राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : शबरी नाम पर मत जाइए...
29-Jan-2024 4:28 PM
 राजपथ-जनपथ : शबरी नाम पर मत जाइए...

शबरी नाम पर मत जाइए...

अयोध्या से लौटकर आए एक तीर्थ यात्री को शिकायत है कि रामलला का मंदिर उद्घाटित होने के बाद वहां टैक्सी, लॉज, दुकान-बाजार हर तरफ कॉरपोरेट हावी हो गया है। आम पर्यटकों के लिए यहां का घूमना फिरना पहले जैसे बजट में मुमकिन नहीं रह गया। चाय पानी का बिल भी आपको हैरान कर सकता है। भले ही रेस्तरां का नाम उसने शबरी पर क्यों ना रख लिया हो।

उम्मीदवारों पर चर्चा

भाजपा में लोकसभा प्रत्याशियों की चयन प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन सभी संसदीय क्षेत्रों में चुनाव कार्यालय खोलने के लिए कह दिया गया है। रायपुर संसदीय क्षेत्र में तो मुख्य चुनाव कार्यालय के लिए जगह भी पसंद कर ली गई है। सिविल लाइन स्थित डागा बिल्डिंग को चुनाव कार्यालय के लिए किराए पर लिया गया है।

चुनाव कार्यालय तो खोल दिए गए हैं, लेकिन टिकट को लेकर कई मौजूदा सांसद निश्चित नहीं हो पा रहे हैं। वजह यह है कि पिछले चुनाव में सभी सांसदों की टिकट काट दी गई थी। कम से कम पांच सीटों पर तो प्रत्याशी बदले ही जाएंगे। बस्तर, और कोरबा में तो पार्टी के सांसद नहीं है। ऐसे में यहां नया चेहरा आना ही है।

सरगुजा, बिलासपुर, और रायगढ़ के सांसद इस्तीफा देकर विधायक बन चुके हैं, लेकिन कुछ संसदीय क्षेत्र जहां विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। वहां के सांसद की टिकट खतरे में पड़ सकती है। पार्टी इसको लेकर सर्वे करा रही है। देखना है आगे क्या होता है।

सबसे ज्यादा दागी

छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है, जब किसी विभाग से इतनी संख्या में अधिकारियों पर एक साथ एफआईआर दर्ज हुआ हो। वह भी पूर्व सीएम से जुड़े विभाग में। अब आबकारी विभाग में अजीब संकट की स्थिति है। नई सरकार भी असमंजस में है। जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है, उन्हें यदि हटा दें तो आधे से ज्यादा जिलों में अफसर नहीं मिलेंगे। कुछ को हटाकर दागियों को जिलों में रखा जाएगा तो नैतिक दबाव की स्थिति रहेगी कि जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया, उन्हीं से काम ले रहे।

और चिंगारी भडक़ गई तो?

देश के कई हिस्सों में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लोग तरह-तरह का जतन करके इसका मुकाबला कर रहे हैं लेकिन कुछ तरीके बेहद खतरनाक हैं। अक्सर ठंड के दिनों में खबर आती है कि ठंड से बचने के लिए चूल्हे के नजदीक, या फिर चारपाई के पास आग जलाकर सोने से लोग झुलस जाते हैं, जान भी चली जाती है।

हाल ही में मेरठ से प्रयागराज जा रही संगम एक्सप्रेस में सफर कर रहे किसान यूनियन के कुछ नेताओं ने ठंड भगाने का बेहद खतरनाक उपाय निकाला। एसी कोच में वे अंगीठी जलाकर हाथ तापने लगे। पर जब कोच में धुआं फैलने लगा तो लोग घबरा गए। आरपीएफ ने पहुंचकर अंगीठी बुझाई। एक बड़ा हादसा टल गया।

प्रयागराज से ही एक वीडियो इंस्टाग्राम पर वायरल हुआ है जिसमें दिख रहा है कि एक स्कूटी पर पीछे बैठी महिला जलती हुई अंगीठी पकड़ कर चल रही है। यही नहीं उसके साथ में एक बच्चा भी सवार है। वह न सिर्फ अपने परिवार को बल्कि सडक़ पर चल रहे दूसरे राहगीरों को भी खतरे में डाल रही है। एक यूजर में कमेंट किया है-आज पकड़ेगी तो सारी ठंड दूर हो जाएगी। ठंड भडक़ गई तो संभाल लेंगे, चिंगारी भडक़ गई तो बहुत महंगा पड़ेगा, आंटी जी।

रिश्ते तबाह कर रही शराब...

सरगुजा के लखनपुर इलाके में छेरछेरा लोक पर्व के दिन एक महिला ने अपने आठ माह के दुधमुंहे बच्चे की गला रेत कर हत्या कर दी। अपने आदतन शराबी पति को उसने आगाह किया था यदि आज वह शराब पीकर घर आएगा, तो वह बच्चे को मार डालेगी और खुद भी जान दे देगी। मगर पति फिर शराब पीकर लौटा। बच्चे की हत्या के बाद मां फरार हो गई। शराब की वजह से अपने ही रिश्तों का कत्ल करने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। इसी महीने रायपुर के इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में एक युवक ने अपनी टीचर मां को मार डाला क्योंकि उसने बेटे को शराब के लिए पैसे नहीं दिए। इसके कुछ दिन बाद बालोद से खबर आई कि एक शराबी ने अपनी मां और बेटे की हत्या कर दी, पत्नी भी हमले में घायल है। पिछले साल तो एक घटना में त्रस्त मां-बाप और भाई ने मिलकर एक शराबी युवक की हत्या कर दी थी। अभी पिछले सप्ताह बिलासपुर में एक शराबी ने पत्नी से ताने सुनकर खुदकुशी कर ली। उसने चावल को बेचकर शराब पी ली थी। चावल उसकी गरीबी देखकर ससुर ने भेजा था।

कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब ऐसे अपराधों की खबर अखबारों में न हो। नेशनल हेल्थ सर्वे 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक आबादी के अनुपात में शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर है। यहां 35.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। 34.7 प्रतिशत के साथ त्रिपुरा दूसरे और 34.5 प्रतिशत के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।

विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने पूरे 5 साल शराबबंदी का वादा निभाने के लिए कांग्रेस की सरकार को घेरा था। पर उसने आबकारी नीति में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। वैसे यह नीति पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ही है। सिर्फ इतना किया गया है कि नई दुकान नहीं खोली जाएगी। मगर शराब सरकार के लिए अनिवार्य बनी हुई है। कितना इसका उदाहरण दिया एमसीबी जिले के कलेक्टर ने। उन्होंने बीते दिनों हाईकोर्ट में हलफनामा दिया कि शराब दुकान को नहीं हटा सकते। यदि नजदीक के शेल्टर में रहने वालों को तकलीफ है, तो उसी को किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट कर देंगे।

प्रदेश के कुछ पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर नशे के खिलाफ अभियान चला रहे हैं लेकिन वैध तरीके से हो रही बिक्री और खपत पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। ([email protected])

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