राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जंगल में चौसिंगा मरे, किसी ने नहीं देखा
02-Dec-2023 4:48 PM
राजपथ-जनपथ : जंगल में चौसिंगा मरे, किसी ने नहीं देखा

जंगल में चौसिंगा मरे, किसी ने नहीं देखा

पिछले दो महीने से प्रदेश का सारा प्रशासनिक अमला चुनावी मोड में हैं। दो चार विभागों को उनके कामकाज की प्रकृति के चलते चुनाव ड्यूटी से पूरी तरह अलग रखा जाता है, या उनमें से कम कर्मचारियों को संलग्न किया जाता है। इनमें वन विभाग भी एक है। पर इस दौरान सभी अधिकारी, कर्मचारियों को छुट्टी लेने पर रोक होती है और वे तब तक आयोग के नियंत्रण में रहते हैं, जब तक आचार संहिता खत्म नहीं हो जाती। ऐसे में जंगल सफारी, नया रायपुर के डॉक्टर राकेश वर्मा गोवा की सैर पर निकल गए। इनको अपने संचालक से छुट्टी नहीं मिली तो सबसे बड़े बॉस पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ से ले ली। चुनाव आचार संहिता की तो एक बात थी, सफारी के संचालक, डीएफओ ने उनको छुट्टी से मना करते हुए दो गंभीर कारण बताये थे। एक तो खुद संचालक को विभागीय पेशी के चलते दिल्ली जाना था, दूसरा उन्होंने बताया कि जंगल सफारी में चौसिंगा बीमार पड़ रहे हैं, कुछ की मौत भी हो गई है। ऐसे में डॉक्टर का सफारी में ड्यूटी देना जरूरी है। पीसीसीएफ की उदारता और डॉक्टर की हठधर्मिता से नुकसान यह हुआ कि अब तक 17  जंगल सफारी में चौसिंगा मारे जा चुके हैं। चर्चा तो यह भी है कि इस बीच कुछ काले हिरण, नील गायों की मौत भी हो गई, कुल मिलाकर इनकी संख्या 40 है।  इनके बीच की एक अफसर सीसीएफ एम. मर्सिबिला का तो कहना है कि इन मौतों का तो उन्हें पता ही नहीं। पर, पूरा मामला संचालक की ओर से पीसीसीएफ को भेजे गए एक शिकायती पत्र के वायरल होने से सामने आ गया, जिसमें डॉक्टर की छुट्टी पर ऐतराज किया गया है। जंगल सफारी में सुविधा यह है कि यह जंगल भी है और राजधानी के पास भी। इसके बावजूद यहां जिम्मेदारी संभाल रहे अफसरों में वन्यजीवों के लिए कितनी संवेदनशीलता है, यह दिखाई दे रहा है। इन्हीं के हाथ में जंगल सफारी के 700 जानवरों की देखभाल का जिम्मा है।

राज-काज से विश्राम मिलने पर..

विधानसभा चुनाव से नतीजे से पहले कई प्रत्याशियों की धुकधुकी बढ़ गई है, जाहिर नहीं कर रहे पर कई दिनों से चिंता में डूबे हैं। न जाने मतदाता उनके साथ कैसा सलूक करेंगे। दूसरी तरफ कई उम्मीदवार हैं, जिनका दिल धक-धक तो कर रहा है, मगर घबराहट में नहीं। इस मतदान और मतगणना के बीच के समय का इत्मीनान से आनंद उठा रहे हैं। जशपुर के विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी विनय भगत इसी मूड में हैं। उनका एक 59 सेकेंड का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें वे अपनी जीवनसंगिनी के साथ फुरसत के मूड में एक बॉलीवुड गाने पर अभिनय कर रहे हैं। वैसे भगत की प्रोफाइल पर बहुत से ऐसे वीडियो भी हैं, जिनमें वे डांस कर रहे हैं।

नक्सल क्षेत्र के विद्यार्थियों में चिंता

बीते दो-तीन सालों के भीतर बस्तर के अंदरूनी इलाकों तक मोबाइल टावर लगाने में अच्छी कामयाबी मिली। अब यहां टावरों की संख्या 500 के आसपास पहुंच चुकी है, जो सात-आठ साल पहले तक करीब 70 ही थी। इस सुविधा का लाभ केवल यही नहीं हुआ है कि उन्हें 112, 108, महतारी एक्सप्रेस जैसी आपात स्थिति में स्वास्थ्य सुविधा मिल जाती है, बल्कि ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम से कई तरह के भुगतान भी हो जाते हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए तो यह वरदान सरीखा है। दूरदराज के अनेक अब विद्यार्थी देश के बड़े शिक्षण संस्थानों से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे और कोचिंग संस्थानों से कोचिंग ले रहे हैं। पर, नक्सलियों को लगता है कि इन टावरों से सुरक्षा बलों का सूचना तंत्र मजबूत हो रहा है। इसके चलते वे मोबाइल टावरों को जलाकर नष्ट कर रहे हैं। अभी पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी, पीएलजीए 2 से 8 सितंबर तक शहीदी सप्ताह मनाने जा रहा है। इसके पहले ही उन्होंने कांकेर और पखांजूर में दो मोबाइल टावरों को फूंक दिया। कुछ समय पहले नारायणपुर और दंतेवाड़ा में भी उन्होंने टावरों को आग लगाई। पर इस उपद्रव से वे बच्चे भी तनाव से गुजर रहे हैं, जिनकी नेटवर्क में व्यवधान के चलते पढ़ाई बीच में ठहर रही है।  

अफ़सरों का असमंजस 

चुनाव नतीजे आने से पहले ही अफसरशाही में हलचल बढ़ गई है। चर्चा है कि संविदा पर पोस्टेड कुछ आईएएस अफसरों ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। एक अफसर ने तो अभी से सरकारी गाड़ी लौटा भी दी है। संकेत साफ हैं कि सरकार रिपीट नहीं हुई, तो ये अफसर अपना इस्तीफा सीएस को भेज सकते हैं।

ये संविदा अफसर मौजूदा सरकार के करीबी माने जाते हैं। उनकी सोच है कि नई सरकार उन्हें हटा सकती है। इससे पहले ही इस्तीफा भेज दिया जाए। इन अफसरों की नजरें चुनाव नतीजे पर टिकी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि भूपेश सरकार ने सत्ता सम्हालते ही रमन सरकार के कुछ करीबी अफसरों की छुट्टी कर दी थी। उस समय संविदा पर पदस्थ एक सचिव स्तर के अफसर तो भूपेश सरकार के ताकतवर मंत्री के साथ गुप्तगू कर रहे थे तभी फोन पर उन्हें सूचना मिली कि उनकी संविदा नियुक्ति खत्म कर दी गई है। जबकि रमन सरकार में इस अफसर की काफी तूती बोलती थी। अब वैसी स्थिति न हो, इससे पहले ही भूपेश सरकार के करीबी अफसर अपना इस्तीफा भेज सकते हैं।

हालांकि संविदा अफसरों का अंदाजा है कि भूपेश सरकार रिपीट हो सकती है। ऐसे में इस्तीफा भेजने की नौबत नहीं आएगी। फिलहाल तो नतीजे का बेसब्री से इंतजार चल रहा है।

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