राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : आईएएस पर भारी प्रोफेसर
06-Feb-2024 3:33 PM
	 राजपथ-जनपथ :  आईएएस पर भारी प्रोफेसर

आईएएस पर भारी प्रोफेसर 

स्कूल शिक्षा विभाग में इन दिनों एक ही चर्चा है कि कॉलेज का एक प्रोफेसर आईएएस से बड़ा कैसे हो गया। यह प्रोफेसर डेढ़ दशक से माशिमं में पहले उप सचिव और फिर सचिव बन कर पदस्थ है । नई सरकार ने अब  अध्यक्ष के साथ साथ सचिव भी आईएएस को बना दिया है। अफसर ने माशिमं जाकर अपनी ज्वाइनिंग भी दे दी है। लेकिन प्रोफेसर ने अब तक अपनी कुर्सी नहीं छोड़ी है। नए सचिव की लाचारी देखिए कि प्रोफेसर पदभार क्यों नहीं दे रहे इसका कारण उन्हीं से पूछने कह रही हैं। प्रोफेसर, नियमों के हर लिहाज से प्रतिनियुक्ति खत्म कर कॉलेज लौटने फिट हैं। लेकिन वे आईएएस पर ही भारी पड़ रहे हैं?। अब चूंकि माशिमं अध्यक्ष स्वयं आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं इसलिए वे ही कुछ कर सकते हैं।

अब राजधानी में निजात अभियान

आईएएस तबादला सूची की तरह आईपीएस अफसरों की भी एक बड़ी सूची निकली है। राजधानी में पदस्थ किए गए संतोष सिंह इस समय बिलासपुर जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। कुछ दिन पहले ही उन्हें वरिष्ठता श्रेणी प्रदान की गई थी और अब वे एसपी की जगह एसएसपी कहलाने लगे। जिस दिन तबादला आदेश जारी हुआ, पुलिस बिलासपुर में निजात अभियान के एक साल का जश्न मना रही थी। निजात एक ऐसा अभियान है, जिसमें न केवल नशे का अवैध कारोबार करने वालों पर कार्रवाई होती है बल्कि नशे से बाहर निकालने के लिए काउंसलिंग भी कराई जाती है। अनेक शोधों और आंकड़ों से यह स्थापित है कि हत्या, लूट, चाकूबाजी, प्रताडऩा जैसे अपराध नशे की वजह से पनपते हैं। बिलासपुर पुलिस ने पिछले फरवरी से लेकर इस जनवरी तक लगभग हर माह आंकड़े जारी करके बताया कि निजात अभियान के दौरान आपराधिक घटनाओं में किस तरह से कमी देखी गई। आम लोगों ने इस मुहिम को सराहा ।कई संस्थाएं और नागरिक खुद से इसमें जुड़े। गणतंत्र दिवस के मौके पर उसकी झांकी को पहला पुरस्कार भी मिला। कोरबा और बिलासपुर के मुकाबले रायपुर बहुत फैला हुआ क्षेत्र है। राजधानी में कानून व्यवस्था और वीआईपी मूवमेंट की अलग व्यस्तता होती है, फिर भी मुमकिन है कि अब यहां भी निजात अभियान चलाया जाए।

दिक्कत यह है कि किसी पुलिस कप्तान का तबादला हो जाने के बाद पुराने जिले में अभियान की निरंतरता नहीं रह जाती। कुछ पुलिस अफसरों ने अपने रहते जिस जिले में नशे के खिलाफ, यातायात सुधारने अथवा युवाओं के लिए कोचिंग जैसे काम किए, पर उनके जाने के बाद पदस्थ नए अधिकारी ने उसमें रूचि नहीं ली, बल्कि अपनी पसंद का कोई और कैंपेन शुरू कर दिया।

कोयले में गड़बड़ी, बहुत बड़ी

हाल ही में कोरबा से कोयला मामले में 6 की गिरफ्तारी हुई। इन दिनों कोयला से जुड़े अपराध की बात हो तो सिर्फ पिछली सरकार के दौरान हुई लेवी वसूली और उसमें फंसे अफसरों और कारोबारियों की ओर लोगों का ध्यान जाता है। मगर, लेवी वसूली तो इस उद्योग में होने वाली गड़बड़ी का एक मामूली सा ही हिस्सा है। खदानों की भारी-भरकम मशीनों से रोजाना डीजल टंकियों में पार हो जाती हैं। कोयला लोड ट्रेनों से चोरी का पूरा संगठित गिरोह है। अभी मानिकपुर इलाके से कोरबा पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया, वह मामला तो नायाब है। यहां साइडिंग के बगल में ही एक अवैध साइडिंग चल रही थी। ओवरलोड कोयला खदान से निकलता रहा और अतिरिक्त माल अवैध साइडिंग में डंप होता रहा। इस कोयले की लोडिंग अनलोडिंग करने वाली डेढ़ करोड़ की महंगी मशीन भी पुलिस ने जब्त की है। अवैध साइडिंग एसईसीएल के अफसरों और केंद्रीय सुरक्षाबलों की निगरानी के बीच चलता रहा। एसईसीएल के पास अपना एक भारी-भरकम विजिलेंस विभाग भी है। अतिरिक्त कोयले का हिसाब एसईसीएल को रखना चाहिए, पर वह तो इसे अपना कोयला मानने के लिए भी तैयार नहीं हो रहा है।

रेलवे की दरियादिली

पिछले साल की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रेलवे में 2 लाख 50 हजार से अधिक पद खाली हैं। इनमें से 2.48 लाख पद तो ग्रुप सी के हैं, जिसमें आम तौर पर 12वीं या ग्रेजुएट पास युवाओं को मौका मिल सकता है। चर्चा यह भी चल रही थी कि इन पदों को रेलवे भरने के मूड में नहीं है। लोको पायलट कब से आवाज उठा रहे हैं कि ट्रेनों की संख्या बढ़ रही है लेकिन उनके खाली होते पदों पर नई नियुक्तियां नहीं की जा रही है। ज्यादा काम लेने के विरोध में वे आंदोलन भी करते रहते हैं। अब रेल मंत्रालय ने संभवत: पहली बार ‘भर्ती कैलेंडर’ जारी किया है। इसके पहले याद नहीं पड़ता कि इस तरह का कोई कैलेंडर रेलवे ने निकाला हो। इसके मुताबिक फरवरी में सहायक लोको पायलट की, अप्रैल से जून तक तकनीशियन  की,  जुलाई से सितंबर के दौरान गैर तकनीकी वर्ग, स्नातक स्तरीय 4, 5, 6 तथा  गैर तकनीकी वर्ग, स्नातक स्तरीय 2 और 3 जूनियर इंजीनियर तथा  पैरा मेडिकल केटेगरी के पद तथा अक्टूबर से दिसंबर के दौरान लेवल एक तथा कार्यालयीन तथा अन्य वर्ग के उम्मीदवारों कि भर्ती होगी।

सवाल उठ रहा है कि एकाएक रेलवे को पूरे साल भर की जाने वाली भर्तियों की घोषणा करने की जरूरत क्यों पड़ी। इसका एक जवाब समझ में यही आ रहा है कि लोकसभा चुनाव नजदीक है। अलग-अलग वर्ग की रेलवे भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करके बैठे या कर रहे लाखों युवाओं को आश्वस्त करने के लिए ऐसा करना पड़ा। इस कैलेंडर के मुताबिक सिर्फ सहायक लोको पायलट की भर्ती प्रक्रिया चुनाव से पहले होने जा रही है। बाकी भर्तियों पर फैसला अगली सरकार लेगी। कितने पदों की भर्ती होगी, प्रक्रिया क्या होगी, आदि ब्यौरा अभी नहीं दिया गया है।

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