राजपथ - जनपथ
इधर अफसर, उधर पटवारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंगेली और महासमुंद की चुनावी सभा में छत्तीसगढ़ पीएससी में अफसर और नेताओं के बच्चों की शीर्ष पदों पर भर्ती का मुद्दा उठाया। भाजपा इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में चुनाव के पहले से ही आंदोलन कर चुकी है और अब तो यह मामला भाजपा के ही नेता ननकी राम कंवर हाई कोर्ट भी ले गए हैं। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा 2023 के नतीजे आने पर लोग भौचक्के रह गए। टॉप 10 पोजीशन पर ग्वालियर के केवल एनआरआई कॉलेज से ही पासआउट सात नाम शामिल थे। इस कॉलेज का मालिक एक भाजपा विधायक है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता वहां पर अपने भाषणों में इसका बार-बार जिक्र कर रहे हैं, और चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश में ही अभूतपूर्व पीएससी भर्ती घोटाला हुआ था, जिसमें 2000 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए थे। इनमें वहां के तत्कालीन शिक्षा मंत्री भी शामिल थे। इस मामले से जुड़े करीब 40 आरोपी और पीडि़तों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत भी हुई थी। इनमें वहां के तब के राज्यपाल के बेटे का नाम भी शामिल है। आज तक इस घोटाले की जांच का कोई नतीजा सामने नहीं आया है।
सार यही है कि कांग्रेस हो, भाजपा या और कोई, सत्ता में रहते हुए सभी दलों को अपना कामकाज साफ सुथरा दिखाई देता है। उनको गड़बड़ी तभी नजर आती है, जब विपक्ष में हों।
गला साथ नहीं दे रहा
नेता मतलब ऊंची आवाज और अनवरत बोल। किसी में ये नहीं तो वो नेता नहीं। और फिर चुनाव के समय तो और ऊंची और सपने में भी चिल्लाने वाला होना चाहिए। लेकिन पड़ोस से चुनाव लड़ रहे युवा नेता की इन दिनों बोलती बंद हो गई है। नेताजी की अब तक की आवाज माइक और साउंड मिक्सिंग के भरोसे बुलंद रही। नए प्रोफेशन में तो बिना माइक के अंतिम व्यक्ति तक आवाज पहुंचानी होती है।
नेताजी प्रचार के अंतिम दौर में गले से परेशान हैं। सब कुछ इशारे में चल रहा है। वोटर भी इशारे में भरोसा दिला रहे। नेताजी शुरुआत में कुछ कमजोर चल रहे थे, अब इलाके के पुराने मोटा भाई ने पार्टी से पूरी नाराजगी खत्म कर जुट गए हैं। और नेताजी भी स्थानीय नेताओं की बार बार शिकायत करने से बाज आ गए है। ऐसे में राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि तब तो निकाल लेंगे।
यात्रा का खर्च बढ़ाया चुनाव ने
विधानसभा चुनाव के लिए परिवहन विभाग को 15 हजार वाहनों के अधिग्रहण का लक्ष्य दिया गया। इनमें 7000 सवारी बस, 2000 स्कूल बस 3000 ट्रक और इतने ही कार-जीप शामिल हैं। पहले चरण में 20 सीटों पर हुए चुनाव के लिए 3000 गाडिय़ां लगाई गई थी। अब 70 सीटों के लिए करीब 12000 गाडिय़ां अधिग्रहित की गई हैं। इसके चलते कई प्रमुख मार्गों पर बसें नहीं चल पा रही हैं। दूसरी तरफ दीपावली और भाई दूज का पर्व मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग यात्रा कर रहे हैं। इन की निर्भरता ऑटो रिक्शा और छोटी सवारी गाडिय़ों पर रह गई है। इन गाडिय़ों के मालिक मौके का खूब फायदा उठा रहे हैं। किराया दोगुना कर दिया गया है।
बड़ा आदमी, बड़ी दिक्कत
रायगढ़ से भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी के लिए निर्दलीय उम्मीदवार गोपिका गुप्ता बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी हो गई हैं। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने गोपिका को मनाने की बड़ी कोशिश की लेकिन उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला। आखिरकार पार्टी ने उनको निष्कासित कर दिया। इस निर्दलीय उम्मीदवार का जनाधार इस बात से समझा जा सकता है कि जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने वाली वह अकेली निर्दलीय उम्मीदवार थीं। 25 में से बाकी 24 सीटें भाजपा की थी, बाद में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली। इस बार भी वह कह रही हैं कि उन्होंने भाजपा से बगावत नहीं की है। चुनाव जीतकर वह लौट कर फिर भाजपा में आ जाएंगी, जैसा जिला पंचायत के समय किया था। भाजपा के कई कार्यकर्ता उनके साथ प्रचार में घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी चौधरी को अमित शाह ने रायगढ़ की चुनावी रैली में मतदाताओं से अपील करते हुए कहा था कि उनको जीतने पर बड़ा आदमी बना देंगे। कुछ लोगों को लगता है चौधरी तो वैसे भी बड़े आदमी हैं। राजनीति के लिए उन्होंने कलेक्टर की कुर्सी छोड़ी है। एक खरसिया चुनाव हारने के बाद जरूरी नहीं की दूसरा भी हार जाएं। युवा हैं, लंबी पारी खेलेंगे। पर इस समय निर्दलीय उम्मीदवार के चलते उनके सामने बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई है।
यह चुनावी रथ तो नहीं?
स्वीडन में 1950 में वोल्वो ट्रक को केतली का स्वरूप दे दिया गया था। एक कॉफी बनाने वाली कंपनी ने अपने उत्पाद का प्रचार करने के लिए इसे तैयार कराया था। सन 1956 में यह गाड़ी बंद हो गई। इधर अपने देश में सोशल मीडिया पर इस फोटो को शेयर कर लतीफा बनाया जा रहा है। यह दावा किया जा रहा है कि सन् 2024 में इसका इस्तेमाल चुनावी रथ के रूप में किया जाएगा।