राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पीएचक्यू में अब कई आईपीएस
05-Feb-2024 6:21 PM
राजपथ-जनपथ : पीएचक्यू में अब कई आईपीएस

पीएचक्यू में अब कई आईपीएस

2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तब दो आईपीएस अफसरों के खिलाफ एफआईआर हुए थे और दो को बिना कोई जिम्मेदारी दिए पुलिस मुख्यालय में बैठा दिया गया था। इनमें एक का वनवास तो कुछ महीने का था, लेकिन दूसरे को साल भर से ज्यादा समय लगा। रविवार की देर रात आईपीएस की जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें बड़ी संख्या में आईपीएस की जिम्मेदारी तय नहीं है। उन्हें पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया है। अब ये डीजीपी की जिम्मेदारी है कि वे किससे क्या काम लेंगे। यह भी हो सकता है कि कुछ अफसरों को बिना कोई जिम्मेदारी दिए खाली बैठा दिया जाए। यह तो ज्वाइन करने के कुछ दिन स्पष्ट होगा।

रजनेश सिंह का वनवास खत्म

आईपीएस रजनेश सिंह का आखिरकार वनवास खत्म हुआ। नान घोटाले में कार्रवाई की सजा उन्हें खुद पर एफआईआर और पांच साल तक वर्दी से दूर रहने के रूप में मिली थी। साय सरकार ने न सिर्फ उन्हें वापस ज्वाइन कराया है, बल्कि बिलासपुर जैसा बड़ा जिला भी दिया है। वैसे जिन्हें रजनेश की ईमानदारी पर संदेह हो तो बता दें कि राजधानी में एडिशनल एसपी रहते हुए अवैध लोहे के कारोबार पर उन्होंने कार्रवाई की थी, तब कुछ व्यापारियों ने उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की थी। रजनेश ने एंटी करप्शन ब्यूरो को सूचना देकर उन्हें गिरफ्तार कराया था। बाद में सजा भी हुई थी।

विफल योजनाओं का दोहराव

कई बार अफसरों को सरकार की मंशा को देखते ऐसी योजनाओं में हाथ डालना पड़ता है, जिसके बारे में उन्हें पहले से पता होता है कि यह सफल नहीं हो पाएगी। पिछली सरकार गोधन और गोबर को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने के लिए कई योजनाएं लेकर आई। गोबर को गोबरधन कहा गया। गोबर से खाद, पेंट, खाद, दीये, गो काष्ठ आदि बनाने की योजनाएं शुरू की गईं। एक योजना गोबर से बिजली पैदा करने की भी बनाई गई। 35 लाख की लागत से नगर निगम जगदलपुर ने छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल प्राधिकरण की तकनीकी सहायता से प्रदेश के पहले संयंत्र की स्थापना ठीक एक साल पहले फरवरी माह में की थी। उद्घाटन में नगर निगम ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बुलाया था। इस संयंत्र से प्रतिदिन 10 किलोवाट बिजली पैदा करने और आसपास के 50 घरों की जरूरत पूरी करने का निर्णय लिया गया था। मगर, इसके लिए हर दिन 500 किलो गोबर की जरूरत है। मगर, वह उपलब्ध ही नहीं हो रही है। आसपास के लोगों को बिजली तो नहीं मिल रही है, संयंत्र से उठने वाली दुर्गंध से वे जरूर परेशान हैं। आप याद कर सकते हैं कि भाजपा की सरकार ने एक बार योजना बनाई थी। बड़े पैमाने पर रतनजोत की खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया गया था। डीजल मिलेगा बाड़ी से नारा दिया गया था। वह योजना भी कारगर साबित नहीं हुई।

राहुल से कांग्रेस की उम्मीद

करीब-करीब यह तय हो गया है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी हसदेव अरण्य के कोयला खनन से प्रभावित क्षेत्र तक जाने का कोई कार्यक्रम नहीं बनाया गया है। वे सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले से जरूर गुजर रहे हैं और रात्रि विश्राम भी तारा या आसपास कर सकते हैं। इसी दौरान वे प्रभावित आदिवासी नेताओं से मुलाकात करेंगे। पिछली बार राहुल गांधी ने मदनपुर पहुंचकर ग्रामीणों को आश्वस्त किया था कि हसदेव का जंगल नहीं कटने देंगे। मगर, पांच साल की कांग्रेस सरकार के बावजूद परिस्थितियां ऐसी है कि आदिवासी अपनी जमीन बचाने के लिए अब तक आंदोलन कर रहे हैं। प्रभावित आदिवासियों की मांग थी कि फर्जी ग्राम सभाओं के आधार पर दी गई मंजूरी की जांच कराई जाए तथा पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अंतिम स्वीकृति को रद्द किया जाए। ये दोनों काम कांग्रेस की सरकार के रहते नहीं हुए। परसा ईस्ट केते बासन एक्सटेंशन के लिए पेड़ों की कटाई का पहला चरण राज्य में सरकार बदलने के कुछ दिन बाद ही पूरा हो गया था। कांग्रेस इस उम्मीद में है कि राहुल के दौरे, उनके वक्तव्य और रुख से हसदेव में खनन का मुद्दा और तूल पकड़ेगा, जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा।  

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