राजपथ - जनपथ
फिर राशन कार्ड की लाइन
एक बार फिर राशन कार्ड बदले जा रहे हैं। अभियान 25 जनवरी से शुरू हो रहा है, जो फरवरी अंत तक चलेगा। प्रदेश में 74 लाख 95 हजार राशन कार्ड धारक हैं, इनमें से अत्यंत गरीब की सूची में शामिल 67 लाख 92 हजार राशन कार्ड धारकों को फ्री में राशन मिलना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच साल के लिए की गई यह घोषणा पूरे देश में लागू हो रही है।
सन् 2018 में भी कांग्रेस की सरकार आते ही राशन कार्ड बदल दिए गए थे। तब उनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की तस्वीर हटाकर नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर लगाई गई। अब फिर भाजपा सरकार लौट गई है। अब नये कार्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की तस्वीर दिख सकती है।
राशन कार्ड की छपाई ठीक-ठाक और टिकाऊ कागज में होती है। उसे पांच साल में सरकार की तरह बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। पर जब सरकार बदलें तो उन्हें यह भी मानकर चलना चाहिए कि राशन कार्ड भी बदलेगा। पुराने कार्ड बेकार हो जाएंगे, और मतदाताओं को एक बार फिर लाइन पर खड़ा होना पड़ेगा। इस बात पर विचार मत करें कि इससे हमारे-आपके टैक्स के कितनी रकम बर्बाद हो जाती है।
लुप्त हो रही मछली की तलाश...
इंग्लैंड के डॉ. मार्क एवेरार्ड का व्यक्तित्व बहुआयामी है। वे एक वैज्ञानिक, लेखक, पर्यावरण प्रेमी और संगीतकार हैं। दुनियाभर में लुप्तप्राय हो रही मछलियों की तलाश और उनके संरक्षण की कोशिश भी उनका एक अहम मिशन है। इन दिनों वे कोरबा जिले के प्रवास पर हैं। हसदेव बांध के डुबान क्षेत्र में मछुआरों से बात कर वे दुर्लभ महाशीर मछली की खोज कर रहे हैं। यह मछली विलुप्त होने के कगार पर हैं। उन्हें मालूम हुआ कि बांगो बांध के डुबान क्षेत्र में यह पाई जा रही है तो यहां पहुंच गए। इस मछली का वजन 50 किलो तक होता है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने इसे हाल ही में मछली की लुप्तप्राय प्रजाति का दर्जा दिया है। इसकी सात उप-प्रजातियां भी हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड में भी मिलती हैं। छत्तीसगढ़ में सिर्फ हसदेव के डुबान वाले क्षेत्र में इसके होने का पता चला है। इसका अर्थ यह है कि हसदेव अरण्य में दुर्लभ पेड़ पौधे, पक्षी, वन्य प्राणी, जड़ी बूटी तो हैं ही, यहां के विशाल बांध में अनेक दुर्लभ जीव-जंतु भी पाये जाते हैं। जिस हसदेव के लुप्त हो जाने की आशंका में लोग डूबे हैं, उसमें एक विलुप्त प्रजाति के मछली की तलाश हो रही है।
लोकसभा चुनाव में तीसरे दल...
इस्तीफा देने के बाद आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी किस दल में शामिल होंगे, यह अभी साफ नहीं है लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में इसके निकट भविष्य में विस्तार की संभावना क्षीण है। छत्तीसगढ़ में इस विधानसभा चुनाव में 0.93 प्रतिशत वोट ही उसे मिल पाए जबकि उसने 57 उम्मीदवार खड़े किए थे। हुपेंडी बाहर आ गए लेकिन पार्टी के अनेक कार्यकर्ताओं में बेचैनी होगी, क्योंकि उन्होंने करीब दो साल पहले तैयारी शुरू कर दी थी। आप को राजस्थान और मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ से भी कम, 0.38 और 0.54 प्रतिशत वोट मिले। राजस्थान में उसने 88 और मध्यप्रदेश में 70 उम्मीदवार खड़े किए थे। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में एक सीट गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास आई लेकिन बहुजन समाज पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जैसे दलों के लिए भी नतीजे निराशाजनक ही रहे। यदि इनमें कोई भी दल बेहतर प्रदर्शन कर पाता तो उसकी लोकसभा चुनाव में मौजूदगी दिखाई देती। आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी उतरें तो वे त्रिकोणीय स्थिति पैदा नहीं कर पाएंगे। विधानसभा चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है कि लोकसभा 2024 की सभी 11 सीटों पर मुकाबला केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच होना है।
वनवासी राम
छत्तीसगढ़ राम का ननिहाल है। पिछली सरकार ने इस बात को खूब प्रचारित किया था और माता कौशल्या के मंदिर से लेकर राम वन गमन परिपथ को संवारने का काम किया हालांकि इसका वैसा राजनीतिक लाभ नहीं मिल पाया जैसी उम्मीद की जा रही थी। कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई और बीजेपी की वापसी हो गई। अब जब अयोध्या में राम लला विराजने जा रहे हैं। पूरे देश की तरह छत्तीसगढ़ में भी उत्सव का माहौल है लेकिन राज्य की बीजेपी सरकार राम के मुद्दे को लेकर काफी सावधान है क्योंकि राज्य में राम को लेकर ज्यादातर काम कांग्रेस के कार्यकाल में हुए हैं, ऐसे में बीजेपी की छोटी सी चूक से लोकसभा चुनाव में क्रेडिट कांग्रेस को मिल सकता है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी कोर हिंदुत्व और राम के मुद्दे पर भी खुलकर नहीं खेल पा रही है। बीजेपी के रणनीतिकार अब राम को वनवासी राम के रुप में प्रचारित करने की कोशिश में हैं ताकि इससे हिंदुओ और आदिवासी दोनों को साधा जा सके।