राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : चर्चित अफसर निशाने पर
09-Feb-2024 4:34 PM
	 राजपथ-जनपथ : चर्चित अफसर निशाने पर

चर्चित अफसर निशाने पर 

विधानसभा के पहले बजट सत्र में दो बड़े अफसर डीजीपी अशोक जुनेजा, और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स वी.श्रीनिवास राव विधायकों के निशाने पर रहे। महादेव सट्टा ऐप पर चर्चा के दौरान पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने पुलिस अफसरों की सटोरियों से मिलीभगत का आरोप लगा दिया।

वो यहीं नहीं रूके, उन्होंने सट्टेबाजी की सीबीआई अथवा विधायकों की कमेटी से जांच पर जोर देते रहे। मूणत तो यहां तक कह गए, कि पीएचक्यू में बैठे लोग सट्टेबाजी में संलिप्त रहे हैं। ऐसे में जांच कौन करेगा? मूणत के साथ-साथ वैशाली नगर के विधायक रिकेश सेन भी काफी मुखर थे। दोनों ही विधायक आग उगल रहे थे तब अफसर दीर्घा में डीजीपी जुनेजा सिर झुकाए  सब कुछ सुन रहे थे। 

जुनेजा इसलिए भी निशाने पर रहे हैं कि महादेव ऐप के विज्ञापन अखबारों में छपते रहे, और तब उस समय उन्होंने महकमे को टाइट करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। और जब घर घुसकर सट्टे की रकम की वसूली के लिए मारपीट के मामले आने लगे तब कहीं जाकर पुलिस ने दिखावे की थोड़ी-बहुत कार्रवाई की। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के बीच में जुनेजा को हटाने के लिए चुनाव आयोग से गुजारिश भी की थी। मगर उनका बाल बांका नहीं हो पाया। ऐसे में उनसे नाराज चल रहे भाजपा के विधायक रह रहकर उन पर निशाना साध रहे हैं।  

कुछ इसी तरह का हाल हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स वी.श्रीनिवास राव का भी रहा है। श्रीनिवास राव ने तो साय सरकार के गठन से पहले हसदेव पेड़ कटाई की अनुमति दे दी थी। नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरण दास महंत ने श्रीनिवास का नाम लिए बिना उन्हें कटघरे पर लिया। पहले भी राव के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला सुर्खियों में रहा है लेकिन वो भी अपने अपार संपर्कों की वजह से बचते रहे हैं। अब जब सदन में दोनों अफसर निशाने पर हैं, तो सरकार क्या कुछ करती है, यह देखना है।  

मुंबई का रुख रायपुर में दिखा था 

मुम्बई के कांग्रेस विधायक और रायपुर लोकसभा के प्रभारी बाबा सिद्दीकी ने पार्टी छोड़ी तो कई नेताओं को आश्चर्य नहीं हुआ। सिद्दीकी  मुम्बई के बड़े बिल्डर हैं, और उनके हाव-भाव कुछ ऐसे थे कि जिससे लग रहा था कि वो पार्टी छोड़ सकते हैं। 

सिद्दीकी एआईसीसी अधिवेशन में शामिल होने पिछले साल रायपुर आए थे और अधिवेशन खत्म होने के एक दिन पहले ही वापस मुंबई निकल गए। और जब मुंबई जाने के लिए रायपुर में फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे तब उस समय एयरपोर्ट पर केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी दिल्ली जाने के लिए वीआईपी लाउंज में बैठकर फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे। 

बताते हैं कि उस वक्त सिद्दीकी  ने अपने कुछ परिचित भाजपा नेताओं से चर्चा कर अनुराग ठाकुर से मिलने की इच्छा जताई। ठाकुर तक यह बात पहुंची भी, लेकिन वो जल्दी में थे, इसलिए बाबा सिद्दीकी से नहीं मिल पाए। ठाकुर ने भाजपा नेताओं से कहा बताते हैं कि वो दिल्ली में मुलाकात करेंगे। अब बाबा की अनुराग से मुलाकात हुई या नहीं, यह तो पता नहीं लेकिन हाव भाव से अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर संकेत दे दिया था।  

सरकार क्या मॉडल स्कूलों को चला ही नहीं पाती?

सन् 2020 में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की घोषणा तत्कालीन सरकार ने की थी। इन स्कूलों में 8वीं तक नि:शुल्क उसके बाद 12वीं तक मामूली फीस में उत्कृष्ट सुविधाओं के साथ शिक्षा देना लक्ष्य था। प्राइवेट पब्लिक स्कूलों की तरह क्लास रूम, लैब, खेल मैदान आदि का सेटअप आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता और बच्चों को आकर्षित करता है। पिछले साल बोर्ड परीक्षाओं में इसका रिजल्ट भी अच्छा रहा। पिछले साल दसवीं बोर्ड की परीक्षा में 98.83 प्रतिशत नंबर लेकर टॉपर रहे राहुल यादव जशपुर की आत्मानंद स्कूल से ही थे। दसवीं-12वीं की टॉपर लिस्ट में कुल 15 छात्रों ने जगह बनाई थी। 

शुरुआत में प्रत्येक जिले में कम से कम एक स्कूल खोली गई। पर इनमें प्रवेश के लिए आवेदनों की बाढ़ आ गई। जितनी सीटें थीं, उससे 8-10 गुना आवेदन आने लगे। तब फिर इनकी संख्या बढ़ती गई। चुनावी साल में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाकात के लिए जहां भी जा रहे थे इन स्कूलों की मांग हो रही थी। स्थिति यह थी कि एक साल के भीतर 400 से अधिक स्कूल खोलने की घोषणा हो गई। यह भी कहा गया कि प्रत्येक स्कूल को स्वामी आत्मानंद की तरह सुविधाएं देने की योजना अगली सरकार बनने के बाद लाई जाएगी।

जनप्रतिनिधियों की मांग पर एक के बाद नई स्कूलों की घोषणा, फिर हिंदी माध्यम स्कूलों का शुरू किया जाना, अंग्रेजी माध्यम कॉलेज भी खोल देना, कुछ ऐसे फैसले थे जिसके चलते इस योजना की विशिष्ट स्थिति कायम नहीं रह पाई। जिला खनिज न्यास कोष (डीएमएफ) से स्कूलों की साज-सज्जा और शिक्षकों की नियुक्ति के लिए राशि आवंटित कराई गई। यह फंड कलेक्टर के पास होता है। इन स्कूलों के संचालन के लिए उन्हीं के नियंत्रण वाली समितियां बना दी गईं। व्यावहारिक रूप से इसका काम खनिज, नगर निगम, खाद्य और शिक्षा विभाग के अधिकारी देखने लगे। फिर शुरू हुई एक के बाद एक भ्रष्टाचार की शिकायतें। स्कूलों में संविदा पर नियुक्ति में गड़बड़ी, उपकरणों की खरीदी, स्कूलों के निर्माण कार्य में गड़बड़ी सब सामने आने लगे। फर्नीचर और लैब कबाड़ हो गए। सरकार बदलने के बाद कई जिलों में इनकी जांच शुरू हो गई है। भाजपा के मुताबिक यह घोटाला 800 करोड़ रुपये का है। इधर, कई स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई। उत्कृष्ट पढ़ाई की उम्मीद में इस बार भी छात्रों का आधे से ज्यादा सत्र बिना शिक्षकों के बीत चुका है।

यह गौर करना होगा कि इसी तरह के उत्कृष्ट 72 स्कूलों का एक चेन मुख्यमंत्री आदर्श विद्यालय के रूप में डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में शुरू किया गया था। अलग से बजट का प्रावधान कर इन स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए गए थे। पर शिक्षा विभाग इन स्कूलों को चला नहीं पाया। बिल्डिंग, फर्नीचर, लैब के साथ करोड़ों रुपयों का सजा-सजाया सेटअप डीएवी पब्लिक स्कूल प्रबंधन को सौंप दिया गया। जाहिर है कि कोई निजी शिक्षण संस्थान घाटे में क्यों किसी स्कूल को चलाएगा। जब तक सरकार के प्रबंधन में थी, फीस सरकारी स्कूलों की तरह थी, पर अब वहां ऐसी स्थिति नहीं है। पिछले दो तीन सत्रों का रिजल्ट देखें तो वह भी अन्य आम स्कूलों की तरह ही हैं।

इधर विधानसभा में आत्मानंद स्कूलों के संबंध में बड़ी घोषणाएं की गई हैं। अब कलेक्टरों की समितियां भंग कर दी जाएंगी और ये स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत आ जाएंगे। स्वामी आत्मानंद ज्यादातर पुराने स्थापित स्कूल भवनों में शुरू किए गए थे। इन स्कूलों को उस क्षेत्र के समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी या दानदाताओं के नाम पर रखा गया था, जो लुप्त हो गया। स्कूलों का नाम बदलने और उनके क्लास रूम पर कब्जा करने के खिलाफ जगह-जगह बच्चों ने आंदोलन भी किया था। इन्हें फिर से पुराना नाम देने की घोषणा की गई है।

अभी यह साफ होना बाकी है कि इन स्कूलों के संचालन के लिए सरकार नियमित बजट में कितनी राशि का प्रावधान करेगी? छत्तीसगढ़ सरकार का विश्व बैंक से साथ भी एक अनुबंध होना है, जिसमें पांच साल तक प्रत्येक वर्ष के लिए 400 करोड़ रुपये की व्यवस्था विशिष्ट शिक्षा के लिए देने की बात है। इधर करीब 5600 शिक्षक संविदा पर भर्ती किए गए हैं। उनका भविष्य क्या होगा? राष्ट्रीय स्तर की कई सर्वे रिपोर्ट इन वर्षों में सामने आ चुकी हैं। इनमें स्कूली शिक्षा के स्तर में छत्तीसगढ़ की स्थिति दयनीय बताई गई है। इसलिये बदलाव की बात तो ठीक है, पर इसके परिणाम बेहतर मिले वह असल चुनौती है।

राज्यसभा के लिए अमित का नाम

राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय का कार्यकाल अप्रैल माह में समाप्त हो रहा है। अगली बार भी यह सीट भाजपा के पास ही रहने वाली है। इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि पांडेय रिपीट की जाएंगी, या उनकी जगह किसी और को मौका मिलेगा। इनमें से एक चौंकाने वाला नाम भी चल रहा है, अमित जोगी का। इन चर्चाओं का सार यह है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का विलय भाजपा में इसी महीने हो जाएगा। इसके एवज में अमित जोगी को राज्यसभा की सीट देकर सरोज पांडेय को लोकसभा में उतारा जाएगा।

छत्तीसगढ़ का चुनाव परिणाम आने के बाद से अमित जोगी की भाजपा से करीबी लगातार बढ़ी है। उन्होंने पिछले महीने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी। हाल ही में एक अखबार में उन्होंने भाजपा की प्रशंसा में लेख भी लिखा। यह सब कई लोगों को प्रवेश करने के पहले का माहौल दिखता है। वैसे भी भाजपा नेताओं का बयान आ चुका है कि पार्टी में जो आना चाहते हैं, उनका स्वागत किया जाएगा और स्वागत का सिलसिला शुरू भी हो चुका है।  

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