राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : आईपीएस से आईएएस खफा
10-Nov-2023 4:08 PM
राजपथ-जनपथ : आईपीएस से आईएएस खफा

आईपीएस से आईएएस खफा 

महादेव ऐप पर एक न्यूज चैनल के स्टिंग की खूब चर्चा हो रही है। भाजपा सोशल मीडिया में इसको प्रचारित भी कर रही है। स्टिंग कवर्धा एसपी अभिषेक पल्लव का है, जिसमें वो महादेव ऐप पर काफी कुछ कह रहे हैं। पल्लव के खुलासे से आईएएस बिरादरी नाराज हैं। 

पल्लव महादेव ऐप से आईएएस अफसरों की संलिप्तता से इंकार तो कर रहे हैं, लेकिन वो यह कह रहे हैं कि कलेक्टरों की भूमिका भले ही महादेव में नहीं हैं। मगर डीएमएफ, और जल जीवन मिशन के घोटाले में कलेक्टर हिस्सेदार हैं। बस, इसी एक टिप्पणी से आईएएस अफसर नाराज हैं।

हालांकि पल्लव ने बकायदा वीडियो जारी कर अपना पक्ष रखा है। और यह कहा कि तीन घंटे की बातचीत में कुछ अंशों को ही दिखाया गया है। मगर पल्लव की सफाई से सरकार, और आईएएस अफसर संतुष्ट नहीं है। अब देखना है आगे क्या होता है। 

सीएम कौन होगा, खडग़े ने बताया

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने कोरिया जिले के चरचा रेलवे ग्राउंड में सभा लेते हुए कहा-यहां की तीनों सीटों से कांग्रेस को जिताएं और फिर से भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाएं। ऐसा कहने के बाद उन्हें लगा कि साफ-साफ ऐसे बोलना सही नहीं। उन्होंने आगे जोड़ा- जो हाईकमान चाहेगा, वह मुख्यमंत्री बनेगा। इस दूसरी लाइन की ही चर्चा हो रही है। जब उन्होंने बघेल का नाम ले लिया तो फिर हाईकमान की बात क्यों कही? क्या कोई ऐसी परिस्थिति बन सकती है कि बहुमत के बाद बघेल की जगह किसी दूसरे नाम पर हाईकमान में विचार होगा? वैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते हाईकमान की कमान अब खडग़े के ही पास है। पर वे कई बार अपने बयान में जब हाईकमान का नाम लेते हैं तो लोग मानते हैं कि वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी की बात कर रहे हैं। जीते हुए विधायकों की राय मानने की कोई बात खडग़े ने नहीं की, और कांग्रेस में प्राय: ऐसा होता भी नहीं।

सरगुजा संभाग के इस कार्यक्रम में मंच पर उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव नहीं थे, वे दूसरे क्षेत्रों में प्रचार कर रहे थे। सिंहदेव तो बघेल को अगला मुख्यमंत्री बता चुके हैं। मंच पर खडग़े के साथ मौजूद थे प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे भी मौका पाकर दावा ठोंक सकते हैं। खडग़े के सुधारे गए बयान को लोग बैज की मौजूदगी से जोडक़र देख रहे हैं।

कागज की पुडिय़ा पर न्योता

एक रजिस्टर के सादे कागज पर हाथ से लिख कर स्क्रीन प्रिंटिंग किया हुआ निमंत्रण। पाने वालों को यह पुडिय़ा के रूप में मिला, जिसे खोलने पर पर मिले कुछ बीज, ताकि आप उन्हें अपने आंगन में रोप सकें। आमंत्रण की भाषा भी अनोखी। मीडिया के माध्यम से सादगी, मितव्ययिता, जागरूकता, संदेश, उपदेश, संस्कारों की जितनी बातें की जाती हैं, इसमें सब शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के एक रंगमंच कलाकार ने अपने विवाह का निमंत्रण इस तरह से दिया है।

जातिगत जनगणना का जवाब

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि जातिगत जनगणना का दांव उनके खिलाफ ठीक वैसी ही साजिश है जैसी 90 के दशक में मंडल-कमंडल की थी। दुर्ग में कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण कुछ ऐसा था- गरीबों ने जब अपनी एक ही जाति मान ली है तो राजनीतिक दलों के पेट में चूहे दौडऩे लगे हैं। उनको लगने लगा है कि गरीबों की जाति इक_ी हो गई तो झूठ चलाने वालों की दुकानें बंद हो जाएंगी। अब इन्होंने खेल शुरू किया है, गरीबों को भी बांटना, गरीबों के सपनों को चित कर देना, गरीबों को ही आपस में लड़ाना। जातिवाद का जहर घोल रहे हैं। आपको आगाह कर रहा हूं, हमें गरीबों की एकता तोडऩे वाली हर एक साजिश को एकजुट होकर नाकामयाब करना है। मोदी ने सितंबर से अब तक छत्तीसगढ़ में जितनी भी चुनावी सभाएं ली हैं, जातिगत जनगणना का नाम लिए बगैर उन्होंने इसी तरह की बात कही है।

इस बीच बिहार विधानसभा में 65 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खडग़े सहित प्राय: सभी नेता जातिगत जनगणना के पक्ष में बात कर रहे हैं। कांग्रेस ने साफ किया है कि सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ में यह काम शुरू हो जाएगा।

दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा है कि उनकी पार्टी जातिगत जनगणना के खिलाफ कभी नहीं रही, लेकिन इस बारे में फैसला समय आने पर लिया जाएगा।

आरएसएस के जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि जातिगत जनगणना पर यदि किसी राज्य में भाजपा को ज्यादा नुकसान हो सकता है तो वह छत्तीसगढ़ है। यहां आरक्षण पर विधानसभा में पारित विधेयक राजभवन में लंबित भी है। चुनाव परिणाम से यह जानने में मदद मिलेगी कि इसका अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ेगा। आरएसएस ने डैमेज कंट्रोल के लिए सामाजिक समरसता प्रोजेक्ट भी तैयार किया है। वह देशभर के गांवों में पहुंचेगी और सभी जातियों को हिंदुत्व के मुद्दे पर जोड़े रखने की 
कोशिश करेगी। 

बस नाम का तबादला 

राजधानी पुलिस के एक मामले में कहा जा सकता है कि तबादले केवल ऑफिस रिकॉर्ड और अखबारों में छपवाने के लिए होते हैं। हकीकत में स्थानांतरित अधिकारी अपना पुराना ही काम करते हैं। इसके जरिए महकमे में अफसर की पकड़, और सेटिंग का अहसास होता है । राजधानी पुलिस के एक टीआई का भी कुछ ऐसा ही है।

आयोग की तिरछी नजर पर उनका तबादला सेल से गैर जिला बल में किया गया। वह भी आचार संहिता लगने के एक-दो दिन पहले ही। आयोग की नजर में वह लूप लाइन में है, लेकिन फ्रंट लाइन वर्क कर रहे हैं। अघोषित रूप से वह सेल का ही नेतृत्व कर रहे हैं। सेल का एक ही काम, ठगी के आरोपियों को पकडऩा है। ज्यादातर आरोपी बड़े लोग होते हैं। ऐसे में चुनावी शोर के बीच सेल से जुड़े लोग अपना काम बेहतर तरीके से निपटा रहे हैं। 

इस अखबार ‘छत्तीसगढ़’ के संपादक ने लोगों को धनतेरस की शुभकामनाएं भेजीं, तो छत्तीसगढ़ के बहुत से लोगों ने यश टुटेजा का नंबर मांग लिया।

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