राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : और हमारा लक्षद्वीप खतरे में...
11-Jan-2024 4:37 PM
 राजपथ-जनपथ : और हमारा लक्षद्वीप खतरे में...

और हमारा लक्षद्वीप खतरे में...

छत्तीसगढ़ में दूर-दूर तक समुद्र का किनारा नहीं है लेकिन इसका एहसास करना हो बुका झील जाया जा सकता है। लोग इसे अपने प्रदेश का मॉरीशस भी कहते हैं। पहले पता होता कि लक्षद्वीप ज्यादा चर्चित होने वाला है तो लोग इसे उसी नाम से पुकारते। समुद्र तट पर होने वाली हर गतिविधि यहां होती है। जैसे तेज रफ्तार बोटिंग, जल विहार, घुड़सवारी। वन विभाग और छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने रहने और खाने-पीने की व्यवस्था भी कर रखी है। सुविधाओं में कुछ कमी है, मगर जो भी यहां पहुंचता है, आनंद से सराबोर होकर लौटता है। कोरबा जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर कटघोरा-अंबिकापुर मार्ग पर थोड़ा भीतर जाने पर, यहां पहुंचते ही अथाह जल राशि और द्वीपों का नजारा सामने होता है। एक द्वीप को गोल्डन आइलैंड कहा जाता है। यहां 24 घंटे के लिए भी बोट बुक की जा सकती है। सी-प्लेन चलाने की संभावनाओं पर भी एक दो साल पहले विचार किया गया था।

यह सारी नैसर्गिक खूबी हसदेव नदी की बदौलत है। यह जल का विशाल भंडार चोरनई नदी पर है  जो हसदेव की सहायक नदी है। मगर विडंबना है कि इसी के कुछ ऊपर लगातार जंगल काटे जा रहे हैं, कोयला खदानों के लिए। यही वह इलाका है जहां हाथियों के लिए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव है। पर्यावरण प्रेमी चेतावनी दे चुके हैं कि कोयला खदानों के कारण हसदेव का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। हसदेव में बने बांगो डेम का अस्तित्व भी इसी से जुड़ा है। जो कोरबा के उद्योगों और जीवन यापन की जरूरत पूरी करता है। जांजगीर-चांपा, बिलासपुर की न केवल खेती बल्कि भविष्य में पेयजल के लिए भी हसदेव की जरूरत है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद वहां पर्यटन गतिविधियों का विस्तार होने जा रहा है। पर बुका झील व यहां के द्वीप कब तक हमारा साथ देंगे कह नहीं सकते।

एजी बनाना आसान नहीं 

आखिरकार सीनियर एडवोकेट प्रफुल्ल भारत को एडवोकेट जनरल बनाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग गई। भारत आरएसएस के पसंदीदा माने जाते हैं। उनकी काबिलियत पर किसी को संदेह नहीं रहा है। मगर कुछ बातें ऐसी थी जो उनके शीर्ष विधि अधिकारी बनने की राह पर रोड़ा बन रही थी। 

मसलन, भारत शराब घोटाले के आरोपी अनवर ढेबर, और अन्य की हाईकोर्ट व जिला अदालत में पैरवी कर रहे थे। शराब घोटाला केस की ईडी जांच कर रही है। चर्चा है कि इन सबको लेकर सरकार और पार्टी में काफी मंथन भी हुआ। सरकार के कुछ मंत्री ठाकुर यशवंत सिंह को एडवोकेट जनरल बनाने के पक्ष में राय दी थी। यशवंत, प्रफुल्ल भारत से जूनियर हैं। अंतोगत्वा संघ पदाधिकारियों की राय पर भारत को एडवोकेट जनरल बनाने का फैसला लिया गया। 

नियुक्ति के इंतजार में शिक्षक

चुनाव के पहले पिछली सरकार ने युवाओं के असंतोष को कम करने के लिए भर्तियों के कई विज्ञापन जारी किए। जिन विज्ञापनों में भर्ती की प्रक्रिया रुकी हुई थी, उनकी आगे की कार्रवाई में तेजी लाई गई। इसके बावजूद आचार संहिता लग जाने के कारण सभी नियुक्ति नहीं हो पाई। ऐसा ही मामला बस्तर और सरगुजा संभाग शिक्षकों की भर्ती का है। इन दोनों संभागों में 5772 पदों पर भर्ती शुरू की गई। काउंसलिंग के बाद रिक्त शालाओं में उनकी नियुक्ति का आदेश क्रम से जारी किया जाता रहा। इसी बीच आचार संहिता लग गई और 582 पदों पर काउंसलिंग रुक गई। आचार संहिता कब की समाप्त हो चुकी है। नई सरकार और मंत्रिमंडल का गठन हो चुका, बड़े-बड़े फैसले होने लगे हैं, लेकिन चयन के बावजूद परीक्षार्थियों की प्रतीक्षा खत्म नहीं हो रही है। पता चला है कि इन बचे हुए पदों पर काउंसलिंग के लिए मंत्रालय से अनुमति मांगी गई है, जो मिल नहीं रही है।

अमित जोगी और भाजपा 

भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर एक जॉइनिंग कमेटी बनी है। ये कमेटी अन्य दलों से भाजपा में आने के इच्छुक नेताओं का बायोडाटा खंगालती है। कमेटी दल बदल करने के इच्छुक नेताओं के आने से भाजपा को नफा नुकसान का आकलन करती है, और फिर इसकी अनुशंसा के बाद ही नेताओं को भाजपा में शामिल करने का रास्ता साफ होता है।

कमेटी के संयोजक महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री, और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े हैं। चर्चा है कि तावड़े को अमित जोगी का प्रकरण भी सौंप दिया गया है। अमित जोगी के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उनके भाजपा प्रवेश की अटकलें लगाई जा रही है। कहा जा रहा है कि पार्टी के स्थानीय नेता अमित को भाजपा में शामिल करने के खिलाफ भी हैं। चाहे कुछ भी हो, विनोद तावड़े की रिपोर्ट पर ही अमित के भाजपा में शामिल होने पर फैसला होगा। देखना है आगे क्या होता है। 

भ्रष्ट के पास भी फण्ड नहीं?

सरगुजा के एक पुराने दिग्गज कांग्रेस नेता को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिली। अब नेताजी को चुनाव समिति के एक सदस्य ने लोकसभा चुनाव लडऩे का प्रस्ताव दिया गया है। मगर चर्चा है कि नेताजी ने चुनाव लडऩे में अनिच्छा जाहिर कर दी है। उन्होंने कुछ लोगों के बीच अनौपचारिक चर्चा में कहा कि उनके पास चुनाव लडऩे के लिए फंड नहीं है। 

नेताजी का जवाब सुनकर चुनाव समिति के सदस्य भी हैरान रह गए, क्योंकि नेताजी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले सुर्खियों में रहे हैं। विधानसभा टिकट नहीं मिली, तो सारा फंड  बच गया। अब जब वो फंड की कमी का रोना रो रहे हैं, तो बात कुछ हजम नहीं हो रही है। 

‘भोली भाली’ मंत्री की चेतावनी

कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े पहली बार की विधायक हैं और उम्र में भी सभी मंत्रियों से कम हैं। पर इसका मतलब यह नहीं है कि उनको अपने पद और जिम्मेदारी को समझने में कोई भूल कर रही हैं। अफसर भी शायद उन्हें हल्के में लेने की भूल कर रहे होंगे। शायद इसीलिये उन्होंने सूरजपुर के कार्यक्रम में मंच से अफसरों को चेतावनी दी। कहा-अगर आप सोचते हैं कि आपकी मंत्री भोली-भाली है तो यह गलतफहमी दूर कर लें। पांच साल हमारे कार्यकर्ताओं के साथ ज्यादती हुई है। अब ऐसा नहीं चलेगा। आपको उनकी बात सुननी पड़ेगी। यदि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की, उनकी बात नहीं सुनी तो आप लोग देख लीजिए आपका क्या होगा। मंत्री राजवाड़े खासकर पुलिस से नाराज थी। कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पक्षपात पूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया था। मंत्री इससे पहले सूरजपुर जिला अस्पताल के दौरे में भी वहीं के डॉक्टरों पर जमकर बरस चुकी हैं। अब तक अफसर, सीनियर विधायकों को मंत्री पद पर देखते आए हैं। उनको सहज होने में थोड़ा वक्त लग सकता है।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news