राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : आईजी का क्रिकेट प्रेम
16-Jan-2024 4:47 PM
राजपथ-जनपथ : आईजी का क्रिकेट प्रेम

आईजी का क्रिकेट प्रेम 

क्रिकेट को लेकर दुर्ग रेंज आईजी बीएन मीणा का बड़ा लगाव है। वह हर साल अपने गृह राज्य राजस्थान के जयपुर में आयोजित एक राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट खेल प्रतियोगिता में सरकार से अवकाश लेकर शामिल होते हैं। 2004 बैच के आईपीएस मीणा की अच्छे क्रिकेटरों में गिनती होती है। 

एक वाक्या ऐसा भी हुआ, जब कोरबा एसपी रहते उन्हें राजनांदगांव में आयोजित एक टूर्नामेंट में शामिल होने का न्यौता मिला, तो उस दौरान संयोगवश छत्तीसगढ़ सरकार का स्टेट प्लेन कोरबा से रायपुर लौट रहा था। वह आला अफसरों से अनुमति लेकर प्लेन से राजधानी पहुंचे और उसके बाद टूर्नामेंट में शामिल हुए। 

सुनते हैं कि अभी वह 10 दिनों के अवकाश लेकर जयपुर में चल रहे टूर्नामेंट में अपने स्टेनो के साथ क्रिकेट का लुत्फ उठा रहे हैं। मीणा के लंबे अवकाश के चलते राजनांदगांव आईजी राहुल भगत को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। मीणा के अधीनस्थ स्टेनो को भी क्रिकेट खेल में दक्ष माना जाता है। क्रिकेट के प्रति समर्पित मीणा हर साल विशेष अवकाश लेकर जयपुर के खेल मैदान में अपने खेल का लोहा मनवाते हैं। बताते हैं कि उन्होंने क्रिकेट के कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी हासिल किए हैं।

आईपीएस में भी विक्टिम कार्ड

सूबे में सत्ता परिवर्तन हुए डेढ़ माह का समय हो गया है। लंबी प्रतीक्षा के आईएएस के ट्रांसफर की लिस्ट जारी हुई। आईएएस की पोस्टिंग के बाद माना जा रहा था कि आईपीएस की लिस्ट भी जल्द आ जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। चर्चा है कि पहले पुलिस मुखिया की नियुक्ति होगी, उसके बाद ही आईपीएस का फेरबदल होगा। कई बड़े जिलों के एसपी, और आईजी थोक में बदले जाने की संभावना है। कहा जा रहा है एसपी, आईजी के अलावा खुफिया चीफ और रायपुर आईजी के लिए खूब लाबिंग चल रही है। सभी राजनीतिक और प्रशासनिक जुगत लगा रहे हैं। इस बीच चर्चा यह है कि दावेदारों को विक्टिम कार्ड में ज्यादा सहानुभूति मिल रही है। आईएएस पोस्टिंग में भी ऐसे अफसरों को महत्वपूर्ण पद मिलने का हल्ला है। लिहाजा, आईपीएस भी इसी फार्मूले को कारगर मान रहे हैं।

टायर बचाने का जुगाड़

गलत दिशा से गाड़ी चलाने वालों को सबक सिखाने के लिए रायपुर नगर-निगम और यातायात विभाग ने तेलीबांधा के पास पहला टायर किलर लगाया है। रविवार को पहले ही दिन डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसी गाडिय़ों के टायर पंचर हो गए, जो उल्टी दिशा से चल रही थीं। मगर लोग इतनी जल्दी कहां सुधरने वाले हैं। लोग जुगाड़ ढूंढ ही लेते हैं। बाइक, स्कूटर और ऑटो रिक्शा चलाने वाले लोहे के कांटेदार दांतों को पैरों से दबाकर आहिस्ता से गाड़ी निकालकर टायर बचाने लग गए हैं। इस सडक़ पर टायर किलर लगाने से पहले गिनती की गई तो दिनभर में करीब 700 गाडिय़ां रॉंग साइड गुजरती हुई पाई गई थी। अब इसमें काफी हद तक कंट्रोल है। 

आईपीएस तबादला सूची में देरी

कुछ दिन पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने कहा था कि राज्य की भाजपा सरकार धीमी चाल से काम कर रही है। उसे तेजी से फैसले लेने चाहिए। बीते 3 जनवरी की आधी रात को जब आईएएस अधिकारियों की लंबी तबादला सूची आई तो चुनाव परिणाम आए लगभग एक माह हो चुके थे। उम्मीद यही लगाई जा रही थी कि दो चार दिन बाद आईपीएस की सूची भी बाहर आ जाएगी। मगर अब 14 दिन बाद भी इसका अता-पता नहीं है। आईपीएस, खासकर विभिन्न जिलों में तैनात अफसर इंतजार कर रहे हैं कि लिस्ट निकले, ताकि पूरे मन से काम कर सकें। चर्चा है कि आईएएस तबादला सूची को लेकर संगठन के कुछ बड़े पदाधिकारियों में असंतोष था। केंद्रीय नेतृत्व को भी इसकी शिकायत की गई थी। इसलिए कुछ समय पर आईएएस अधिकारियों की सूची में एक बार फिर फेरबदल हो सकता है। मगर, पहले आईपीएस की सूची ही आएगी। कहा जा रहा  है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले सप्ताह होने वाले विधायकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में वे छत्तीसगढ़ पहुंचने वाले हैं, तब यह फैसला लिया जाएगा। इस बीच कांग्रेस का यह आरोप गौर करने के लायक है कि छत्तीसगढ़ सरकार के छोटे-मोटो फैसले भी केंद्र से हो रहे हैं। इसका हाल केंद्र शासित प्रदेश जैसा हो गया है।

वरिष्ठ विधायकों को जिम्मेदारी

विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भी भाजपा कांग्रेस से आगे चल रही है। छत्तीसगढ़ की लोकसभा सीटों को तीन कलस्टर में बांटकर राजेश मूणत, अमर अग्रवाल और अजय चंद्राकर को तैयारी शुरू करने की जिम्मेदारी दी गई है। वे अपने क्षेत्रों की रिपोर्ट सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौपेंगे। वे यह तो बताएंगे कि वहां पार्टी की स्थिति कैसी है, संभावित दावेदारों का नाम भी सुझाएंगे। तीनों कलस्टर संयोजक वे वरिष्ठ विधायक हैं जो इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए हैं। पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बता दिया है कि उनका महत्व कम नहीं है। आखिर इस बार वह प्रदेश की सभी 11 सीटों पर जीतने के लक्ष्य से उतर रही है। इसमें नए नए मंत्री नहीं, अनुभवी नेता ही काम आएंगे।

भाजपा में अब सत्ता के नए केंद्र

राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ अब सत्ता का केंद्र भी बदलने लगा है। पुराने दिग्गजों के बजाय अब नए चेहरे उभरे हैं, जिनके इर्द गिर्द सत्ता और संगठन का संचालन होगा। कार्यकर्ता भी यह समझ गए हैं। दुर्ग संभाग में विजय शर्मा बड़े चेहरे बन गए हैं तो बिलासपुर में अरुण साव और ओपी चौधरी। बस्तर में बलीराम कश्यप के निधन के बाद केदार कश्यप ही उत्तराधिकारी होते, लेकिन संतुलन के लिए महेश गागड़ा को भी आगे किया गया। गागड़ा दो बार हार गए तो केदार ही अब सर्वमान्य माने जाएंगे। वैसे सत्ता से पहले भी विजय, ओपी और केदार को महामंत्री बनाकर संगठन ने संदेश दे दिया था कि दूसरी पंक्ति तैयार की जा रही है। 

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