट्टेबाजी ऐप पर प्रतिबंध लगाने की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह भी बताया है कि यह कार्रवाई उनकी सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की मांग पर की है। साथ ही यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार डेढ़ साल से ऐप की जांच कर रही है लेकिन उस पर पाबंदी लगाने की कोई सिफारिश केंद्र से नहीं की। दूसरी तरफ मंत्री के इस जवाब पर कांग्रेस की तरफ जवाब आया है कि मंत्री झूठ बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अगस्त महीने में ही केंद्र सरकार से इन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। रायपुर पुलिस ने भी एक बयान में कहा है कि पिछले साल उसने महादेव ऐप को पत्राचार कर गूगल प्ले स्टोर से हटवाया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश का तो कहना है कि सरकार ऐसे ऐप जारी रखना चाहती है क्योंकि वह इनकी कमाई पर 28 प्रतिशत जीएसटी वसूल करती है।
ईडी के प्रेस नोट में ‘बघेल’ नाम उल्लेख होने और महादेव ऐप के कथित मालिक शुभम् सोनी का दुबई वीडियो जारी होने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। बीजेपी 508 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा लेने के ईडी के आरोप पर सीएम को घेर रही है, तो कांग्रेस कह रही है कि ईडी भाजपा का विंग बन गई है और बिना कोई सबूत के बयान जारी करके उनको बदनाम कर रही है।
इस घमासान के बीच सबसे दिलचस्प यह है कि ऐप्स ब्लॉक करने की घोषणा के कुछ घंटे बाद ही महादेव बुक ने सट्टा लगाने वालों के लिए नया डोमेन लिंक जारी कर दिया। यह जानकारी भी दी गई है कि आईडी और पासवर्ड पहले वाले ही रहेंगे।
आसार यही दिख रहे हैं कि महादेव सट्टा ऐप सियायत के लिए इस्तेमाल हो रहा है, पर ऐप बंद नहीं होगा। चुनाव के बाद इसके कारोबार की शायद चर्चा भी नहीं हो।
शराबबंदी कोई नहीं करने वाला
कांग्रेस की सरकार पूरे पांच साल शराबबंदी का वायदा पूरा नहीं करने के कारण विपक्ष के निशाने पर थी। चुनाव प्रचार में भाजपा कांग्रेस की वादाखिलाफी का जिक्र करते समय इस मुद्दे को जरूर उठाती है, आंदोलन भी किये पर खुद कभी नहीं कहा कि सरकार बनने पर वह शराब की बिक्री बंद कराएगी। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने भी इस वायदे को नहीं दोहराया है। शराबबंदी पर सुझाव देने बनाई गई समिति का तो जैसे कोई मतलब नहीं रह गया था। मतलब यह है कि कांग्रेस ने शराबबंदी के वादे से पीछा छुड़ा लिया है और भाजपा का रुख साफ है कि वह शराबबंदी के खिलाफ है। प्रदेश में जब इन दोनों में से ही किसी एक दल की सरकार बनने की संभावना हो और दोनों ही दल अपना रुख साफ कर चुके हों तब यह तय है कि अगले पांच साल तक शराब की बिक्री नहीं रुकने वाली। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की ओर से जरूर कहा गया है कि वह शराब दुकानों की जगह दूध की दुकानें खोलेगी। पर यह दूर का अनुमान है। यह तभी मुमकिन है जब कांग्रेस या भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और उसे सरकार का हिस्सा बनने का मौका मिले।