राजपथ - जनपथ
और मालामाल होगा छत्तीसगढ़!
केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने विशिष्ट प्रकार के खनिज ब्लॉकों की नीलामी का विज्ञापन जारी कर दिया है। इनमें छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर के दो लिथियम ब्लॉक भी शामिल हैं। जुलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस साल फरवरी में बताया था कि कटघोरा के चकचकवा पहाड़ और करीब के 18 गांवों में दुर्लभ लिथियम का भंडार मिला है। राज्य सरकार ने इसकी नीलामी के लिए केंद्र से औपचारिक अनुरोध किया था। सांसद दीपक बैज ने भी संसद में इसकी नीलामी की मांग उठाई थी। लिथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में है, उसके बाद आस्ट्रेलिया में। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत उत्पादन के बाद तीसरे स्थान पर आ सकता है। लिथियम की दुनियाभर में मांग बढ़ रही है, क्योंकि वाहनों में ईंधन के लिए सभी देश पेट्रोल-डीजल की जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ बढ़ रहे हैं। इनकी बैटरी में प्रमुख रूप से लिथियम की ही जरूरत होती है। छत्तीसगढ़ पहले से ही खनिज संसाधनों से भरा-पूरा राज्य है। लिथियम इसे और धनी बनाएगा। मगर इस धनी राज्य के गरीब लोगों का जीवन स्तर इससे कितना ऊपर उठेगा, यह भविष्य ही बताएगा।
सरपंच पतियों पर यूपी हाईकोर्ट...
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह मामला छत्तीसगढ़ की किसी कोर्ट में सुना जाता तब भी अजीब नहीं लगता।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह से सरपंच पति एसपी नाम से नवाजा जाता है इस तरह यूपी में महिला प्रधान के पति को पीपी कहा जाता है। वहां बिजनौर जिले की एक महिला प्रधान की ओर से एक रिट याचिका उसके पति ने लगाई। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा एतराज किया और कहा कि पंचायतों में महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से आरक्षण दिया गया है लेकिन वह पुरुष रिश्तेदारों की वजह से रबर स्टैंप की तरह काम कर रही हैं और खुद मूक दर्शक बनी रहती हैं। निर्वाचन आयोग को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वह महिला प्रत्याशियों के नामांकन के समय हलफनामा लें कि वे खुद काम करेंगी, उनके काम में प्रधान पति या किसी और संबंधी का हस्तक्षेप नहीं होगा। याचिका को खारिज कर पति पर कोर्ट ने 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगा दिया।
अपने यहां छत्तीसगढ़ में सरपंच पति किस तरह काम करते हैं इसके दर्जनों उदाहरण हैं। पर एक का जिक्र यहां करते हैं। बीते फरवरी महीने में कोरबा जिले के गिधौरी ग्राम पंचायत के सरपंच पति ने फरमान जारी किया कि यदि नवरात्रि का चंदा नहीं दिया तो उसे इस महीने का राशन नहीं दिया जाएगा। कई ग्रामीणों ने चंदा देकर राशन लिया। ऊपर के अधिकारियों तक बात पहुंची तो इस पर रोक लगी।
ऐसी दखल को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को 22 जून 2010 को एक परिपत्र जारी करके आगाह करना पड़ा था कि पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज के संचालन के दौरान कार्यालय परिसर के भीतर महिला पदाधिकारी का कोई भी सगे संबंधी रिश्तेदार हस्तक्षेप नहीं करेगा। वह किसी भी कर्मचारी को निर्देश या सुझाव नहीं देगा अन्यथा महिला पंचायत पदाधिकारी के विरुद्ध पंचायत राज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन ज्यादातर मामलों में महिला सरपंच या उसके पति पर कार्रवाई करने में प्रशासन ने कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सरपंच पति पर कार्रवाई की तलवार लटकती है तो वह अपने क्षेत्र के विधायक, सांसदों को समझाता है कि भले ही पत्नी है, मगर वोट तो उनके कहने से मिलते हैं।
बस दो दिन की ही तो बात है...
एग्जिट पोल में दावे सामने आ गये हैं। ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की दोबारा सरकार बनने का दावा किया है। पर, कांग्रेस भाजपा दोनों को इस सर्वे पर पूरा भरोसा नहीं है। उनके नेता अब भी 70 से ज्यादा सीटों का दावा कर रहे हैं, भाजपा भी कह रही है कि उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। सन् 2018 में भी ज्यादातर सर्वे रिपोर्ट्स में कांग्रेस की ही सरकार बनने का दावा किया गया था। मगर वास्तविक नतीजे के आसपास किसी का अनुमान नहीं था। तब कुछ सर्वे एजेंसियों का अनुमान कैसा था, देखिए- टुडेज-चाणक्य ने भाजपा को 36 और कांग्रेस को 50 सीटें दी। सी वोटर-रिपब्लिक टीवी ने कांग्रेस की 45 सीटों के साथ जीत की भविष्यवाणी की पर भाजपा को 39 सीट दिए। एक्सेस माय इंडिया- इंडिया टुडे ने कांग्रेस को 60 और बीजेपी को 26 सीटें दी।
इसके अलावा दो सर्वे एजेंसियों ने भाजपा की सरकार रिपीट होने की बात कही। सीसीडीएस-एबीपी न्यूज़ ने उसे 52 सीट दिए। कांग्रेस को सिर्फ 35 सीटें दी यानि पिछले सभी प्रदर्शनों से कम। न्यूज़ एक्स- नेता ने भाजपा को 42 और कांग्रेस को 41 सीटें दी। बहुमत किसी को नहीं । बाकी सीट अन्य दलों या निर्दलियों के खाते में डाली गई।
तब नतीजों के सबसे करीब इंडिया टुडे का सर्वे रहा जिसमें कांग्रेस को 60 सीट मिलने की बात बताई गई थी।