राजपथ - जनपथ
गारंटी का पिटारा कब खुलेगा?
किसानों को धान का 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करने के फैसले के बाद अब महतारी वंदन योजना भी लागू करने का केबिनेट ने निर्णय ले लिया है। ये दोनों मोदी की गारंटी वाले बड़े चुनावी वादे थे। पर, अभी तक इसका जमीन पर क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। एकमुश्त भुगतान के पात्र किसानों की सूची तो वैसे भी धान की बिक्री के आधार पर निकाली जा सकती है लेकिन महतारी वंदन योजना में काफी बातें स्पष्ट होना बाकी है। हाल के दिनों में देखा गया कि इस असमंजस की स्थिति का फायदा उठाने के लिए कुछ लोगों ने रुपये ऐंठने का काम भी शुरू कर दिया। चुनाव अभियान के दौरान तो कांग्रेस ने शिकायत की थी कि महतारी वंदन योजना के फॉर्म भराकर लोगों को बरगलाया गया। पहली किश्त भी महिलाओं को दे दी गई, जिसकी चुनाव आयोग से शिकायत हुई। पर अब वह फॉर्म किसी काम का नहीं है। अब तक सरकार की ओर से कोई एजेंसी या विभाग तय नहीं किया गया है जो महतारी वंदन योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया और पात्रता के मापदंड की अधिकारिक जानकारी दे। मोटे तौर पर यह जानकारी जरूर आई है कि 21 वर्ष से अधिक उम्र की विवाहित, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा। इस दायरे में लेने में पात्र हितग्राहियों की संख्या 20-25 लाख या उससे भी अधिक हो सकती है। सही लोगों की सूची बनाना एक बड़ा अभियान होगा। दूसरी तरफ मार्च महीने के पहले सप्ताह में आचार संहिता लागू होने की संभावना है। मंत्रिपरिषद् में निर्णय ले लिये जाने के बावजूद यह अनिश्चितता बनी हुई है कि लोकसभा चुनाव के पहले महिलाओं के खाते में राशि का पहुंचना शुरू हो पाएगा भी या नहीं।
असली ही नहीं नकली नोट भी...
नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था तो इसके कई फायदों में एक नकली नोटों पर लगाम लगने की बात भी थी। पर नकली का कारोबार बंद नहीं हुआ। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2017 से 2021 के बीच पांच सालों में हर साल औसत 39 करोड़ रुपये के नकली नोट बरामद हुए। बरामद नकली नोट के मुकाबले कई गुना अधिक नोट बाजार में चलन में होंगे। छत्तीसगढ़ में छोटे पैमाने पर नकली नोट छापकर खपाने के मामले बहुत आते हैं। पर सरायपाली में जिस तरह 3 करोड़ 80 लाख रुपये के नकली नोट पिकअप वैन से जब्त किया गया है, उससे साफ हो गया है कि इसके पीछे बड़े अंतर्राष्ट्रीय-राज्यीय गिरोह संगठित रूप से काम कर रहे हैं। इन दिनों ईडी-आईटी की छापेमारी में जिस पैमाने पर असली नोटों का पता चल रहा है, जांच एजेंसियां नकली नोटों के बारे में भूल ही गई थी। अच्छा हुआ कि एक बड़ा मामला पुलिस के हाथ लगा।
जंगल का राजकुमार
शिकार करने में शेरों के मुकाबले कमतर नहीं होने के बावजूद तेंदुए को जंगल के राजा का दर्जा नहीं मिला है। पर इन्हें कम से कम जंगल का राजकुमार तो कहा जाना चाहिए। गरियाबंद जिले के बार नवापारा अभयारण्य की बात करें, तो यहां शेर नहीं पाये जाते। तेंदुए जरूर हैं। शेर के नहीं होने के कारण इस जंगल में उसी का राज चलता है। बार नवापारा घूमने जा रहे सैनालियों को इन दिनों ये तेंदुए अक्सर दिख रहे हैं। यह एक भारी-भरकम चट्टान पर बैठे ऐसे ही तेंदुए की पोज के साथ खिंचाई गई एक फोटो है।