राजपथ - जनपथ
पुलिस भर्ती के नतीजे आयोग के हाथ
चुनाव आयोग के हाथ में आचार संहिता के दौरान कितनी ताकत आ जाती है यह एहसास करना हो तो छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस निर्देश पर गौर किया जा सकता है जिसमें उसने राज्य सरकार को कहा था कि पुलिस विभाग में भर्ती के नतीजों को वह चुनाव आयोग से अनुमति लेकर जारी करे। राज्य सरकार ने राज्य के निर्वाचन विभाग को पत्र लिखा। निर्वाचन विभाग ने जवाब दिया कि अनुमति देने के लिए भारत निर्वाचन आयोग से मार्गदर्शन मांगा गया है। अब हाईकोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को लिखा है कि इस पर जल्दी निर्णय लेकर सरकार को बताए। आयोग अलग संवैधानिक संस्था है, निर्णय लेने की शक्ति उसी के पास है।
सब इंस्पेक्टर, सूबेदार, प्लाटून कमांडर जैसे पदों पर भर्ती की यह लंबी प्रक्रिया 2021 से चल रही है। अनेक कारणों से इसमें विलंब होता गया। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार हो चुका है। पुलिस विभाग ने इसमें शारीरिक परीक्षण किया था, शेष प्रक्रिया व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने पूरी की है। अब साक्षात्कार के बाद रिजल्ट निकाला जाना ही था कि 9 अक्टूबर को आचार संहिता लग गई और सूची रोक दी गई। इसी को लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। मतगणना 3 दिसंबर को होने वाली है, पर आचार संहिता 5 दिसंबर तक लागू रहेगी। अभ्यर्थी तीन साल से इंतजार कर रहे थे, अब आचार संहिता उठने में गिनती के दिन बचे हैं। फिर भी वे चिंतित क्यों हैं? चिंता नई सरकार से ही है। क्या पता जो सरकार बनेगी उसे चयन प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी दिखाई देने लगे और सूची जारी होने से पहले ही रोक दी जाए और उनकी मेहनत पर पानी फिर जाए?
कॉलेजों को अध्यादेश का इंतजार
चुनाव आचार संहिता के बीच जो बड़ा काम हो गया है उनमें एक है सरकारी कर्मचारी अधिकारियों का डीए बढ़ाने का आदेश। यह एक ऐसा विषय है जिसका लाभ सबको मिलेगा। निर्वाचन के काम में लगे अधिकारियों कर्मचारियों को भी। मगर लगता है कुछ ऐसे विषय भी हैं, जो सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। जैसे –शिक्षा। चुनाव के पहले राज्य के 8 कॉलेजों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई शुरू की गई। इन कॉलेजों में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं तो हो गई हैं, कॉपियों की जांच हो गई, रिजल्ट तैयार हो चुका है। पर यह डीजी लॉकर में अपलोड नहीं हो रहा है। वजह यह बताई जा रही है कि सरकार को इस संबंध में अध्यादेश जारी करना था। उसके बाद ही लॉक खुलेगा और रिजल्ट अपलोड होगा। खबर यह भी है कि अध्यादेश राज्यपाल को भेजा जा चुका है, पर वहां से लौटा नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पढ़ाई केंद्र की मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। अध्यादेश पर हस्ताक्षर से संबंधित कोई बाधा हो, इसकी गुंजाइश कम ही है। अध्यादेश पर राज्यपाल के हस्ताक्षर होंगे, फिर चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी। पर इस दिशा में पहल नहीं हो रही है।
बात दावेदारी और टिकट वितरण की
अब सबको नतीजे का इंतजार है तो घड़ी को रिवर्स ले जाते हैं। बात प्रत्याशी चयन के दौर की कर लें। उस दौरान एक से बढक़र एक किस्से हुए। टिकटार्थियों और देने वालों के बीच। एक प्रत्याशी के बारे में आपको बताएं। वे नगरीय निकाय के नेता हैं। एक बार मुखिया और दूसरी बार पार्षद का चुनाव जीते। और एक विस, एक लोस का चुनाव हार चुके हैं। लेकिन अभी भी वे निकाय के नंबर दो पोजीशन पर हैं। फिर से चुनाव लडऩे दावेदारी करने गए। चयन के लिए सभी स्तर से पैनल में नाम था। लेकिन जिन्हें उनके नाम पर टिक करना था वे सहमत नहीं थे। नेताजी उनके पास सपत्नीक गए। दावेदारी की। टिकट देने वालों ने कहा इस बार नहीं दे सकते। तो उन्होंने पत्नी को आगे किया। लेकिन उन्हें क्या पता था कि पहले से ही डिसाइडेड था। बिग बॉस ने कहा कि अगली बार सोचेंगे, पार्षद-वार्षद के लिए। नेताजी मुरझाया सा चेहरा,और मन लेकर लौट आए। अब यही नेताजी , पार्टी के चुनाव संचालक बने। कितना मन लगा होगा नतीजे बताएंगे।
एक दूसरे के मन की बात
गाय बछड़े चरा रही इस महिला से मोरनी क्या बतिया रही है, जिसका जवाब वह हंसकर दे रही है? छत्तीसगढ़ के बस्तर के किसी जगह की यह तस्वीर है, जिसे सोशल मीडिया में बस्तर भूषण के अकाउंट पर अपलोड किया गया है।