राजपथ - जनपथ
जहां श्री होगा वहां लाभ रहेगा
भाजपा की राजनीति में कई तरह के उलटफेर होते रहे हैं । कभी कोई नेता किसी के साथ तो कोई किसी के साथ । आज कल पहली बार के दो पूर्व विधायक एक साथ नजर आ रहे हैं। एक बेमेतरा जिले के एक राजधानी के । इन्हें साथ देखते ही नेता कह उठते हैं कि जहां श्री होता है वहां लाभ रहता ही है। अब दोनों की जोड़ी ऐसे ही नहीं बनी। दोनों टिकट से वंचित किए गए । तो दिल तो मिलना ही था। और जोड़ी बन गई। अब देखना है कि यह जोड़ी क्या गुल खिलाती है ।
एफआईआर और हाई-टी
चुनाव के नतीजों ने राजभवन के स्वागत समारोह ( हाई-टी) का दृश्य ही बदल दिया। अब तक दरबार हाल में होनेवाला यह समारोह इस बार लॉन में हुआ । 15 अगस्त को जहां राजभवन कांग्रेस के नेताओं से भरा हुआ था। पांच माह 11 दिन बाद 26 जनवरी को भाजपा और संघ के नेता जय श्रीराम से अभिवादन करते नजर आए। गणमान्यों की मौजूदगी में कांग्रेस का एक नेता या पदाधिकारी को लोग तलाशते रहे। राजभवन के प्रोटोकॉल विभाग ने कांग्रेस के भी सभी प्रमुखों को आमंत्रण भेजा था। लेकिन कोई भी नामचीन नहीं आया । यह बायकाट नहीं था बल्कि इसके पीछे एसीबी में दो हुई एफआईआर को कारण माना जा रहा था । यहां तक की शहर के प्रथम नागरिक कहलाने वाले महापौर भी गैरहाजिर रहे। उनको आमंत्रण यानी शहरवासियों को आमंत्रण और महापौर का रहना व्यक्तिगत नहीं होता बल्कि शहरवासियों का प्रतिनिधित्व माना जाता है ।
जितना कमाया नहीं उतना...
कोल लेवी वसूली, मनी लांड्रिंग और शराब घोटाले में फंसे लोगों की मुश्किल बढऩे वाली है। इन लोगों ने जिनके लिए काम किया उन्होंने हाथ उठा दिया है । गिरफ्तारी के बाद सीखचों के पीछे रहना होगा या फिर बाहर रहने के लिए घर का पैसा लगाना होगा। यानी अब महाधिवक्ता कोष से मदद नहीं मिलने वाली। जब सरकार रहती है तो एजी के जरिए देश के नामचीन वकील बुला लिए जाते हैं । उनकी सारी फीस विधि विभाग के बजट से दे दी जाती है। इस फंड से पुराने बंदियों को भी बीते एक महीने से मदद नहीं मिल पा रही है। पिछली सरकार ने चुनाव से पहले ही हाथ उठा दिया था। यानी अब जितना कमाया नहीं उतना गँवाना होगा, क्योंकि दोनों ही घोटालों में कई तो पैसे के कूरियर रहे हैं। और अब सब फंस गए हैं। ऐसे में यह खतरा बढ़ गया है कि ये लोग कहीं और लोगों का नाम न ले लें। इससे बचने लोग इनसे मॉल-भाव न कर लें। आने वाले दिनों जब एसीबी कार्रवाई करेगी तो ऐसे ही कई खुलासे होंगे।
फिर चुनाव फिर धान का मुद्दा..
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का लक्ष्य 130 लाख मीट्रिक टन रखा गया था, जो अंतिम तिथि 31 जनवरी के पहले ही पूरा हो गया है। इसके बावजूद खरीदी केंद्रों में धान बेचने और टोकन लेने के लिए कतार लगी हुई है। इनमें वे किसान भी हैं, जो पहले सिर्फ 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान बेच पाए थे। अंतिम तिथि यदि बढ़ती है तो धान खरीदी का आंकड़ा और बहुत आगे बढ़ सकता है। मगर अब सिर्फ तीन दिन बाकी है। (छुट्टी के दिन खरीदी बंद रहती है।) कांग्रेस ने धान खरीदी एक मार्च तक बढ़ाने की मांग की है। उसने यह भी आरोप लगाया है कि घोषणा के अनुसार 3100 रुपए की दर से भुगतान शुरू नहीं किया गया है। अनुपूरक बजट में इसका प्रावधान भी नहीं किया गया है। पिछली सरकारों ने धान खरीदी की आखिरी तारीख बढ़ाई थी। बीते विधानसभा चुनाव में धान एक बड़ा मुद्दा रहा। अब फिर प्रदेश लोकसभा चुनाव के मोड में है। सरकार को अभी यह सोचना है कि धान की खरीदी की समय सीमा और बढ़ी हुई कीमत पर भुगतान को कांग्रेस लोकसभा चुनाव की वोटिंग से पहले बड़ा मुद्दा न बना ले।
दो बड़े नाम छूट गए
राष्ट्रीय पर्व, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर जिलों के मुख्य समारोहों में ध्वजारोहण के लिए मुख्य अतिथि बनाया जाना बड़े सम्मान की बात होती है। किसे कितना महत्वपूर्ण जिला दिया गया है, इसकी भी चर्चा होती है।
पहले जब जिले कम थे और मंत्रियों की संख्या पर कोई नियंत्रण नहीं था, प्रत्येक जिले में कैबिनेट या राज्य मंत्री ही मुख्य अतिथि होते थे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद लगातार जिले बढ़े, तब संसदीय सचिवों को भी मौका मिलने लगा। इस बार सरकार ने एक नया प्रयोग किया है कि भाजपा सांसदों को भी ध्वजारोहण कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बनाया गया। मंत्रियों के लिए जिले तय होने के बाद अनेक विधायकों को भी मौका दिया गया। मंत्रिमंडल में जगह पाने से जो वरिष्ठ विधायक चूक गए उनका खास ख्याल रखा गया। धरमलाल कौशिक, रेणुका सिंह, भैया लाल राजवाड़े, गोमती साय, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, लता उसेंडी आदि विभिन्न जिलों में मुख्य अतिथि थे। पर इस सूची में सातवीं बार विधायक चुने गए, मंत्री रहे और चार बार सांसद रह चुके पुन्नूलाल मोहले का नाम शामिल नहीं थे। इसके अलावा पांचवीं बार के विधायक धर्मजीत सिंह ठाकुर को भी मौका नहीं मिला। जब परंपरा से हटकर सांसदों को मौका दिया गया, नए-नए विधायक भी झंडा फहराने जा रहे हैं तब इन वरिष्ठ विधायकों का नाम किसी जिले के लिए क्यों नहीं रखा गया, इस पर तरह-तरह की बात हो रही है।
न्यूज़ वैल्यू वाले बाबा
बाबा बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री का एक बार फिर दिव्य दरबार रायपुर में लग गया है। आते ही उन्होंने छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने की बात की है। हिंदू राष्ट्र की पैरवी तो वे पहले से ही करते आ रहे हैं। पिछले साल भी उनका भव्य समारोह हुआ था। इस बार भी हजारों लोग पहुंच रहे हैं जिसमें छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, उड़ीसा, यूपी, बिहार के अनुयायी भी हैं। समाचार चैनलों ने पहले बाबा के लिए भीड़ बढ़ा दी, फिर रिपोर्टर उनके पीछे भागते दिखाई दे रहे हैं। लोग उनके चरणों पर दिखाई देते हैं...। सोशल मीडिया पर वायरल यह एक तस्वीर है। ([email protected])